संसदीय प्रक्रिया व संसदीय पदाधिकारी parliamentary system of government developed in
संसदीय प्रक्रिया:- भारतीय संसद लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति से मिलकर बनी भारतीय संसद में चलने वाली प्रक्रिया निम्नलिखित हैं प्रश्नकाल :- सदन की कार्रवाई का पहला घंटा 11:00 से 12:00 बजे का समय प्रश्नकाल कहलाता है इसमें ससंद सदस्य मंत्रियों से तीन प्रकार के प्रश्न करते हैं तारांकित प्रश्न:- इसके उत्तर मौखिक रूप से देने होते हैं अतारांकित प्रशन :-इसके ऊपर लिखित रूप में देने होते हेै ! अल्प सूचना प्रशन:- इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर मौखिक रूप से लेकिन 10 दिन में देने होते हैं नोट:- सातवी लोकसभा प्रश्नों की संख्या सर्वाधिक थी व 12 वीं लोकसभा में सबसे कम थी संसदीय नियम 51A:- इस नियम के अनुसार यदि मौखिक प्रश्न करने वाला संसद सदस्य उपस्थित नहीं है तो मंत्री उसका लिखित उत्तरी सदन पटल पर छोड़ेगा आधे घंटे की चर्चा:- 5:00 से 5:30 का समय होता है तारांकित ,अतारांकित, अल्प सूचना से संबंधित किसी मुद्दे पर स्पीकर आधे घंटे की चर्चा करवा सकता है यह चर्चा 5:00 से 5:30 के मध्य होती है और सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को होती है शून्य काल:- प्रश्नकाल के बाद एक घंटा 12:00 से 1:00 का शून्य काल कहलाता है इसमें संसद सदस्य मंत्रियों से किसी भी प्रकार की प्रश्न पूछ सकते हैं इसकी शुरुआत भारत में 1960 के दशक से हुई यह भारत की विश्व को देन है! स्थगन प्रस्ताव/ काम रोको प्रस्ताव:- वर्तमान की कार्रवाई को रोक कर किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के लिए स्थगन प्रस्ताव लाया जाता है लेकिन स्थगन प्रस्ताव उस मुद्दे पर लाया जाता है जो तथ्यपरक हो, लोक महत्व का हो ! स्थगन प्रस्ताव लाने के लिए सदन के 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है स्थगन प्रस्ताव शून्य काल में रखा जाता है परंतु चर्चा शाम 4:00 बजे प्रारंभ होती है स्थगन प्रस्ताव एक बार प्रारंभ हो जाए तो सदन की स्थगित करने की शक्ति स्पीकर के पास नहीं होती अपितु संपूर्ण सदन में निहित होती है ध्यानाकर्षण प्रस्ताव :- किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रस्ताव लाया जाता ध्यानाकर्षण में कोई चर्चा नहीं होती परंतु उस विषय पर मंत्री विचार अवश्य व्यक्त करता है एक सत्र में एक मंत्री के लिए पांच ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए जा सकते हैं निंदा प्रस्ताव:- निंदा प्रस्ताव विपक्ष द्वारा लाया जाता है इसमें 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है इसमें लिखित कारण भी बताना पड़ता है अगर यह पारित हो जाए तो सरकार को त्यागपत्र देने की जरूरत नहीं है सरकार की सिर्फ आलोचना होती है अविश्वास प्रस्ताव- यह भी विपक्ष लेकर आता है इसमें भी 50 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है परंतु अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर सरकार को त्यागपत्र देना पड़ता है नोट:- निंदा प्रस्ताव संसद के नियम 184- 185 से संबंधित है और अविश्वास प्रस्ताव 194-195 संसदीय नियमों से संबंधित है नियम 377 :- इस नियम के तहत किसी संसद सदस्य के साथ संसद के बाहर अगर कोई दूर्व्यवहार होता है तो उस पर चर्चा की जाती है और कार्रवाई की जाती है संसद के पदाधिकारी लोकसभा का अध्यक्ष:- यह लोक सभा की अध्यक्षता करता है और अपने पद पर तब तक बना रहता है जब तक इसका उत्तराधिकारी नियुक्त में हो जाएगा साथ लोकसभा भंग होने पर भी वह अपने पद पर बना रहता है स्पीकर के निर्वाचन में प्रोटेम स्पीकर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है आम चुनाव