इतिहास की प्रमुख घटनाएँ व राजवंशों के संस्थापक और अंतिम सम्राट
🔘 इतिहास की प्रमुख घटनाएँ एवं उसके घटित वर्ष ✍
♦️▪️भारत में आर्यों का आगमन :- 1500 ई०पू०
♦️▪️महावीर स्वामी का जन्म - 540 ई०पू०
♦️▪️महावीर स्वामी का निर्वाण - 468 ई०पू०
सुत्तपिटक के दीर्घनिकाय में महावीर स्वामी को "निगंठनाथपुत्त" कहा गया हैं
महावीर स्वामी का उद्घोष था--- "अप्पा सो परमप्पा ",, (अर्थात आत्मा ही परमात्मा है।)
महावीर स्वामी की शिक्षाओं का संग्रह किस ग्रंथ में उल्लेख है- नयाधम्मकहासुत
मक्खलि गोशाल- महावीर स्वामी शिष्य रूप से सम्बंधित था बाद में अलग होकर आजीवक संप्रदाय की स्थापना की "जिस प्रकार एक व्यापारी लाभ के लिए अपना माल दिखाकर ग्राहको को अपनी ओर आकर्षित करता है ठीक वैसे ही श्रमण ज्ञातिपुत्र (महावीर) करता है" उक्त कथन मखलीपूत गोशाल है
महावीर स्वामी का शिष्य जमाली "क्रियमाणकृत" नामक सिद्धांत के संबंध में विरोधी विचार रखता था उसकी जगह बहुत्तर वाद सिद्धांत लाना चाहता था
जैन धर्म से संबंधित पर्वत :
1. कैलाश पर्वत नेपाल - ऋषभदेव का शरीर त्याग
2. सम्मेद पर्वत झारखण्ड - पार्श्वनाथ समेत 20 जैन तीर्थंकरों का देह त्याग स्थल (1st, 12th, 22 the & 24th को छोड़कर बाकी सभी )
3. वितुलांचल पर्वत बिहार - महावीर का प्रथम उपदेश
4. माउंट आबू पर्वत राजस्थान - दिलवाड़ा के जैन मंदिर सोलंकी शासकों द्वारा निर्मित (ऋषभ देव की मूर्ति)
5. शत्रुंजय पर्वत गुजरात - जैन मंदिर
महावीर से सम्बंधित नदी..
ज्ञान =ऋजुपालिक नदी
वस्त्र त्याग=स्वर्णबालुका नदी
प्रथम उपदेश=बराकर नदी के किनारे विपुलाचल पहाडी पर
ध्यातव्य रहे की महावीर स्वामी के निर्वाण के समय पावापुरी का राजा सस्तिपाल था
♦️▪️गौतम बुद्ध का जन्म - 563 ई०पू०
✅बौद्ध धर्म
●बौद्ध धर्म के संस्थापक - गौतम बुद्ध
●चतुर्थ बौद्ध संगीति के उपाध्यक्ष - अश्वघोष
●महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली लुम्बिनी वन किस महाजनपद के अंतर्गत आती थी - कोशल महाजनपद
●महात्मा बुद्ध की शौतेली माता का नाम - प्रजापति गौतमी
●बुद्ध के प्रथम दो अनुयायी - काल्लिक तथा तपासु
●बुद्ध ने कितने वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया - 29 वर्ष की आयु में
●महात्मा बुद्ध द्वारा दिया गया अंतिम उपदेश - सभी वस्तुएँ क्षरणशील होती हैं अतः मनुष्य को अपना पथ-प्रदर्शक स्वयं होना चाहिए।
●किसे Light of Asia के नाम से जाना जाता है - महात्मा बुद्ध
●चतुर्थ बौद्ध संगीति किसके शासनकाल में हुई - कनिष्क (कुषाण वंश) के शासनकाल में
●बौद्ध धर्म के त्रिरत्न - बुद्ध, धम्म, संघ
●महात्मा बुद्ध की माता का नाम - मायादेवी
●बुद्धकाल में वाराणसी क्यों प्रसिद्ध था - हाथी दाँत के लिए
●तृतीय बौद्ध संगीति कहाँ, कब तथा किसकी अध्यक्षता में हुई - पाटलिपुत्र में, 251 ई.पू.में, मोग्गलिपुत्त तिस्स की अध्यक्षता में
●गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ - 563 ई.पू.
