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73 वाॅ संविधान संशोधन ग्राम पंचायतों का गठन

भारत के संविधान में 73वें संविधान संशोधन।

भारत के संविधान में 73वें और 74वें संशोधन ने स्थानीय निकायों के माध्यम से विकेन्द्रीकृत लोकतान्त्रिक प्रशासन स्थापित और आर्थिक एवं सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को जनता के दरवाजे पर ले जाने जैसे युगांतरकारी प्रतिमान स्थापित किए। महत्वपूर्ण बात यह है कि अब पंचायतें भी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की तरह जनता द्वारा सीधे निर्वाचित की जाती हैं।

① 73वें और 74वें संशोधन के बाद प्रशासनिक व्यवस्था की जो विशिष्टताएं सामने आईं-

• पूरे राज्य में स्थानीय स्वशासन ने ढांचागत एकरूपता प्राप्त की;

• स्थानीय प्रशासन (अर्थात् पंचायत) के स्तर पर एक निश्चित अवधि पर चुनाव कराया जाना अनिवार्य हो गया;

• पंचायतों के तीनों स्तरों के लिए चुनाव कराए जाने की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दी गई:

• पंचायतों की 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गईं;

• विकास की प्रक्रिया में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ग्रामसभाओं का गठन किया गया;

• विकास सम्बन्धी योजना निर्माण के क्रियाकलापों में स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी पर जोर दिया गया।

2.भारत में पंचायती राज के इतिहास में 24 अप्रैल, 1993 एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है, क्योंकि पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक हैसियत प्रदान करने के लिए संविधान (73वें संशोधन) अधिनियम, 1992 इसी दिन प्रभाव में आया। 73वें संशोधन अधिनियम (1992) के द्वारा संविधान पंचायतों के संस्थागत अस्तित्व की गांरटी देता है। संशोधन अधिनियम (1992) में जोड़ी गई ग्यारहवीं अनुसूची एक प्रयोगधर्मी त्रिस्तरीय संघात्मक व्यवस्था के लिए रास्ते का निर्माण करते हुए राज्य विधानसभा और पंचायतों के बीच शक्तियों का बंटवारा करती है। साथ ही, संविधान राज्य विधानसभाओं को यह शक्ति भी देता है कि वे पंचायतों को स्वशासन की संस्था के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक शक्तिया और अधिकार दे सकें।

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों द्वारा उनके अपने कर्मचारियों की भर्ती, उनकी नियुक्ति एवं उन पर नियन्त्रण के द्वारा; तथा 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 की प्रमुख विशेषताएं

• उन सभी राज्यों को त्रि-स्तरीय पंचायती राज की व्यवस्था देना, जिनकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक है।

• हर पांच वर्ष बाद पंचायतों के चुनाव कराना।

• अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान करना।

अनुच्छेद विषय-वस्तु

243 परिभाषाएँ

243 (A) ग्राम सभा

243 (B) पंचायतों का गठन

243 (C) पंचायतों की संरचना

243 (D) स्थानों का आरक्षण

243 (E) पंचायतों की अवधि आदि

243 (F) सदस्यता के लिए निरर्हताएँ

243 (G) पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व

243 (H) पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियाँ और उनकी निधियाँ

243 (I) वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन

243 (J) पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा

243 (K) पंचायतों के लिए निर्वाचन

243 (L) संघ-राज्य क्षेत्रोंं में लागू होना

243 (M) इस भाग का कतिपय क्षेत्रोंं पर लागू न होना

243 (N) विद्यमान विधियों और पंचायतों का बने रहना

243 (O) निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्ज़न।

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