राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 संपूर्ण अध्याय धाराएं एवं अनुसूचियां
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009
नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धाराएं
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राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 pdf in hindi
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 book
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 राजस्थान में 11 सितंबर 2009 से लागू हुआ इस अधिनियम में कुल 17 अध्याय 344 धाराएं और 6 अनुसूचियां हैं
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 एक बहुत ही विस्तृत अधिनियम है
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 का संक्षिप्त रूप से वर्णन इस प्रकार है
अध्याय -1 प्रारंभिक (धारा 1 व 2)
धारा 1- इसमें इस अधिनियम का नाम राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 दिया गया है इसका प्रसार छावनी क्षेत्र को छोड़कर संपूर्ण राजस्थान राज्य में है और यह है जो राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना जारी करेगी उस तारीख को लागू होगा यानी 11 सितंबर 2009 को यह अधिनियम लागू होगा
धारा 2- परिभाषाएं-इसमें कुछ परिभाषाएं दी गई है जैसे पिछड़े वर्ग से अनुसूचित जातियों जनजातियों से भिन्न नागरिकों के से पिछड़े वर्ग अभिप्रेत है जो राज्य सरकार समय-समय पर घोषणा करें इसके अलावा से संपरीक्षक से राजस्थान स्थानीय निधि परीक्षा अधिनियम 1954 में परिभाषित संपरीक्षक से है
इनके अलावा निगम पार्षद नगर निगम के सदस्य, निदेशक, स्थानीय निकाय ,भूमि ,नगर पालिका क्षेत्र ,उपाध्यक्ष ,अध्यक्ष वार्ड समितियां , आदि सभी परिभाषाएं धारा-2 में दी गई हैं
अध्याय- 2 नगर पालिका का गठन व शासन (धारा 3-50)
धारा 3- इसमें नगर पालिकाओं के परिसीमन के बारे में बताया गया है
धारा 4- इसमें राज्य सरकार नगरपालिका बोर्ड को ऐसे उप बंधुओं में छूट दे सकेगी जो उनके लिए उपयुक्त हो और इसमें संबंधित सुसंगत नियम बना सकेगी
धारा 5- इसमें नगर पालिका की स्थापना हुआ है निगमन से संबंधित है जैसे नगर पालिका बोर्ड 20,000 से 1,00000 तक की जनसंख्या का ,नगर परिषद 100000 से 500000 तक की जनसंख्या का और नगर निगम 500000 से अधिक की जनसंख्या का बनाया जाता है।
धारा 6 -नगरपालिका की संरचना, आरक्षण व वह प्रत्येक सदस्य को मत देने के अधिकार के बारे में बताया गया है।
धारा 7 -पदावली नगर पालिका के पदावली प्रथम बैठक से 5 वर्ष की होगी इससे पूर्व नगरपालिका के विघटन पर नई नगरपालिका शेष कार्यकाल के लिए गठित होगी ना की पूर्ण कार्यकाल के लिए।
धारा 8- नगर प्रशासन नगर पालिका में निहित है
धारा 9- वार्ड का विभाजन। जनसंख्या के आधार पर और लगभग सभी वार्डों की जनसंख्या का अनुपात सामान रखा जाता है
धारा 10 -वार्डो का निर्धारण राज्य सरकार के आदेश द्वारा वार्ड व वार्ड की सीमा का निर्धारण किया जाता है इसमें महिला उम्मीदवारों हेतु 1 वार्ड की संख्या का भी निर्धारण किया जाता है आरक्षण चक्राक्रम से दिया जाता है एससी एसटी वाले वार्ड उस भाग में होंगे जहां इनकी जनसंख्या अधिक हो
धारा 11- नगरपालिका का निर्वाचन
