भारतीय संविधान की अनुसूचियां का वर्णन
अनुसूचियां भारतीय संविधान का भाग है मौलिक संविधान में 8 अनुसूची है! वर्तमान में 12 अनुसूची हैं! प्रथम अनुसूची- इस सूची में भारत के 28 राज्य व 8 केंद्र शासित प्रदेशों का वर्णन है अनुसूची दो :- यह भारत के उच्च पदाधिकारियों के वेतन भत्ते से संबंधित है जैसे राष्ट्रपति का वेतन ,उपराष्ट्रपति का वेतन ,सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ,सुप्रीम कोर्ट के सामान्य न्यायाधीश ,उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के सामान्य न्यायाधीशों का वेतन और भत्ते, अनुसूची3:- शपथ का प्रारूप दिया गया है इसमें प्रधानमंत्री, संघ के मंत्री, संसद सदस्य ,राज्य मंत्री, राज्य विधान मंडल के सदस्य, sc के न्यायाधीश, राज्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ,सीएजी , आदि की शपथ का वर्णन है नोट:- राष्ट्रपति के शपथ का वर्णन अनुसूची 3 में नहीं है अनुसूची 4 :- राज्यों का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व कितना कितना है यह अनुसूची 4 में दिया गया है जैसे राजस्थान, उड़ीसा में 10, 10 सीटें, पंजाब, तेलंगाना, असम में 7,7,7 सीटें हरियाणा, छत्तीसगढ़ में 5,5 गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश में 11,11,11
दिल्ली ,उत्तराखंड, हिमाचल में 3,3,3, पश्चिम बंगाल, बिहार में 16 ,16 नोट:- दिल्ली व पांडिचेरी को छोड़कर किसी भी केंद्र शासित प्रदेश में राज्यसभा सदस्य नहीं है अनुसूची 5 :-यह ट्राईबल सब प्लान(tsp) से संबंधित है L.P विद्यार्थी समिति की सिफारिश पर लागू किया गया अनुसूची पांच में विशेष प्रावधान निम्नलिखित है (1)राज्यपाल जनजाति क्षेत्र में संसद या विधानसभा की कानून को लागू होने से रोकने के लिए अधिसूचना जारी कर सकता है (2)राज्यपाल प्रतिवर्ष जनजाति क्षेत्र के बारे में राष्ट्रपति को सूचना देगा (3) टीएसपी क्षेत्र के लिए एक जनजातीय सलाहकार परिषद का गठन करेगा जिसमें अधिकतम 20 सदस्यों ने जिसमें 3 /4 सदस्य ST के mla होगे! अनुसूची6:- यह असम, मेघालय, मिजोरम ,त्रिपुरा , दार्जिलिंग से संबंधित इस अनुसूची में एक जिला जनजातीय परिषद का प्रावधान है जिसमें अध्यक्ष 30 सदस्य होते हैं जिसमें से 4 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते बाकी सभी सदस्य जनता द्वारा 5 वर्षों के लिए चुने जाते हैं जिला जनजातीय परिषद के पास राजनीतिक, प्रशासनिक, न्यायिक सभी शक्तियां होगी यह जिला सरकार का प्रतीक है नोट:- पांचवी अनुसूची की तुलना में छठी अनुसूची अधिक लोकतांत्रिक है! पांचवी और छठी अनुसूची में परिवर्तन करने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ती केवल संसद के सामान्य बहुमत से काम चलता था अनुसूची7 :- इस अनुसूची में तीन सूचियाँ दी गई है जो केंद्र राज्यों में शक्तियों का बंटवारा करती है ये संघात्मक शासन का प्रतीक है संघ सूची-: सूची में मूल रूप से 97 से थे वर्तमान मे 99 विषय है संसद इस पर कानून बना सकती थी इसके अंतर्गत जनगणना, शेयर मार्केट ,विदेशी मामले ,रक्षा , आते हैं राज्य सूची- विषय के मूल रूप से 66 विषय थे इस पर राज्य विधानमंडल कानून बनाता