भारत का प्रसिद्ध किला चित्तौड़गढ़ दुर्ग
चित्तौड़गढ़ दुर्ग गिरी दुर्ग संपूर्ण देश में राजस्थान वह प्रदेश है जहां महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बाद सर्वाधिक गढ़ व दुर्ग बने हुए हैं एक गणना के अनुसार राजस्थान में 250 के लगभग दुर्ग है भारत में महाराष्ट्र और राजस्थान में पग-पग पर दुर्ग मिलते हैं यहां राजाओं व सामंतों ने अपने निवास के लिए, सुरक्षा के लिए ,सामग्री सग्रहण के लिए ,आक्रमण के समय अपनी प्रजा को सुरक्षित रखने के लिए, पशुधन बचाने के लिए और संपत्ति को छुपाने के लिए किलो का निर्माण करवाया राजस्थान में दुर्गो के स्थापत्य के विकास का प्रथम आधार कालीबंगा की खुदाई में मिलता है कालांतर में मोरियवशी ,गुप्त व परवती युग में कुछ दुर्गों के स्वरूप उपलब्ध होते हैं सातवी सदी में चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण मौर्य वंश के राजाओं ने करवाया था उस समय दुर्ग निर्माण में मंदिरों में जलाशयों की प्रधानता दी जाने लगी राजपूत काल में राजस्थान में अनेक दुर्ग बने इसमें से दुर्गो का उल्लेख निम्नलिखित है
चित्तौड़ के किले का वास्तविक नाम चित्रकूट है आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई चार कोटियों तथा आचार्य शुक्ल द्वारा बताई गई 9 कोटियों में से केवल 1 कोटि धावन्य को छोड़कर चित्तौड़गढ़ को सभी कोटियों में रखा जा सकता है इसी कारण राजस्थान में एक कहावत है कि गढ़ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढ़ैया चित्तौड़गढ़ को दुर्गो का सिरमौर कहा जाता है यह 1810 फीट ऊंचे पठार पर निर्मित है इसका क्षेत्र 28 वर्ग किलोमीटर है दूर्ग की परिधि लगभग 13 किलोमीटर है राजस्थान के किलो में क्षेत्रफल की दृष्टि से यह सबसे बड़ा किला है मौर्य राजा चित्रांगद निर्माता इसे भारत का सबसे लंबा किला भी कहा जाता है यह गंभीरी और बेडच नदियों के संगम पर स्थित है दिल्ली से मालवा गुजरात जाने वाले मार्ग पर स्थित होने के कारण प्राचीन और मध्यकालीन इस किले का विशेष सामरिक महत्व था इसके निर्माता के बारे में प्रमाणिक जानकारी का अभाव है साक्ष्यों के आधार पर पता चलता है कि इसका संबंध मौर्य शासकों से था मेवाड़ के इतिहास ग्रंथ वीर विनोद के अनुसार मौर्य राजा चित्रांगद ने यह दुर्ग बनवा कर अपने नाम पर इसका नाम चित्र कांट रखा उसी काअपभ्रश चित्तौड़ है मेवाड़ में गूहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने अंतिम मौर्य शासक मान मोरी को पराजित कर आठवीं शताब्दी मे चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया वस्तुतः चित्तौड़ के किले पर अधिकार करने के लिए जितने युद्ध लड़े गए उसमें शायद किसी अन्य किले के लिए नहीं लड़े गए 1174 ईस्वी के लगभग यह दुर्ग गूहिलो के अधिकार में आ गया 1303 इस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने रावल रतन सिंह को मारकर इस किले पर अपना अधिकार कर लिया इसे अपने पुत्र को सौंप दिया और इसका नाम ख्रिजाबाद रख दिया गया किंतु 1326 में गूहिलो की शाखा राणा के हम्मीर ने चित्तौड़ के किले पर अधिकार कर लिया तब से लेकर अकबर के काल तक यह किला राणाओ के अधीन रहा कुंभा ने चित्तौड़ के