निर्वाचन नामावली ,निर्वाचनों के संचालन में ,अधीक्षण, नियंत्रण ,राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है राज्य सरकार निर्वाचन आयोग को इस हेतु कर्मचारी उपलब्ध करवाएगी
धारा 12- राज्य निर्वाचन आयोग के कृत्यों का प्रत्यायोजन
मुख्य निर्वाचन आयुक्त अथवा राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव को
धारा 13 -प्रत्येक वार्ड के लिए निर्वाचक नामावली राज्य सरकार के परामर्श से राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार की जाएगी इसकी सहायता के लिए निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी की सहायता के लिए एक या एक से अधिक व्यक्तियों को सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नियुक्त किया जाएगा
धारा 14 -निर्वाचन नामावली में रजिस्ट्रीकरण के लिए क्या योग्यताएं होनी चाहिए इसके बारे में दिया गया है कि वह भारत का नागरिक हूं तथा सक्षम न्यायालय द्वारा पागल घोषित नहीं किया गया वह भ्रष्टाचार व अन्य अपराध में शामिल नहीं हो।
धारा 15 -यदि कोई व्यक्ति निर्वाचन निर्गुण नामावली की तैयारी , निरीक्षण निर्वाचन नामावली में शामिल हो जाने के संबंध में झूठी घोषणा करता है तो उसे 1 वर्ष का कारावास अथवा दो से ₹5000 जुर्माना अथवा दोनों सजा हो सकती हैं!
धारा 16 -राज्य सरकार के परामर्श के राज्य निर्वाचन आयोग विभिन्न अधिकारियों की नियुक्ति करेगा जिसमें मुख्य निर्वाचन अधिकारी समस्त निर्वाचन नामावली तैयार करने प्रवेश शंकर ने समस्त निर्वाचन संचालन का परीक्षण करने के लिए किया जाएगा
धारा 17- जिला निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति प्रत्येक जिले में राज्य सरकार के परामर्श से राज्य निर्वाचन आयोग करेगा
धारा 18- स्थानीय पदाधिकारियों व राज्य सरकार की अन्य सभी संस्थाओं द्वारा निर्वाचन अधिकारी द्वारा अपेक्षित होने पर अधिकारी व कर्मचारी उपलब्ध कराएगा।
धारा 19- ऐसे सभी अधिकारी व कर्मचारियों को राज्य निर्वाचन आयोग की प्रतिनियुक्ति समझा जाएगा
धारा 20- निर्वाचन नामावली की तैयारी आदि करने के लिए निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी या अन्य व्यक्ति अपने प्रिय कर्तव्यों के भांग का दोषी पाया जाता है तो उसे 3 से 2 वर्ष का कारावास व ₹1000 का जुर्माना अथवा दोनों साथ चल सकते हैं न्यायालय ऐसा दण्ड केवल मुख्य निर्वाचन अधिकारी अथवा जिला निर्वाचन अधिकारी की शिकायत पर देगा।
धारा 21- नगर पालिका के किसी वार्ड में निर्वाचित होने के लिए सदस्य की क्या-क्या योग्यताएं होनी चाहिए जैसे 21 वर्ष से कम आयु नहीं हो स्वच्छ शौचालय परिवार के सदस्य खुले में शौच नहीं करते हो उस वार्ड का निर्वाचक हो।
धारा 22-किसी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक वार्ड में निर्वाचन लड़ने के संबंध में नियम बनाए गए हैं
धारा 23 -राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से सभी उम्मीदवारों के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों और होर्डिंग पोस्टर बैनर आदि पर प्रतिबंध लगा सकता है और उल्लंघन करने पर ₹5000 का जुर्माना वह 6 वर्ष के लिए निर्वाचन हेतु अनपयुक्त कर सकता है।