●जिस स्थान पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई वह स्थान - बोधगया
●चतुर्थ बौद्ध संगीति के आयोजन का उद्देश्य - बौद्ध धर्म का दो समप्रदायों में
●विभक्त होना – हीनयान तथा महायान।
●बुद्धकाल में पत्थर का काम करने वाले कहलाते थे - कोहक
●गौतम बुद्ध के पिता का नाम - शुद्धोधन
●गौतम बुद्ध के बेटे का नाम - राहुल
●बौद्ध साहित्य में प्रयुक्त संथागार शब्द का तात्पर्य - राज्य संचालन के लिये गठित परिषद
●गौतम बुद्ध का जन्म स्थान - कपिलवस्तु का लुम्बिनी नामक स्थान में
●बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश कहाँ दिया - सारनाथ
●महात्मा बुद्ध के गृह त्याग की घटना क्या कहलाती है - महाभिनिष्क्रमण
●तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन किसके शासनकाल में हुआ - सम्राट
●अशोक (मौर्य वंश) के शासनकाल में
महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम – सिद्धार्थ
♦️▪️गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण - 483 ई०पू०
बौद्ध संगीतियांः स्थान, अध्यक्ष, शासनकाल
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“प्रथम बौद्ध संगीति”
स्थान ➛ राजगृह (सप्तपर्णी गुफा)
समय ➛ 483 ई.पू.
अध्यक्ष ➛ महाकस्सप
शासनकाल ➛ अजातशत्रु (हर्यक वंश) के काल में ।
उद्देश्य ➛ बुद्ध के उपदेशों को दो पिटकों विनय पिटक तथा सुत्त पिटक में संकलित किया गया।
╭─❀⊰╯“द्वितीय बौद्ध संगीति”
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स्थान ➛ वैशाली
समय ➛ 383 ई.पू.
अध्यक्ष ➛ साबकमीर (सर्वकामनी)
शासनकाल ➛ कालाशोक (शिशुनाग वंश) के शासनकाल में।
उद्देश्य ➛ अनुशासन को लेकर मतभेद के समाधान के लिए बौद्ध धर्म स्थापित एवं महासांघिक दो भागों में बँट गया।
╭─❀⊰╯ “तृतीय बौद्ध संगीति”
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स्थान ➛ पाटलिपुत्र
समय ➛ 251 ई.पू.
अध्यक्ष ➛ मोग्गलिपुत्ततिस्स
शासनकाल ➛ अशोक (मौर्यवंश) के काल में।
उद्देश्य ➛ संघ भेद के विरुद्ध कठोर नियमों का प्रतिपादन करके बौद्ध धर्म को स्थायित्व प्रदान करने का प्रयत्न किया गया। धर्म ग्रन्थों का अंतिम रूप से सम्पादन किया गया तथा तीसरा पिटक अभिधम्मपिटक जोङा गया।
╭─❀⊰╯ “चतुर्थ बौद्ध संगीति”
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स्थान ➛ कश्मीर के कुण्डलवन
समय ➛ प्रथम शता. ई.
