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अखंड भारत=भारत और पाकिस्तान

आखिर भारत का विभाजन कैसे हुआ

अंग्रेजों के भारत आगमन के साथ ही भारत विभाजन की नीवं पड़ गई थी क्योंकि वे न तो हिंदुओं के मित्र थे और ना ही मुसलमानों की वे केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद के मित्र थे जैसा कि 1853 से 1860 तक मुंबई के गवर्नर रहे एलफिनस्टन ने लिखा है कि बांटो और राज्य करो यह प्राचीन रोमन कहावत थी और हमारी भी होनी चाहिए तथा भारत में विभिन्न धर्मों का एक साथ होना हमारी राजनीति की स्थिति के लिए बहुत अच्छी बात है,                                                         1857 की क्रांति में जब बहादुर शाह जफर के नेतृत्व में विद्रोह हुआ तो अंग्रेजों के मन में मुसलमानों के प्रति कटुता दी गई और वह भी आंदोलन ने इसे और कटुता को बढ़ाया लेकिन इसी दौरान 1871मे W W हन्टर ने अपनी पुस्तक भारतीय मुसलमान में लिखा कि मुसलमान इतने कमजोर है कि वह विद्रोही कर ही नहीं सकते और उन्होंने मुसलमानों के प्रति उदारता बरतने का सुझाव दिया...                           इसी दौरान सर सैयद अहमद खान का आगमन होता है प्रारंभ में हिंदू और मुसलमान की एकता के बड़े समर्थक थे उनका कथन था कि हिंदू और मुसलमान एक सुंदर वधू की दो आंखे है लेकिन जब 1887 में बदरुद्दीन तैयब जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया तब उनका दृष्टिकोण बदल गया और उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि हिंदू और मुसलमान न केवल दो राष्ट्र हैं अपितु विरोधी राष्ट्र हैं और इन्होंने कांग्रेस का विरोध करने के लिए 1888 में यूनाइटेड इंडियन पैट्रियोटिक एसोसिएशन बनाया... इस को आगे बढ़ाने के लिए बाद में मुस्लिम लीग जिसकी स्थापना 30 दिसंबर 1906 को ढाका में मुसलमानों में अंग्रेजी सरकार के प्रति राजनीति को बढ़ावा देने के लिए के उद्देश्य से की गई थी जिसके प्रिंसिपल थियोडोर बैक ,मोरीसन और आर्चबोल्ड ने किया
1937 के चुनाव में मुस्लिम लीग कोई खास कर प्रदर्शन नहीं कर पाई (  1935 के अधिनियम के तहत 1937 में प्रांत में हुए चुनाव में 11 प्रांतों में से 8 प्रांतों में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी बंगाल में फजल उल हक ने बंगाल कृषक प्रजा पार्टी, पंजाब में सिकंदर हयात खान तथा सिंध में गुलाम हुसैन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनी थी) तब उन्होंने फिर पुर के राजा के नेतृत्व में एक समिति नियुक्त की जिस ने कहा कि बहुसंख्यक अन्याय से बढ़कर कोई अन्याय नहीं इसके बाद पाकिस्तान  दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है क्योंकि 23 मार्च 1940 को मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में जिन्ना ने पहली बार पृथक मुस्लिम राज्य के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया था (  पाकिस्तान प्रस्ताव 1940. की रुपरेखा खलीकउज्जमा ,फजलुल हक और  सिकन्दर हयात खाँ ने किया)... 8 अगस्त 1940 को अगस्त प्रस्ताव में भी तत्कालीन वायसराय लिनलिथगो ने प्रस्ताव रखा कि अंग्रेजी सरकार किसी भी जैसी राज्य प्रणाली का समर्थन नहीं करेगी जिसमें उस सरकार के अधिकार को देश की एक प्रमुख जाती स्वीकार करें,                                                          1942 के क्रिप्स मिशन में भी उन्होंने प्रांतों को यह छूट प्रदान कर दी कि वे भारतीय संघ में विलय होना चाहें तो अपनी इच्छा पर निर्भर है...                                                 कैबिनेट मिशन के अनुसार हुए चुनाव में भी मुस्लिम लिग को 73 स्थान मिले थे जिसके कारण इन्होने 16 अगस्त 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के तहत पूरे भारत में दंगे हुए!          2 सितंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार गठित की गई थी प्रारंभ मे तो मुस्लिम लीग इसमें शामिल नहीं हुई लेकिन 26 अक्टूबर 1946 को रुकावट डालने के लिए इन्होंने मंत्रिमंडल में शामिल होना स्वीकार कर लिया जिसके तहत लियाकत अली समेत पांच व्यक्तियों को अंतरिम सरकार में मंत्री बनाया गया और अंत में 3 जून 1947 को माउंटबेटन योजना के तहत भारत विभाजन की घोषणा कर दी गई तथा जुलाई 1947 में इसे पारित करके 15 अगस्त 1947 को भारत दो टुकड़ों में बंट गया

यहां इस तथ्य को उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि भारतीय विभाजन के लिए रेडक्लिफ को भारत बुलाया गया था जिन्होंने शिमला में रहते हुए भारत विभाजन की रेडक्लिफ रेखा का निर्धारण किया इन्हें इस कार्य के लिए केवल 6 सप्ताह का समय दिया गया था इस कार्य के लिए उन्हें 80 हजार का वेतन भी मिला था लेकिन दंगों में मारे गए लोगों को देखकर उन्होंने यह वेतन लेने से इनकार कर दिया और 17 अगस्त 1947 को भारत-पाकिस्तान के बीच रेड क्लिफ रेखा की पुष्टि कर दी गई...                                                                                                                            

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