धारा 24- इसमें सदस्यों की योग्यताओं के बारे में बताया गया है कि सक्षम न्यायालय द्वारा छह माह से अधिक के कारावास पर दंडित हुआ व्यक्ति 6 वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकता इसके अलावा अधिनियम की धारा 243 के अधीन सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण के अपराधी भी चुनाव नहीं लड़ सकते।
धारा 25 -मतदान का अधिकार यानी जो व्यक्ति किसी वार्ड की निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकर्त है वह उस वार्ड में मत देने का हकदार होगा ।
धारा 26- इसमें निर्वाचक के मत देने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है प्रत्येक निर्वाचन का एक मत होगा
धारा 27- इसके अंदर अगर किसी भी समय कोई रिक्ति हो जाए तो उसे उपचुनाव के लिए शेष कार्यकाल के लिए भरा जाएगा यदि निर्वाचन आरक्षित सीट से है तो पुनः निर्वाचन भी आरक्षित सीट से ही होगा।
धारा 28 -इसमें निर्वाचन अपराध के बारे में बताया गया है निर्वाचन के समय अपने नाम निर्देशन पत्र शपथ पत्र में अगर कोई झूठी घोषणा करता है या सूचना को छुपाता है तो उसे 6 माह का कारावास और जुर्माना अथवा दोनों देने होंगे
धारा 29 -इसमें भ्रष्ट आचरण वाले व्यक्ति रिश्वत प्रलोभन या प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से कोई धन लेता है धर्म मूल वंश जाति समुदाय भाषा के आधार पर मत देना मत देने की विरक्त करने घृणा फैलाने राष्ट्रीय प्रतीकों का अनादर करने सती प्रथा व कर्म का प्रचार करने आदि के बारे में बताया गया
धारा 30 -इसमें बताया गया है कि निर्वाचन संबंधी सभी मामले सिविल न्यायालय की अधिकारिता से बाहर होंगे
धारा 31- इसमें नगरपालिका के किसी सदस्य के रूप में व्यक्ति के निर्वाचन के विरुद्ध अगर कोई अच्छी काल उम्मीदवार द्वारा या किसी निर्वाचक द्वारा निर्वाचन आई कि 1 महीने के भीतर नगरपालिका क्षेत्र पर अधिकारिता रखने वाले जिले न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती
धारा 32- जिला न्यायाधीश के आदेश के विरुद्ध अपील 30 दिन के अंदर उच्च न्यायालय में की जा सकती है
धारा 33-नगरपालिका के सभी सदस्य अथवा उनके सदस्यों की कुल संख्या के 2 तिहाई से अधिक सदस्यों का निर्वाचन अगर न्यायालय द्वारा शून्य घोषित कर दिया जाए तब राज्य सरकार नगरपालिका को विघटित कर सकती है
धारा 34 धारा31 के अधीन जिला न्यायालय का आदेश धारा 32 के अधीन उच्च न्यायालय का आदेश अंतिम व निर्णायक होगा।
धारा 35-धारा 28 व29 के अधीन किसी को दोषी ठहराया जाता है तो वह दोषी ठहराया जाने की तारीख से 6 वर्ष की अवधि में चुनाव नहीं लड़ सकता।
धारा 36 -राज्य निर्वाचन आयोग लेखबंद किन्हीं कारणों से किसी को हटा सकता है और किसी की काल अवधि भी कम कर सकता है।
धारा 37- अध्यक्ष व प्रत्येक सदस्य कार्यकारिणी से पूर्व राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष शपथ लेंगे यदि कोई सदस्य प प्रथम बैठक की तारीख की 1 महीने के भीतर शपथ ग्रहण नहीं करता तो उसका स्थान रिक्त समझा जाता है
धारा 38- सदस्यों के त्यागपत्र से संबंधित है सभी सदस्य अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को देते हैं
धारा 39- अगर नगर पालिका की अनुमति के बिना कोई सदस्य तीन साधारण बैठकों में अनुपस्थित रहता है तो उसको सदस्य को पद से हटा भी सकते हैं