प्राचीन किले का जीर्णोद्धार करवाया 1567 में राणा उदय सिंह को हराकर अकबर ने किले पर अधिकार कर लिया इसके बाद 1615 में जहांगीर ने इस किले को फिर महाराणा अमर सिंह को दे दिया तब से लेकर भारत की आजादी मिलने तक यह किला मेवाड़ के महाराणा के अधीन रहा यह किला 616 मीटर पठार पर स्थित है जिसे मेसा का पठार कहा जाता है किला पर पहुंचने के लिए घुमावदार रास्ते से चढ़ाई करनी पड़ती है इस मार्ग में सात विशाल प्रवेश द्वार है इनमें प्रथम दरवाजा पांडुपोल कहलाता है इस के पास में प्रतापगढ़ के रावल बाध सिंह का स्मारक बना हुआ है जो चित्तौड़ के दूसरे साके के समय बहादुर शाह की सेना के जूझते हुए वीरगति को प्राप्त हुए किला का दूसरा प्रवेश द्वार भैरोपोल और तीसरा हनुमान पोल कहलाता है तत्पश्चात गणेश पोल, जोड़लापोल और लक्ष्मण पोल किले के अन्य प्रवेश द्वार हैं सातवाँ राम पोल है सूरजपोल चित्तौड़ दुर्ग का प्राचीन प्रवेश द्वार है उत्तर और दक्षिण में लघु प्रवेश द्वार किया खिड़कियां बनी है जिसके उत्तरी दिशा में खिड़कियां लाखोंटा की बारी कहलाती है किले में मंदिर महल :- इस किले में अद्भुत जी का मंदिर, रानी पद्मिनी का महल, गोरा बादल का महल ,कालिका माता का मंदिर ,सूरजकुंड, जयमल और पत्ता की हवेलियां ,जयमल जी का तालाब ,समिधेश्वर का मंदिर ,जटाशंकर का मंदिर, कुंभ श्याम जी का मंदिर, मीरा बाई का मंदिर, तुलजा माता का मंदिर, सातबीस जैन मंदिर, श्रंगार चँवरी का मंदिर और नौलखा भंडार स्थित है विजय स्तम्भ दुर्ग के भीतर स्थित नौखण्डा विजय स्तम्भ किले की सबसे भव्य इमारतें है मान्यता है कि इसका निर्माण 1440 से 1448 में महाराणा कुंभा ने मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी पर विजय को प्राप्त करने के उपलक्ष में बनवाया था इसे हिंदू देवी देवताओं का अजायबघर कहलाता है किले में रत्नेश्वर तालाब ,कुंभ सागर तालाब, हाथी कुंड, भीमलत नामक तालाब, महाराणा उदयसिंह की झाली रानी का झालीबाव ,चित्रागं मोरी तालाब जलापूर्ति के मुख्य स्रोत हैं दुर्ग के अन्य प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में कवरपदा के खण्डर, तोप खाना ,भामाशाह की हवेली ,सलूंबर और रामपुरा व अन्य स्थानों की हवेली ,हिगलू आहडा के महल इत्यादि प्रमुख हैं वहां विद्यमान फतह प्रकाश महल को संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है जिसमें अनेक कलात्मक देव प्रतिमाएं अलंकृत पाषाण स्तंभ व बहुत सारी पुरा सामग्री संग्रहीत हैं इस प्रकार चित्तौड़ का किला राजस्थान का गौरव कहलाता है यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक है कि जून 2013 में नोमपेन्ह में हुई वर्ल्ड हेरीटेज कमेटी की बैठक में यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट की सूची में राजस्थान के 6दुर्गो को शामिल किया गया था जिसमें से चित्तौड़गढ़ का दुर्ग भी शामिल है इसके अलावा आमेर महल, गागरोन दुर्ग ,कुंभलगढ़ दुर्ग , जैसलमेर दुर्ग, व रणथंभौर के दुर्ग शामिल हैं #polityrajasthan365 more post:- http://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/09/blog-post_10.html
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