है इसमें 11,19,20, 29,36 वर्तमान में खाली पड़े हैं! (3)समवर्ती सूची :- मूल रूप से 47 विषय थे वर्तमान मे 52 विषय है जिस पर संसद और राज्य विधान मंडल दोनों कानून बना सकते हैं! अनुच्छेद 254 में प्रावधानों है कि समवर्ती सूची की सूची के कानून को लेकर केंद्र व राज्य सरकार में टकराव होता तो केंद्र का मान्य होगा परंतु राज्य सरकार राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से लेकर समवर्ती सूची पर कानून बनाती है तो टकराव की स्थिति में उस राज्य सरकार का कानून मान्य होगा! नोट :-अवशिष्ट शक्तियां ऐसे शक्तियां हैं जिसकी चर्चा उपयुक्त अनुसूचियों नहीं की है उस पर कानून संसद बना सकती है अनुसूचीआठ:- इसमें 22 भाषाएं दी गई है इसमें मौलिक रूप से चोैदह भाषा थी 15 वी सिंधी 21 वे संशोधन 1967 द्वारा शामिल की गई 16,17,18 भाषा नेपाली ,मणिपुरी , कोंकणी को 71 वे सविधान संशोधन 1992 द्वारा शामिल की गई 19 ,20, 21 22 डोंगरी ,मैथिली,बोडों व संथाली भाषा 92 वे संशोधन 1-1- 2004 को शामिल की गई भाषा की अनुसूची में अग्रेजी भाषा नहीं है 96 वे संशोधन एक्ट 2011 द्वारा उड़ीया भाषा का ओडि़या किया! अनुसूची 9 प्रथम संविधान संशोधन एक्ट 1951 द्वारा जोड़ी गई यह भूमि सुधार से संबंधित है इसमें 284 विषय है सामान्यतः नौवीं अनुसूची का न्यायिक पुनरावलोकन नहीं हो सकता परंतु SC ने तमिल आरक्षण के 2007 में कहा कि न्यायपालिका इन कानूनों को न्यायिक पुनरावलोकन कर सकते है जो 1973 के बाद जोड़े गए दसवींअनुसूची:- अनुच्छेद 102(2) और अनुच्छेद 191 (2) दसवीं अनुसूची 52 वे संविधान संशोधन द्वारा 1 मार्च 1985 को जोड़े गए यह दल बदल से संबंधितहै इसमेंनिम्नप्रावधानहै (1) दलबदल करने वालों की सदस्यता रद्द की जा सकती है (2)दलबदल का अंतिम निर्णय स्पीकर का होगा निम्न स्थिति में दल बदल नहीं माना जाएगा (1)यदि किसी पार्टी के 2 / 3 एमएलए ,एमपी अलग दल में शामिल होते हैं तो इसमें दल विलय माना जाएगा दल बदल नहीं (2)यदि किसी पार्टी की 1/3 एमपी एमएलए एक अलग दल का निर्माण करते हैं तो उसे दल विभाजन माना जाएगा 91 संविधान संशोधन 2003 द्वारा निम्न प्रावधान किए गए अनुच्छेद 75(1)(क) में प्रावधान किया गया कि मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की कुल संख्या की 15 परसेंट होगी अनुच्छेद 75(1)(ख) में प्रावधान किया गया कि दलबदल करने वालों को मंत्री नहीं बनाया जाएगा! अनुच्छेद 164 (1)(क) में प्रावधान किया गया कि राज्य मंत्रियों की कुल संख्या विधानसभा की कुल संख्या के 15 परसेंट से अधिक नहीं होगी लेकिन न्यूनतम 12 मंत्री होंगे अनुच्छेद 164 (1)(ख) में प्रावधान किया गया कि दलबदल करने वालों को मंत्री नहीं बनाया जाएगा नोट :-उपयुक्त मंत्रियों की संख्या पीएम ,सीएम सहित होती है अनुसूची 11 यह 73 वे संविधान संशोधन एक्ट 1992 द्वारा जोड़ी गई है पंचायती राज से संबंधित है इसमें29 विषय हैं अनुसूची 12:- यह 74 वें संविधान संशोधन एक्ट 1993 द्वारा जोड़ी गई इसमें 18 विषय हैं यह शहरी निकाय से संबंधित है more post http://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/08/blog-post_22.html
Post a Comment