धारा 40 -राज्य सरकार किसी भी अध्यक्ष उपाध्यक्ष या सदस्य के पदावधी की समाप्ति के पश्चात भी जांच जारी रख सकती है
धारा 41- धारा 39 के अधीन हटाया गया सदस्यों को 6 वर्ष के लिए पुनः निर्वाचन के पात्र नहीं होंगे।
धारा 42 -किसी सदस्य का चुनाव नगर पालिका में सदस्य का पद हुआ है संसद या राज्य विधानसभा या किसी पंचायती राज सदस्य एक साथ धारण करने पर उसे 14 दिन में सूचना देनी जरूरी है अगर वह सूचना नहीं देता है तो 14 दिवस के पश्चात नगरपालिका का सदस्य नहीं रहेगा।
धारा 43- प्रत्येक नगर पालिका में एक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष होगा।
धारा 44- अध्यक्ष व उपाध्यक्ष निर्वाचन संबंधी विधि के बारे में बताया गया
धारा 45- इसमें मुख्य नगर पालिका के कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है कि वह है कौन-कौन से कार्य कर सकते हैं जैसे नगर पालिका क्षेत्र में साफ सफाई का कार्य शैक्षणिक खेल संबंधी व सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना
धारा 46- इसमें नगरपालिका के कुछ अन्य कार्यों का वर्णन किया गया है जैसे लोग स्वास्थ्य पत्र-पत्रिकाओं स्मारिकाओं का प्रकाशन।
धारा 47- राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा नगरपालिका को किसी अन्य कार्य के लिए भी कह सकती है
धारा 48- में नगर पालिका के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के कार्यों के बारे में बताया गया है व नगरपालिका की नियमित बैठक आयोजित करवाना बैठकों की अध्यक्षता करना निगरानी रखना।
धारा 49 -नगर पालिका के अधिकारियों की कर्तव्य व शक्तियों के बारे में बताया गया है अभिलेखों की रक्षा रखरखाव का उत्तरदायित्व होगा।
धारा 50 -अगर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद स्वीकृत हो जाए तो कार्यभार किसे सौंपी इसके लिए राज्य सरकार ने देश दे सकती है
अध्याय 3 कार्य संचालन और वार्ड समितियां (धारा 51-66)
धारा 51 -इसमें नगरपालिका की सामान्य बैठक 60 दिन के भीतर होगी और 1 वर्ष में न्यूनतम से बैठक होनी अनिवार्य है अगर किशन नगर पालिका में कम से कम एक तिहाई सदस्य द्वारा संकल्प प्रस्ताव लाया जाए तो सात दिवस के भीतर अध्यक्ष विशेष बैठक बुलाएगा।
धारा 52 -सदस्यों के अधिकार व विशेषाधिकार
धारा 53 -अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव
धारा 54- वार्ड समितियों का गठन 3,00000 या अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिकाओं के भीतर वार्ड समितियों का गठन किया जाएगा जिसमें एक या अधिक वार्ड हो सकते हैं
धारा 55- में नगरपालिका की समितियों के बारे में बताया गया है जैसे कार्यपालक समिति ,वित्त समिति, गंदी बस्ती सुधार समिति ,नियम व उप नियम समिति।
धारा 56- सदस्यों से भिन्न अन्य सदस्यों को नियुक्ति की जा सकती है हालांकि ऐसे सदस्यों की संख्या कुल सदस्यों की संख्या से एक तिहाई से अधिक नहीं होगी।
धारा 57- नगर पालिका द्वारा बनाई गई समितियों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष नगर पालिका का अध्यक्ष व उपाध्यक्ष होगा
धारा 58- समिति की बैठक में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं के बारे में।
