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भारत की शान तिरंगा

जिस व्यक्ति ने भारत की शान तिरंगे का निर्माण किया उसका नाम 'पिंगली वेंकैया' है और उन्होंने ध्वज का निर्माण 1921 में किया था. लेकिन इसे बनाना इतना आसान नहीं था. इसे बनाने से पहले उन्होंने 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया,      उसके बाद जाकर अपने तिरंगे को बनाया                                            फहराया पहला झंडा                                                  7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।                                                             देश का दूसरा झंडा                                                पेरिस में फहराया गया था, हालांकि इसके समय को लेकर इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ का कहना है कि क्रांतिकारी मैडम कामा और उनके साथियों द्वारा यह झंडा 1907 में फहराया गया था, वहीं कुछ का कहना है कि यह घटना 1905 में हुई थी। यह ध्‍वज भी रंग में पहले जैसा ही था, लेकिन डिजाइन में थोड़ा बदलाव किया गया था। इसमें ऊपर की पट्टी पर केवल एक कमल और सात तारे थे, जो सप्‍तऋषि तारे को दर्शाते हैं। यह झंडा बर्लिन में हुए समाजवादी सम्‍मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।

बीसेंट और तिलक ने फहराया तीसरा झंडा

देश का तीसरा झंडा घरेलू शासन आंदोलन के दौरान डॉ एनी बीसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने 1917 में फहराया था। इस झंडे में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां थी। इसमें भी सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे, वहीं बांई और ऊपरी किनारे पर यूनियन जैक था, एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।                                  राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं: केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है। शीर्ष में केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है।                       रोचक जानकारी-                                                     देश में सिर्फ तीन जगहें ऐसी हैं जहां पर तिरंगे (Tricolour) को 3 अनुपात 2 में न फहराकर 21 अनुपात 14 में फहराया जाता है. ये वो तीन जगहें कर्नाटक (Karnataka) का नारगंड किला, महाराष्ट्र (Maharashtra) का पनहाला किला और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर का किला.                                                                           संविधान के अनुच्छेद 51 A(a) के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों एवं संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रगान का सम्मान करे.                                                                अपने घर की छत पर भी फहरा सकते हैं पहले आम लोगों को अपने घरों या प्रतिष्ठानों पर तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं थी, वहीं रात के समय भी इसे फहराने की मनाही थी. आम लोगों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी इसकी अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली. वहीं रात में तिरंगा फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई. किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए. तिरंगे को किसी की पीठ की तरफ नहीं फहरा सकते.

और किन चीजों की है मनाही?

झंडे पर कुछ भी लिखना, बनाना या विलोपित करना गैरकानूनी है.

किसी भी गाड़ी के पीछे, प्लेन में या जहाज में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता.

किसी सामान, बिल्डिंग वगैरह को ढकने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय ध्वज जमीन पर टच नहीं होना चाहिए.

तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के लिए प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.

किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा नहीं रख सकते या लगा सकते.

             देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता है. इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए. शव को जलाने या दफनाने के बाद उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं. कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे को भी सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है.                             जय हिन्द                                                        राजेश कुमार

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