अध्यक्ष ➛ वसुमित्र
उपाध्यक्ष ➛ अश्वघोष
शासनकाल ➛ कनिष्क (कुषाण वंश) के काल में।
उद्देश्य ➛ बौद्ध धर्म का दो सम्प्रदायों हीनयान एवं महायान में विभाजन।
♦️▪️सिकंदर का भारत पर आक्रमण - 326-325 ई०पू०
♦️▪️अशोक द्वारा कलिंग पर विजय - 261 ई०पू०
♦️▪️विक्रम संवत् का आरम्भ - 58 ई०पू०
♦️▪️शक् संवत् का आरम्भ - 78 ई०पू०
♦️▪️हिजरी संवत् का आरम्भ - 622 ई०
♦️▪️फाह्यान की भारत यात्रा - 405-11 ई०
♦️▪️हर्षवर्धन का शासन - 606-647 ई०
♦️▪️हेनसांग की भारत यात्रा - 630 ई०
♦️▪️सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण - 1025 ई०
♦️▪️तराईन का प्रथम युद्ध - 1191 ई०
♦️▪️तराईन का द्वितीय युद्ध - 1192 ई०
♦️▪️गुलाम वंश की स्थापना - 1206 ई०
♦️▪️वास्कोडिगामा का भारत आगमन - 1498 ई०
♦️▪️पानीपत का प्रथम युद्ध - 1526 ई०
♦️▪️पानीपत का द्वितीय युद्ध - 1556 ई०
♦️▪️पानीपत का तृतीय युद्ध - 1761 ई०
♦️▪️अकबर का राज्यारोहण - 1556 ई०
♦️▪️हल्दी घाटी का युद्ध - 1576 ई०
♦️▪️दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना - 1582 ई०
♦️▪️प्लासी का युद्ध - 1757 ई०
♦️▪️बक्सर का युद्ध - 1764 ई०
♦️▪️बंगाल में स्थायी बंदोबस्त - 1793 ई०
♦️▪️बंगाल में प्रथम विभाजन - 1905 ई०
♦️▪️मुस्लिम लीग की स्थापना - 1906 ई०
🔸मुहम्मद अली जिन्ना :- धर्मनिरपेक्ष और उदार राष्ट्रवादी के रूप में जिन्ना ने पहली बार कांग्रेस के बंबई अधिवेशन (1904) में भाग लिया जिसकी अध्यक्षता हेनरी कॉटन ने की। कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन (1906) में उन्होंने इस अधिवेशन के अध्यक्ष दादाभाई नौरोजी के सचिव का कार्य किया। दादाभाई काफी वृद्ध हो चुके थे इस कारण जिन्ना द्वारा लिखा गया उनका अध्यक्षीय भाषण गोखले द्वारा पढ़ा गया। इस भाषण में बंगाल विभाजन को 'इंग्लैंड की एक भयानक भूल' बताया गया। जिन्ना ने 1906 में स्थापित मुस्लिम लीग का भी विरोध किया।
जिन्ना ने तिलक के साथ मिलकर प्रसिद्ध लखनऊ समझौते (1916) का प्रारूप तैयार किया।
सरोजनी नायडू ने 1918 में जिन्ना के भाषणों और लेखों के संकलन (MOHOMED ALI JINNAH An Ambassador of Unity) को सम्पादित करते हुए उसकी भूमिका में उन्हें 'हिन्दू-मुस्लिम एकता का राजदूत', 'हिंदू- मुस्लिम एकता का सर्वश्रेष्ठ राजदूत' कहा। 1925 में उन्होंने एक मुस्लिम युवक को कहा कि 'तुम भारतीय पहले हो और मुस्लिम बाद में।'
🔸12 अगस्त 1947 को केन्द्रीय विधानसभा द्वारा पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना को 'कायदे आजम' की उपाधि प्रदान की गई।
♦️▪️मार्ले - मिन्टो सुधार - 1909 ई०
♦️▪️प्रथम विश्वयुद्ध - 1914 -18 ई०
♦️▪️द्वितीय विश्वयुद्ध - 1939 - 45 ई०
♦️▪️असहयोग आंदोलन - 1920 - 22 ई०
असहयोग आंदोलन के दौरान 1920 में दो अधिवेशन हुए थे
कलकत्ता अधिवेशन जिसकी अध्यक्षता लाला लाजपत राय ने कि थी यह विशेष अधिवेशन था