धारा 59 -समिति द्वारा नगरपालिका के बजट अनुमोदन के पश्चात नगरपालिका अनुमोदन करना समितियों द्वारा पारित संकल्प नगर पालिका के पुनः निरीक्षण के अधीन रहेगा
धारा 60- में वार्ड समितियों के सामान्य कार्यों के बारे में बताया गया
धारा 61- में उनकी शक्तियों कर्तव्य कार्यों के बारे में बताया गया
धारा 62 -नगर पालिका व समितियों के कार्य पर कार्यवाही पर अगर किसी सदस्य का पद रिक्त है तो भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा
धारा 63- नगर पालिका द्वारा किए गए किसी भी करार या संविदा के लिए नगर पालिका अध्यक्ष सदस्य उत्तरदाई नहीं होंगे यह वह नगरपालिका निधि द्वारा वह होगा
धारा 64- नगर पालिका के पदाधिकारी द्वारा किसी करार में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कोई हित नहीं होगा
धारा 65 -नगरपालिका के साथ किसी भी संविदा में हित रखने वाले सदस्य अधिकारी व कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई
धारा 66- नगर पालिका के प्रत्येक सदस्य अधिकारियों सेवक के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 21 के तहत लोक सेवक समझे जाएंगे।
अध्याय*4- नगरपालिका संपति ( धारा 67-75)
धारा 67- नगर पालिका द्वारा संपत्ति अर्जित करना तथा धारण करने की शक्ति
धारा 68- इस धारा में संपूर्ण संपत्ति जो राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से आरक्षित नहीं की गई हो अन्य विधि के अधीन रहते हुए भी नगर पालिका में निहित व उनकी होगी
धारा 69 -नगर पालिका राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन द्वारा तथा समय द्वारा अनुमोदित शर्तों के अनुसार करार विनिमय पट्टा अनुदान आदि द्वारा नगरपालिका संपत्ति का अर्जन किया जा सकता है
धारा 70 -इस अधिनियम के लिए आवश्यक होने पर कोई भी भूमिका एवं नगर पालिका क्षेत्र के भीतर हो या बाहर हो नगरपालिका के अनुरोध करने पर राज्य सरकार नियमानुसार मुआवजा देकर भूमि को नगरपालिका के निहित कर सकती है
धारा 71- इसके अधीन नगर पालिका द्वारा किसी व्यक्ति को प्रीमियम दर पर भूमि आवंटित किया जा सकता है
धारा 72-सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी द्वारा संविदा करना और ऐसे कार्यों को संदाय करना।
धारा 73-कोई नगरपालिका इस अधिनियम के अधीन सरकारी भूमि को पट्टे पर देने विक्रय करने आवंटित करने विहित शर्तों के अनुसार कर सकता है।
धारा 74- नगरपालिका स्वयं से संबंधित समस्त सम्पति की एक तालिका और मानचित्र बनाकर स्थानीय निकाय के कार्यालय में जमा करवाएगी।
धारा 75- नगरीये भूमि व संपत्तियों का नगर पालिका द्वारा अभिलेखों का संधारण किया जाएगा।
अध्याय 5 नगरपालिका वित्त और नगरपालिका निधि (धारा 76-89)
धारा 76- राज्य वित्त आयोग
धारा 77- राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों का क्रियान्वयन।
धारा 78 -राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करना
धारा 79- नगर पालिका द्वारा एक धारित निधि होगी जिसमें इस अधिनियम के अधीन वसूल किया गया धन व अन्य स्रोतों से प्राप्त धन निधि में जमा किया जाएगा।
धारा 80- नगरपालिका निधि का उपयोग किन किन कार्यों में किया जाएगा इसके बारे में।
