गुर्जर प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम 914-943
गुर्जर प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम यह 914 ई. में राजा बना राजशेखर इसे आर्यावर्त का महाराजाधिराज कहता था इनके समय में अरब यात्री अल मसूदी ने भारत की यात्रा की तथा इनकी शक्ति व वैभव की प्रशंसा की हल्लद अभिलेख से प्रकट होता है कि महिपाल प्रथम 914 ईस्वी में राज्य कर रहा था यह एक कुशल और प्रतापी शासक सिद्ध हुआ इसने अपने वशं को पुन: गौरव प्रदान किया राष्ट्रकूटों से युद्ध -: महिपाल प्रथम के समय राष्ट्रकूट वंश में इंन्द्र तृतीय का शासन था काम्बे ताम्रपत्र से याद होता है कि इंन्द्र तृतीय ने मालवा पर आक्रमण करके उज्जैन पर अधिकार कर लिया उनके हाथियों ने कालप्रिय मंदिर कि चारदीवारी को नष्ट भ्रष्ट कर दिया यमुना पार कर इंन्द्र तृतीय ने कन्नौज को नष्ट कर डाला डॉ आर सी मजूमदार का कथन है कि इंद्र तृतीय के वापस चले जाने के पश्चात कन्नौज पर उन्हें अधिकार करने में महिपाल को चंदेल नरेश हर्ष ने सहायता दी थी अरबी साक्ष्य:- प्रतिहार राष्ट्रकूट सघर्ष की पुष्टी अरब यात्री अल मसूदी भी करता है उसका कथन है कि बउर और बल्हर में बड़ी शत्रुता थी बल्हर के आक्रमण के भय से बउर ने अपने राज्य की दक्षिणी सीमा पर एक विशाल सेना नियुक्त की थी यहां बउर से प्रतिहार नरेश महिपाल प्रथम का अर्थ है और बल्हर राष्ट्रकूट होगा! राजशेखर का साक्ष्य:- राजशेखर महिपाल का राजकवि था उसने महिपाल प्रथम को रघुकुल मुकुट मणि की संज्ञा दी थी उसे आर्यावर्त का महाराजाधिराज कहा है! राजशेखर अपने ग्रंथ प्रचंडपांडव में महिपाल की विजयों का उल्लेख करता है कि उसने मुरलो , मेकलो, कलिगो को पराजित किया महिपाल प्रथम का साम्राज्य विस्तार:- पूर्व में महिपाल के साम्राज्य की सीमा पालों के अधीन बिहार की सीमा को छुती थी वर्तमान उत्तर प्रदेश उनके अधिकार में था बंगाल एशियाटिक सोसाइटी अभिलेख से प्रकट होता है कि उनके राज्य में वाराणसी प्रदेश सम्मलित था कहला अभिलेख से सिद्ध होता है कि कलचुरी वंश के राजा भीमदेव महिपाल के अधीन गोरखपुर का शासक था उत्तर पश्चिम में अरब यात्री अलमसूदी के कथन अनुसार पंजाब और सिंध के प्रदेश उनके अधिकार में थे पंजाब में उनके को कुलुतो व रनठो को पराजित किया दक्षिण पश्चिम में मालवा उनके अधीन था प्रतापगढ़ अभिलेख से स्पष्ट होता है कि उसने उज्जैन पर विजय प्राप्त की वहीं उनके सामंत भावन ने धारा को जीता था हडडल अभिलेख से प्रकट होता है कि उनका सामंत गर्मी धरणीवराह उसकी अधीनता में सौराष्ट्र में शासन कर रहा था दक्षिण में उनके राज्य के अंतर्गत बुंदेलखंड निश्चित रूप से सम्मिलित था रखेत्र अभिलेख से प्रकट होता है कि चंदेरी और ग्वालियर के प्रदेश महिपाल की अधीनता स्वीकार करते थे अल मसूदी का वर्णन:- 915 ईस्वी में अरब यात्री अल मसूदी भारत आया उसने 943-944 ईस्वी में भारत संबंधी अपना विवरण लिखा वह लिखता है कि महिपाल प्रथम ने 4 सेनाओं का संगठन किया था इसमें से एक सेना उत्तर में मुसलमानों के विरुद्ध नियुक्त की थी दूसरी सेना बल्हर (राष्ट्रकूटो) के विरुद्ध नियुक्त की थी अन्य शत्रुओं से लड़ने के लिए तीसरी व चौथी सेना का संगठन किया था इस में से प्रत्येक सेना में सैनिकों की संख्या सात लाख अथवा 900000 थी इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गुर्जर प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम एक योग्य शासक था किसने अरब से भारत की रक्षा की और राष्ट्रकूटो व पालों को भी रोके रखा
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