नागपुर अधिवेशन जो नियमित अधिवेशन था इसकी अध्यक्षता राघवाचारी ने कि थी इस अधिवेशन में जमनालाल बजाज की अपील पर हिंदी को संपर्क भाषा के इस्तेमाल पर जोर दिया गया था
यहां इस तथ्य को उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि महात्मा गांधी के असहयोग प्रस्ताव का चितरंजन दास ने विरोध किया था।
♦️▪️साइमन कमीशन का आगमन - 1928 ई०
♦️▪️दांडी मार्च नमक सत्याग्रह - 1930 ई०
🔸🔸नमक कानून तोड़ने के लिए गांधी ने बुधवार 12 मार्च को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से अपने 78 सहयोगियों के साथ 'दांडी यात्रा' प्रारम्भ की।
साबरमती आश्रम छोड़ते समय गांधी ने प्रतिज्ञा ली कि स्वराज मिलने के बाद ही अब वहां लौटेंगे।
🔸🔸दुर्गादास के अनुसार आश्रम से रवाना होने से पहले गांधी ने ~~ 'विजय या मृत्यु' (Victory or Death) का नारा दिया था। सत्याग्रहियों के जत्थे ने पहले दिन 13 मील की यात्रा तय करने के बाद असलाई नामक स्थान पर रात्रि विश्राम किया। यात्रा के दौरान 19 मार्च को पर्याप्त अनिच्छा के साथ गांधी ने खेड़ा जिले के बरसाड ताल्लुके में स्थित रास नामक स्थान के पाटीदारों की मालगुजारी की नाअदायगी का आंदोलन प्रारम्भ करने की मांग को स्वीकार कर लिया।
22 मार्च को जंबूसर में मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू ने गांधी के साथ कुछ दूर तक यात्राकी और इलाहाबाद स्थित अपना निवास स्थान 'आनन्द भवन' राष्ट्र को सौंप दिया। मजे की बात यह है कि मोतीलाल नेहरू ने दांडी यात्रा प्रारम्भ होने से पहले गांधी के प्रयास की सार्थकता और नमक बनाने के बारे में खुले तौर पर शंका प्रकट की थी।
गांधी के 'तकुए जैसे शरीर' और 'मकड़ी जैसे पेडू' का मजाक उड़ाने वाली अमेरिकी पत्रिका 'टाइम' ने भी अपनी पहली रिपोर्ट में नमक यात्रा के मजिल तक पहुंचने के प्रति गहरी शंका प्रकट की थी। उसने दावा किया कि दूसरे दिन पैदल चलने के बाद गांधी 'जमीन पर पसर गए।' लेकिन एक सप्ताह बाद ही पत्रिका की राय बदल गई, जब उसने लिखा कि नमक यात्रा को मिले जनसमर्थन ने अंग्रेज शासकों को गहरे तौर पर बैचेन कर दिया है। गांधी 'ईसाई धर्मावलबियों के खिलाफ ईसाई तरीकों का ही हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।' माही, तापी व मिधोला नदियों को पार करते हुए सत्याग्रहियों का जत्था 5 अप्रैल को नौसारी जिले के दाण्डी नामक स्थान पर पहुंच गया। कुल 241 मील की इस यात्रा के दौरान उनके द्वारा एक दिन में सर्वाधिक दूरी (मटार से नाडियाड के बीच 15 मील) 15 मार्च को तय की गई जबकि सबसे कम यात्रा के पच्चीसवें और अंतिम दिन 5 अप्रैल को मात्र 4 मील (कराड़ी से दाण्डी) तय की गई। यात्रा के दौरान प्रत्येक सोमवार (17, 24 और 31 मार्च) को गांधी ने क्रमशः आनंद, सामनी और डेलाड नामक स्थानों पर विश्राम के दिन रखे। सत्याग्रहियों में गांधी (उम्र 61 वर्ष) सबसे वयोवृद्ध तथा विठ्ठल लीलाधर ठक्कर (साबरमती आश्रम की स्कूल का 16 वर्षीय छात्र) सबसे युवा थे। अधिकांश सत्याग्रहियों की आयु 25 वर्ष के लगभग था।