धारा 81- नगरपालिका निधि में जब तक धन खर्च नहीं किया जाएगा जब तक बजट अनुदान में उसे नहीं लिया गया हो
धारा 82- राज्य सरकार द्वारा लोकहित में तत्काल अपेक्षित कार्यों के लिए नगरपालिका निधि में से अस्थाई रूप से धन निकाला जा सकता है
धारा 83 -राज्य सरकार की अनुमति से नगर पालिका की सीमा के बाहर भी व्यय करने की शक्ति नगर पालिका में निहित होगी
धारा 84- राज्य सरकार के आदेश द्वारा नगर पालिका नगर पालिका नीतीश के किसी विशिष्ट भाग को या विशिष्ट अनुदान को विशेष कार्य के लिए प्रयुक्त कर सकती है
धारा 85 -नगर पालिका निधि में कर ऐसी रीति से लिया जाएगा जो राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों में हो।
धारा 86- नगरपालिका नीधि के वाणिज्यिक परियोजना लेखा में जमा धन के अलावा अन्य धन राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार नगरपालिका निधि के किसी अन्य लेखो में, राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित लघु बचत स्कीमों अनुसूचित बैंक को ब्याज पर जमा कराया जा सकेगा।
धारा 87- नगरपालिका का बजट तैयार करना
धारा 88 -नगरपालिका के बजट तैयार करने की मंजूरी
धारा 89- नगर पालिका वित्त समिति की सिफारिश के पश्चात किसी भी वित्तीय वर्ष के दौरान समय-समय पर बजट अनुदान को परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त है
धारा 89 (क) -नगर के गरीबों को आधारभूत सेवा निधि का गठन (राजस्थान नगरपालिका संशोधन अधिनियम 2011 के तहत जोड़ा गया)
अध्याय 6- लेखा और संपरीक्षा
धारा 90 से धारा 100
अध्याय 7 -नगरपालिका राजस्व ( धारा 101 से 140)
धारा 101 -नगरपालिका का आंतरिक राजस्व के बारे में दिया गया है
धारा 102 - बाध्यकारी कर के बारे में दिया गया।
धारा 103 - राज्य सरकार द्वारा निमित्त अन्य करों के बारे में दिया गया है।
धारा 104- नगरपालिका उपभोक्ता पर उपभोग कर लगा सकता है जैसे जल निकास मल वहन की व्यवस्था करना।
धारा 105- नगर पालिका द्वारा फीस व जुर्माना लगाने की शक्ति
धारा 106 -नगर पालिका द्वारा विकास प्रभार कर लगाने की शक्ति
धारा 107- नगरपालिका अथवा केंद्र व राज्य सरकार की संपत्तियों पर करों में छूट
धारा 108- कर अधिरोपण के पुर्व की प्रक्रिया
धारा 109- धारा 108 में संकल्प पारित होने के पश्चात नगरपालिका नियत तिथि से कर का अधिरोपण राजपत्र में अधिसूचित करेगी।
धारा 110- नगर पालिका द्वारा करो में परिवर्तन की प्रक्रिया
धारा 111 -कर को स्थगित करने या उसमें सुधार करने की राज्य सरकार की शक्ति
धारा 112- स्थगित करने या समाप्त करने की नगरपालिका की शक्ति
धारा 113- कर का निर्धारण व कर निर्धारकों की नियुक्ति
धारा 114 -कतिपय जानकारी देना और उन्हें देने में विफल रहने का परिणाम
धारा 115- संशोधन के प्रयोजन के लिए सूचना देने की बाध्यता
धारा 116- भूमि और दोनों पर कर लगाने के लिए व्यक्तियों द्वारा अपने हक कि समस्त अंतरनों के विषय में जानकारी नगरपालिका को देना।
धारा 117 -सूचना का प्रारूप। ऐसी कोई सूचना प्राप्त होने पर नगर पालिका यदि आवश्यक हो तो लिखित या उसकी प्रतिलिपि पेश किए जाने की अपेक्षा करेगी
धारा 118- ट्रांसफर के नाम संपत्ति पर नगरपालिका रजिस्ट्रो में प्रतिस्थापन किया जाना
