15 अगस्त महत्वपूर्ण तथ्य,Indian Independence Day
15 अगस्त को ही क्यों मिली थी आजादी ?
साल 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में चुनाव हुए। जहां पर लेबर पार्टी ने जीत हासिल की और अपने चुनावी वादे को भी निभाया। लेबर पार्टी ने कहा था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो ब्रितानी उपनिवेशवाद को समाप्त कर दिया जाएगा। जिसका मतलब था भारत सहित कई गुलाम मुल्कों को आजाद कर दिया 30 जून 1948 तक लेना था बड़ा फैसला
दरअसल, इसकी शुरुआत तक हुई, जब अंग्रेजों ने भारत की सत्ता को वापस देने का फैसला किया। उन्होंने इसके लिए एक टाइम पीरियड तय किया। ब्रिटिश संसद ने 30 जून 1948 तक भारत की सत्ता हस्तांतरित करने का वक्त दिया।
एक तरफ गांधी जी भारत छोड़ो आंदोलन में थे, दूसरी तरफ नेहरू और जिन्ना के बीच बंटवारे का मुद्दा गर्माया था। इस बीच 30 जून 1948 तक बड़ा फैसला होने वाला था। तब माउंटबेटन ने ज्यादा इंतजार न करते हुए एक साल पहले यानी 1947 में ही भारत की आजादी का फैसला किया। अब सिर्फ तारीख तय करनी थी।
माउंटबेटन द्वारा दी गई समीक्षा के ठीक बाद 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स (British Parliament’s House Of Commons) में भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया गया था. 18 जुलाई 1947 को, भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को शाही स्वीकृति दी गई और यह लागू हो गया और इसने भारत में ब्रिटिश शासन (British Rule) का अंत किया.
फ्रीडम एट मिडनाइट (Freedom at Midnight) में लॉर्ड माउंटबेटन के हवाले से बताया गया कि उन्होंने भारत के स्वतंत्रता दिवस की तारीख के रूप में 15 अगस्त को ही क्यों चुना? किताब के अनुसार माउंटबेटन कहते हैं, 'मैंने जो तारीख चुनी वो अचानक थी. मैंने यह तारीख एक सवाल के जवाब में चुना. मैं यह बताना चाहता था कि सबकुछ मेरे हाथ में है. उन्होंने जब मुझसे पूछा कि क्या मैंने कोई तारीख तय की है? तो मैं जानता था कि ये जल्दी होना चाहिए. मैंने तब तक कोई तारीख नहीं सोची थी, लेकिन मान रहा था कि ये अगस्त या सितंबर का महीना हो सकता है. इसके बाद मैंने 15 अगस्त कहा. क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के आत्मसमर्पण करने की ये दूसरी बरसी थी.' इसके बाद ही भारत की आजादी के बिल में 15 अगस्त की तारीख तय की गई.
जानकारों का कहना है कि 15 अगस्त वाला फैसला माउंटबेटन ( Lord Mountbatten ) का पर्सनल था। माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को काफी शुभ मानता था। लिहाजा, उसने भारत को भी आजाद करने के लिए इसी तारीख का चयन किया था। इसके पीछे यह भी कारण दिया जाता है कि 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध ( Second World War ) के दौरान जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था। उसक वक्त लॉर्ड माउंटबेन अलाइड फोर्सेज का कमांडर था। हालांकि, कुछ जानकारों का यह भी कहना था कि माउंटबेटन लोगों को यह भी दिखाना चाहता था कि सारा फैसला उसके हाथ में ही है। इसलिएअ, उसने भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख ही तय की! अंग्रेजों ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के अनुसार भारत और पाकिस्तान को 1947 में 14 और 15 अगस्त के बीच की रात आजाद किया था. 12 बजते ही दो देश वजूद में आ गए थे. महात्मा गांधी नहीं थे मौजूद-:
जब राजधानी दिल्ली में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था उस वक्त महात्मा गांधी दिल्ली से हजारों किमी दूर पश्चिम बंगाल के नोआखली में थे और राज्य में शांति कायम करने का प्रयास कर रहे थे। जानकार बताते हैं कि पंडित नेहरू के ऐतिहासिक भाषण को पूरे देश ने सुना था मगर गांधी जी नहीं सुन पाए थे। भारत के साथ आजादी का जश्न मनाने वाले देशों में उत्तरी कोरिया, दक्षिणी कोरिया के अलावा बहरीन, कांगो और लीख़्टेनश्टाइन शामिल हैं. भारत की तरह इन पांचों देशों को भी आजादी 15 अगस्त को हासिल हुई थी. राष्ट्रीय शोक दिवस का इतिहास
दरअसल शेख मुजीबुर रहमान को बांग्लादेश के ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भी जाना जाता है। इसके साथ ही उब्न्हे अक्सर ‘मुजीब’ या ‘शेख मुजीब’ के रूप में भी जाना है लेकिन मुजीब और उनके परिवार के अधिकांश सदस्यों की 15 अगस्त 1975 को सैन्य तख्तापलट के चलते सेना के अधिकारियों के एक छोटे समूह द्वारा बेदर्दी से हत्या कर दी गई थी। इसी दिन की याद में अब हर साल की 15 अगस्त को बांग्लादेश में राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया जाता है।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?
*पहला अंतर*
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है।
जबकि
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है।
*दूसरा अंतर*
15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं।
जबकि
26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं
*तीसरा अंतर*
स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है।
जबकि
गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है जय हिन्द राजेश कुमार राजनीतिक विश्लेषक
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