गांधी जी की लाठी से जुड़े तथ्य
गांधीजी की प्रसिद्ध लाठी पहली बार 1930 में दांडी मार्च के समय उनके पास आई, फिर हमेशा साथ रही
ये लाठी कर्नाटक के समुद्र तटीय किनारे के एक इलाके में पैदा होती है और हल्की होती है
दांडी मार्च से पहले की गांधीजी की तस्वीरों और बाद की तस्वीरों में एक अंतर तो साफतौर पर नजर आता है. वो है लाठी. पहले वो लाठी के साथ नहीं रहते थे. जब 1930 को उन्होंने दांडी मार्च के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया तो उनके हाथ में लाठी आ चुकी थी. तो उनकी इस प्रसिद्ध लाठी की कहानी क्या है. ये किसने दी थी.
12 मार्च 1930 को जब 60 वर्षीय महात्मा गांधी अहमदाबाद के अपने साबरमती आश्रम से नमक कानून तोड़ने के लिए ऐतिहासिक यात्रा पर निकल रहे थे तो उनके सहकर्मी और मित्र काका कालेलकर ने सोचा कि इतनी लंबी पदयात्रा में गांधी को साथ में सपोर्ट लेने के लिए एक छड़ी काम में आ सकती है.
इसलिए उन्होंने महात्मा को वो लाठी सौंपी, जिसका इस्तेमाल महात्मा गांधी ने दांडी मार्च में 240 मील की लंबी यात्रा में किया. इस लाठी को लेकर गांधीजी 24 दिनों तक रोज दस मील पैदल चलते थे. वह इस मार्च में सबसे आगे रहते थे. कभी कभी उनकी लाठी का एक सिरा बच्चा पकड़ लेता था और आगे चलने लगता था लेकिन उसका दूसरा सिरा हमेशा गांधीजी के पास होता था। दांडी मार्च के दौरान उन्होंने जिस छड़ी का उपयोग किया, वह आंदोलन का ही प्रतीक बन गई. ये गांधीजी की लाठी के तौर पर प्रसिद्ध हो गई.
ये लाठी कई हाथों से गुजरकर गांधीजी के पास आई
हालांकि जिस पहली लाठी को गांधीजी ने इस्तेमाल किया वो गांधीजी के हाथों में आने से पहले कई हाथों से गुज़री थी. ये मूल रूप से प्रसिद्ध कन्नड़ कवि एम गोविंद पई (1883-1963) की थी, जो तटीय कर्नाटक में मंगलुरु (तत्कालीन मैंगलोर) के पास मंजेश्वर गांव में रहते थे. पई अपने समय के विख्यात कवि, लेखक और शोधार्थी थे. वह एक कट्टर राष्ट्रवादी थे. अपने लेखन के जरिए उन्होंने छुआछूत जैसी कुरीतियों का विरोध किया।
चूंकि पई गांधी से बहुत प्रभावित थे, इसलिए जब वह 30 वर्ष के थे, तो वह राष्ट्रीय शिक्षा में अपनी सेवाएं देने के लिए गुजरात के नवसारी की ओर चले आए. जिस विद्यालय गंगानाथ सर्वा में वह पढ़ाने आए, उसकी स्थापना अरबिंदो घोष की प्रेरणा से राष्ट्रवादी केशवराव देशपांडे ने की थी. यहीं पई की मुलाकात प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और विद्वान काका कालेलकर से हुई, जो वहां प्रिंसिपल थे. उनके बीच ऐसी दोस्ती हुई जो जीवनभर कायम रही.पई जब इस स्कूल से विदा ले रहे थे तो उन्होंने अपने मित्र कालेलकर को उपहार में वो छड़ी दी, जो उन्हें उनके दादा ने इस्तेमाल की थी. बाद कालेलकर ने इसे गांधीजी को दिया. ये लाठी गांधीजी के पास 30 जनवरी 1948 तक रही, जब उनकी हत्या हुई. ये लाठी नई दिल्ली के राजघाट स्थित राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय में रखी है.