धारा 119- अंतरण की सूचना के अभाव में भवनों व भूमियों पर करो के संदाय का दायित्व बने रहना।
धारा 120 -नगर पालिका में कर मूलतः किस से लेने हैं इनके बारे में है जैसे वास्तविक अधिभोगी से यदि संपत्ति पट्टे पर दी गई हो तो
धारा 121 -कर निर्धारण और उससे संबंधित परिवर्तन के विरुद्ध अपील नगर निगम के मामले में आयुक्त को ।
नगर परिषद व नगर पालिका बोर्ड के मामले में क्षेत्रीय उपनिदेशक को की जा सकती है।
धारा 122 -परिसीमा व दावा की अपील तभी सुनी जाएगी यदि 30 दिन के भीतर कर दी जाए या दावा करने वाला रकम का 25% नगरपालिका कार्यालय में जमा करा दिया हो।
धारा 123- प्रत्येक अपील में होने वाले खर्च अपीलार्थी व
नगरपालिका को दिलवाना
धारा 124 -कराधान के मामले में सिविल और दाण्डिक न्यायालयों की अधिकारिता का वर्जन। अपील अधिकारी का अंतिम।
धारा 125- कोई भी कर निर्धारण सूची या अन्य सूची नोटिस बिल किसी त्रुटि मात्र से अधिमानीय नहीं होगा
धारा 126- दायित्व प्रकट करने की बाध्यता
धारा 127- करो को वसूल करने का कर्तव्य
धारा 128 -कर के बिलों का प्रस्तुत किया जाना
धारा 129 -बिल में संबंधित राशि ,कालावधि, संपत्ति उपजीविका आदि के ही सूचना।
धारा 130- यदि बिल प्राप्त होने के 15 दिवस के भीतर कोई व्यक्ति नगरपालिका कार्यालय कर नहीं जमा करवाता है तो नगरपालिका चौथी अनुसूची के प्रारूप के अनुरूप मांग का नोटिस तामिल करवा सकती है।
धारा 131 -किन किन मामलों में हुआ है वारंट जारी कर सकती है जैसे नोटिस में मांगी गई राशि जमा नहीं करवाना नहीं राशि कर नहीं करने का उचित कारण बताना कोई भी वारंट 3 वर्ष की काल अवधि की समाप्ति के पश्चात जारी नहीं किया जाएगा
धारा 132 -वारंट का निष्पादन करने के लिए बलपूर्वक प्रवेश। भवनों व संपत्ति की कुर्की।
धारा 133- वारंट को निष्पादन करने की विधि
धारा 134 -विशेष मामलों में कुर्क की गई संपत्ति का विक्रय
धारा 135 -नगरपालिका के बाहर कुर्की और विक्रय
धारा 136 -उस व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की जा सकेगी जो नगरपालिका छोड़ने वाले ही हो ऐसे व्यक्ति को उस राशि का बिल प्रस्तुत किया जाएगा जो नगरपालिका की मांग हो।
धारा 137 -बिल मांग के नोटिस वारंट या अन्य किसी कार्रवाई में किसी प्रकार की गलती के कारण कोई कुर्की या विक्रय विधि विरुद्ध नहीं होगी और न ही ऐसा करने वाला व्यक्ति अतिचारी समझा जाएगा
धारा 138 -समस्त करो के लिए रसीद का दिया जाना अनिवार्य
धारा 139- कुर्की और विक्रय की कार्रवाई में विफल रहने अथवा वसूली में विफल रहने पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी उस व्यक्ति के विरुद्ध सक्षम न्यायालय में वाद ला सकेगा।
धारा 140 -करो के लिए भूमि भवन आदि का पर दायित्व
अध्याय 8- उधार (धारा 141 से151)
अध्याय 9 (धारा 152 -155)
वाणिज्य परियोजनाएं निजी क्षेत्र सहभागिता करार और अन्य अभिकरण को समनुदेशन
अध्याय 10 - (धारा 156 -158)
आर्थिक और विकास योजनाएं
शेष अगले अध्याय में:-राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 भाग 2
भारतीय संसद की प्रक्रिया:-संसद की प्रक्रिया नियम व कार्यकाल
नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धाराएं
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