के पश्चात राष्ट्रपति सबसे सीनियर लोकसभा सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करता जैसे 16वीं लोकसभा में कमलनाथ को प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ दिलाई प्रोटेम स्पीकर के दो प्रमुख कार्य होते हैं सभी लोकसभा सदस्यों को शपथ दिलाना और स्थाई स्पीकर का चुनाव करवाना स्थाई लोकसभा अध्यक्ष स्पीकर के रूप में शपथ नहीं लेता केवल लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेता है लोकसभा स्पीकर के कार्य व शक्तियां:' सदन में व्यवस्था बनाए रखना, किसी सदस्य को बैठने का निर्देश देना, मार्शल आउट का आर्डर देता है ! लोकसभा अध्यक्ष नियम समिति, कार्य मंत्रणा ,सामान्य प्रयोजन समिति की अध्यक्षता करता है कौन सा विदेश धन विधेयक है और कौन सा वित विधेयक है यह लोकसभा अध्यक्ष हीं निर्णय करता है दल बदल के बारे में अंतिम निर्णय लेता है लोकसभा सदस्य अपना त्यागपत्र भी लोकसभा अध्यक्ष को देते हैं लोकसभा अध्यक्ष सदन की कार्रवाई के किसी और को प्रकाशित होने से रोक सकता है अनुच्छेद 100 के तहत वह निर्णायक मत देता है और गणपूर्ती सुनिश्चित करता है नोट :-प्रथम स्पीकर 1921 में सर फ्रेडरिक व्हाइट बनाए गए 1925 में पहले भारतीय स्पीकर विट्ठलभाई पटेल बने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहले लोकसभा अध्यक्ष जी वी मावलंकर थे! सबसे लंबी अवधि का लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ था पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार थी अविश्वास प्रस्ताव:- तीन के खिलाफ अब तक हटाने का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन पारित नहीं हुआ वे लोकसभा अध्यक्ष जी वी मावलंकर, हुकम सिंह और बलराम जाखड़ थे लोकसभा उपाध्यक्ष :- भारत में यह प्रथा है कि स्पीकर सत्ता पक्ष से तथा उपाध्यक्ष विपक्ष से होता है यह प्रथा 1967 से चली आ रही है! लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में लोकसभा उपाध्यक्ष सभी बैठकों की अध्यक्षता करता है ! सभापति तालिका :- क्रमानुसार 6 सदस्य होते हैं जो अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में सभा की अध्यक्षता करते हैं इनका निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है ! लोक सभा का महासचिव:- लोक सभा का महासचिव सीनियर आईएएस अधिकारी होता है जो लोकसभा अध्यक्ष के प्रति उत्तरदाई होता है यह लोकसभा अध्यक्ष के कार्यों में सहायता व सलाह देता है लोकसभा अध्यक्ष की ओर से संदेश सदस्यों को देना, राष्ट्रपति नामांकन दाखिल महासचिव के पास करता है !श्रीमती स्नेहलता श्रीवास्तव लोकसभा की पहली महिला महासचिव थी! वर्तमान लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह है ! राज्यसभा का सभापति :- राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति होता है वर्तमान में राज्यसभा के सभापति श्री जगदीप धनखड़ हैं यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि उपराष्ट्रपति अपना वेतन उपराष्ट्रपति के रूप में न लेकर राज्यसभा के सभापति के रूप में लेता है राज्यसभा महासचिव :- राज्यसभा महासचिव एक सीनियर आईएएस अधिकारी होता है जो राज्यसभा के सभापति के कार्यों में सहायता व सलाह देता है वर्तमान में राज्यसभा महासचिव पी सी मोदी है जो भारत के वर्तमान राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन अधिकारी भी थे ! यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि राष्ट्रपति चुनाव में एक बार निर्वाचन अधिकारी लोक सभा का महासचिव व एक बार निर्वाचन अधिकारी राज्यसभा महासचिव होते हैं! more post:- http://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/09/73.html
Post a Comment