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ब्रिटिश न्याय व्यवस्था का सगंठन विशेषताएं

 

ब्रिटिश न्याय व्यवस्था (Judicial System) एक जटिल प्रणाली है जो इंग्लैंड और वेल्स, स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड के लिए अलग-अलग है। यह प्रणाली सामान्य कानून (common law) पर आधारित है, जिसमें कानून बनाने के साथ-साथ न्यायिक मिसाल (precedent) भी शामिल है। संसद कानून पारित करती है, और न्यायपालिका कानूनों की व्याख्या और लागू करने के लिए जिम्मेदार है. 

न्यायधीश की नियुक्ति


सुप्रीम कोर्ट सभी सिविल मामलों और इंग्लैंड और वेल्स तथा उत्तरी आयरलैंड के अधिकार क्षेत्र से आपराधिक मामलों के लिए यूनाइटेड किंगडम का सर्वोच्च न्यायालय है। न्यायाधीशों की नियुक्ति ब्रिटिश सम्राट द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है, जो चयन आयोग से सिफारिशें प्राप्त करते हैं।चयन प्रक्रिया के दौरान लॉर्ड चांसलर, स्कॉटलैंड के प्रथम मंत्री, वेल्स के प्रथम मंत्री, उत्तरी आयरलैंड न्यायिक नियुक्ति आयोग और पूरे ब्रिटेन के वरिष्ठ न्यायाधीशों से परामर्श किया जाता है। आवेदकों को योग्यता के आधार पर चुना जाता है और फिर चयन आयोग द्वारा उनका साक्षात्कार लिया जाता हैअप्रैल 2006 से न्यायिक नियुक्तियाँ एक स्वतंत्र न्यायिक नियुक्ति आयोग की जिम्मेदारी रही हैं । इससे पहले नियुक्तियाँ लॉर्ड चांसलर की सिफारिश पर की जाती थीं, जो एक सरकारी मंत्री थे।

योग्यता
कोई भी विधि स्नातक, जिसने बार काउंसिल ऑफ इंडिया में नामांकन कराया हो तथा जिसके पास अधिवक्ता के रूप में 7 वर्ष से अधिक का अनुभव हो, उच्चतर न्यायिक सेवाओं के लिए आवेदन करने के लिए पात्र है। उच्चतर न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए निर्धारित आयु सीमा 35 वर्ष है, हालांकि कुछ राज्यों में इसमें उतार-चढ़ाव हो सकता है।

ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की कुछ प्रमुख अदालतें:

सुप्रीम कोर्ट:
अपील की अंतिम अदालत.
कोर्ट ऑफ अपील:
उच्च न्यायालय और अन्य न्यायालयों के निर्णयों के खिलाफ अपील सुनता है.

हाई कोर्ट:
दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है.

क्राउन कोर्ट:
आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है.

मैजिस्ट्रेट कोर्ट:
आपराधिक मामलों के एक छोटे से हिस्से की सुनवाई करता है.


अन्य न्यायाधिकरण:
विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई करते हैं, जैसे कि आप्रवासन, लाभ और रोजगार.


ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताएं
1. एकरूपता का अभाव
ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताएं ; ब्रिटिश न्याय व्यवस्था संपूर्ण राज्य के लिए समरूप नहीं है। इंग्लैंड और वेल्स में एक प्रकार की न्याय व्यवस्था है जो स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड में इनसे अलग न्याय व्यवस्था को अपनाया गया है।

2. निशुल्क कानूनी सहायता
जो व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से निर्बल होते हैं, उन्हें निशुल्क कानूनी सहायता प्राप्त हो सकती हैं। लॉर्ड कैनिंग ने 10 जनवरी 1976 को मुंबई विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए कहा था,- निशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था ने इंग्लैंड की संपूर्ण व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिए हैं।

3. विधि का शासन
मैग्ना कार्टा के पश्चात ब्रिटेन में विधि के शासन को अपनाया गया है। प्रत्येक नागरिक विधि के समक्ष समान हैं और उसको बिना कारण बताएं नजरबंद अथवा बंदी नहीं बनाया जा सकता है।

4. न्याय की पुनरावलोकन का अभाव
ब्रिटेन में संसाधनों की शासन व्यवस्था है तथा संसद सर्वोच्च है वहां न्यायालयों को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार नहीं है। ब्रिटेन का संविधान अलिखित और इस कारण भी न्यायिक पुनरावलोकन की स्थिति का भाव देखने को मिलता है।