♦️▪️गाँधी इरविन समझौता - 1931 ई०
♦️▪️कैबिनेट मिशन का आगमन - 1946 ई०
♦️▪️महात्मा गांधी की हत्या - 1948 ई.
विभिन्न क्षेत्रों में गांधी की उपाधि :;
1अमेरिका का गांधी- मार्टिन लूथर
2.भारत का गांधी- मोहनदास करमचंद गांधी
3.राजस्थान का गांधी- गोकुलभाई भट्ट
4.चिड़ावा का गांधी -मास्टर प्यारेलाल गुप्ता
5.मालाणी का गांधी -वर्दीचंद्र जैन
6.मेवाड़ का गांधी- माणिक्य लाल वर्मा
7. आदिवासियों का गांधी - मोतीलाल तेजावत
8. वागड़ का गांधी- भोगी लाल पांडेय
♦️▪️चीन का भारत पर आक्रमण 1962 ई०
♦️▪️भारत - पाक युद्ध - 1965 ई०
♦️▪️ताशकंद- समझौता - 1966 ई०
♦️▪️तालिकोटा का युद्ध - 1565 ई०
♦️▪️प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध - 1776- 69 ई०
♦️▪️द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध - 1780- 84 ई०
♦️▪️तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध - 1790- 92 ई०
♦️▪️चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध - 1799 ई०
♦️▪️कारगिल युद्ध - 1999 ई०
♦️▪️प्रथम गोलमेज सम्मेलन - 1930 ई०
12 नवंबर 1930 को सम्राट जार्ज पंचम ने भारतीय गोलमेज सम्मेलन का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया था उसे गोलमेज सम्मेलन का महत्व इस बात से था कि इसमें ब्रिटिश सरकार ने भारत के लिए संविधान निर्माण में भारतीयों से परामर्श करने के लिए उनके अधिकार को मान्यता दी और अस्पृश्यों के लिए इतिहास में यह बात एक बहुत महत्वपूर्ण घटना थी यह प्रथम अवसर था जब अस्पृश्यों को इसमें अपने दो प्रतिनिधि पृथक से भेजने की अनुमति मिली, जिसमें से एक भीमराव अंबेडकर थे दूसरे वह नेता कौन थे जिनको अस्पृश्यों का प्रतिनिधि चुना गया था ??
♦️▪️द्वितीय गोलमेज सम्मेलन - 1931 ई०
♦️▪️तृतीय गोलमेज सम्मेलन - 1932 ई०
♦️▪️क्रिप्स मिशन का आगमन - 1942 ई०
♦️▪️चीनी क्रांति - 1911 ई०
♦️▪️फ्रांसीसी क्रांति - 1789 ई०
♦️▪️रुसी क्रांति - 1917 ई०
■■भारत के झंडे के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य■■--
●पहली बार कांग्रेस का झंडा 7 अगस्त 1906 को सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने कोलकाता में फहराया था और यह तीन रंगो तक का था जिसमें "वंदे मातरम" शब्द भी अंकित था
●फिर 1907 में "मैडम कामा" ने पेरिस में झंडा फहराया था, यह राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाली पहली महिला थी !
●उसके बाद 1921 में "महात्मा गांधी" ने कांग्रेस का झंडा बनाया था जिसमें सफेद, हरी और लाल रंग की पट्टियों के साथ चरखे का चिन्ह बना हुआ था
●और फिर अंततः 22 जुलाई 1947 को भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा स्वीकृत किया गया था! मूलतः य़ह तिरंगा (केसरिया ,सफेद और हरा ) 1931 में कांग्रेस द्वारा अपनाया गया था जिसमें वर्तमान "अशोक चक्र" के चिन्ह की जगह चरखा अंकित था.
✍️राजवंशों के संस्थापक और अंतिम सम्राट :-
❑ नन्द वंश
संस्थापक ➛ महापद्म या उग्रसेन
अंतिम शासक ➛ धनानंद
❑ मौर्य वंश
संस्थापक ➛ चंद्रगुप्त मौर्य
अंतिम शासक ➛ बृहद्रथ
❑ गुप्त वंश
संस्थापक ➛ चंद्रगुप्त प्रथम
अंतिम शासक ➛ स्कंदगुप्त
❑ शुंग वंश
संस्थापक ➛ पुष्यमित्र शुंग
अंतिम शासक ➛ देवभूमी
❑ सातवाहन वंश
संस्थापक ➛ सिमुक
अंतिम शासक ➛ यज्ञ शातकर्णी
❑ (वतापी के) चालुक्य वंश
संस्थापक ➛ पुलकेशिन् प्रथम
अंतिम शासक ➛ कीर्तीवर्मन चालुक्य
❑ चोल वंश
संस्थापक ➛ विजयालय
अंतिम शासक ➛ अथिराजेंद्र
❑ राष्ट्रकूट वंश
संस्थापक ➛ दंतीदुर्ग
अंतिम शासक ➛ इंद्र चतुर्थ
❑ सोलंकी वंश
संस्थापक ➛ मूलराज प्रथम
❑ गुलाम वंश
संस्थापक ➛ कुतुबुद्दीन ऐबक
अंतिम शासक ➛ मुइज़ुद्दिन क़ैकाबाद
❑ खिलजी वंश
संस्थापक ➛ जलाल उद्दीन
अंतिम शासक ➛ खुसरो खान
❑ तुगलक वंश
संस्थापक ➛ गियाज़ुद्दिन तुगलक
अंतिम शासक ➛ फिरोज शाह तुगलक
❑ लोधी वंश
संस्थापक ➛ बहलोल लोधी
अंतिम शासक ➛ इब्रहीम लोधी
❑ मुगल वंश
संस्थापक ➛ बाबर
अंतिम शासक ➛ बहादुर शाह द्वितीय
मंदिर व उनसे जुड़े राजवंश
🏛 खजुराहो
➣ (बुंदेल या चंदेल राजवंश) छतरपुर, मध्य प्रदेश
🏛 कैलाश मंदिर
➣ (राष्ट्रकूट) एलोरा, महाराष्ट्र।
🏛 हजार खंभा मंदिर
➣ (काकतीय वंश) वारंगल (तेलंगाना)
🏛 रामप्पा मंदिर
➣ (काकतीय वंश) वारंगल (तेलंगाना)
🏛 बृहदेश्वर मंदिर
➣ (चोल वंश) तंजौर, तमिलनाडु
🏛 महाबलीपुरम के रथ मंदिर, तटीय मंदिर
➣ (पल्लव वंश) महाबलीपुरम, तमिलनाडु
🏛 कैलाशनाथ मंदिर
➣ (पल्लव वंश कांचीपुरम) तमिलनाडु
🏛 दिलवारा मंदिर
➣ (सोलंकी वंश) माउंट आबू, राजस्थान
🏛 हजारा राम मंदिर
➣ (विजयनगर वंश) हम्पी, कर्नाटक
🏛 विरुपक्श मंदिर
➣ (चालुक्य वंश) पट्टाडकल, कर्नाटक
🏛 सूर्य मंदिर
➣ (सोलंकी वंश) मोढ़ेरा, गुजरात
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