5. कानून का असंहिता बद्ध रूप
ग्रेट ब्रिटेन में अधिकांश कानून संहिता बंद नहीं है अपितु उस रूप में है जिसे सामान्य कानून की संज्ञा दी जाती है और जिसे हम न्यायालयों के विभिन्न निर्णयों में देख सकते हैं। औचित्य के आधार पर न्यायाधीशों के द्वारा दिए गए निर्णय भी और संहिता बद्ध कानून का ही एक बड़ा भाग है। परंतु वर्तमान समय में संसद का अधिकार- क्षेत्र बढ़ने के कारण ब्रिटेन में संसदीय कानून तथा प्रदत विधायन का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है तथा कानून का यह रूप संहिता बंद ही है।

6. विकेंद्रित न्याय व्यवस्था
ब्रिटिश न्यायिक पद्धति की एक विशेषता उसके सर्किट न्यायालय है जो स्थान स्थान पर जाकर मुकदमों की सुनवाई करते हैं। इससे न्याय व्यवस्था भी केंद्रित हो गई है तथा नागरिकों को न्याय प्राप्त करने में सुविधा भी होती है।

7. न्यायाधीशों की निष्पक्षता

इंग्लैंड के न्यायधीश अपनी ईमानदारी और निष्पक्षता के लिए प्रसिद्ध है। इस संबंध में सर आइवर जेनिक्स का विचार है कि ब्रिटिश न्यायाधीशों के विरुद्ध कभी भी पक्षपात, भ्रष्टाचार या राजनीतिक प्रभाव का आरोप नहीं लगाया जाता है।

8. प्रशासनिक न्यायालयों का आभाव
ब्रिटेन में सभी नागरिकों पर एक जैसा ही कानून लागू होता है और एक ही कानून के अंतर्गत कार्यवाही की जानी है। इस प्रकार फ्रांस आदि अन्य राज्यों की न्यायिक व्यवस्था के समान ब्रिटेन में सरकारी अधिकारियों के लिए अलग प्रशासकीय न्यायालय की स्थापना नहीं की गई है।

9. न्यायपालिका की स्वतंत्रता
ब्रिटेन में न्यायाधीशों की स्वतंत्रता को बनाए रखा गया है। वहां न्यायाधीशों की पद स्थाई हैं और केवल अभियोग लगाकर एक विशिष्ट एवं जटिल प्रक्रिया द्वारा ही उनको अपदस्थ किया जा सकता है। इस प्रकार पदों के स्थायित्व के कारण न्यायधीश अपेक्षाकृत स्वतंत्रता का उपयोग करते हैं। न्यायिक कार्यवाही खुले रूप में होती है तथा न्यायाधीश अपने निर्णय के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करते हैं। नागरिकों को निर्णय के विरुद्ध अपील करने का भी अधिकार होता है। इस प्रकार ब्रिटिश न्यायालय व्यवस्था स्वतंत्रता निष्पक्ष है तथा इन संबंध में जेनिंग्स ने यह कहा है, “ब्रिटिश न्यायालय के विरुद्ध कभी भी पक्षपात भ्रष्टाचार अथवा राजनीतिक प्रभाव का आरोप नहीं लगाया जाता है।”    

10. जूरी प्रथा
ब्रिटेन में जूरी प्रथा का प्रचलन है तथा जूरी अपनी निष्पक्षता, निडरता, निर्ममता, क्षमता और इमानदारी के लिए विश्व विख्यात है जो नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए देश के संकुचित तथा कठोर कानूनों पर प्रहार भी करती है। जूरी प्रथा के कारण न्याय के साथ दया का संरक्षण हो जाता है। जूरी ने अनेक बार दमनकारी तथा संकुचित कानून से नागरिकों की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जूरी का प्रयोग सामान्यतः फौजदारी अभियोगों में किया जाता है।

11. जनता की स्वतंत्रता की संरक्षिता
ब्रिटेन में न्यायाधीशों व न्यायालयों ने जनता के अधिकारों और स्वतंत्रता ओं की सुरक्षा की है। इसलिए इंग्लैंड मैं न्यायालयों को ‘जनता की स्वतंत्रता का संरक्षक’ कहा जाता है।

12. न्याय विभाग का सुव्यवस्थित संगठन

19 वीं शताब्दी तक ब्रिटिश न्याय विभाग सुव्यवस्थित नहीं था और ना ही न्यायालय के कार्य क्षेत्रों में विशेषज्ञता के आधार पर कोई विभाजन किया गया था। परंतु वर्तमान समय में न्यायालयों को एक सूत्र में आप बंद कर दिया गया है और न्याय विभाग का सुव्यवस्थित संगठन कर दिया गया है।

13. वकीलों की दोहरी प्रणाली

ब्रिटेन में दो प्रकार के वकील होते हैं—

(1) कानूनी परामर्श देने वाले जिन्हें सॉलीसीटर कहा जाता है।

(2) बैरिस्टर जो मुकदमा लड़ते हैं।#politworld360


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