निकोलो मेैकियावली प्रथम आधुनिक राजनीतिक विचारक Niccol Machiavelli, the first modern political thinker
निकोलो मेैकियावली 1469 से 1527
आज हम राजनीति विज्ञान के राजनीतिक विचारकों के बारे में अध्ययन करेंगे राजनीतिक विचारको मैं आज हम मेैकियावली के बारे में अध्ययन करेंगे मेैकियावली का जन्म इटली के फ्लोरेंन्स गणराज्य में 1469 इस्वी में हुआ उस समय इटली 5 विभागों में बंटा हुआ था शासक व राज्य पर चर्च का विशेष प्रभाव था इसलिए फ्लोरेंस के शासक सांवरनोला ने सेना का गठन नहीं किया था जब स्पेन ने फ्लोरेंस पर आक्रमण किया तो सांवरनोला आम जनता की रक्षा न कर सका इसलिए आम जनता ने पादरियों के साथ मिलकर सब सांवरनोला को जिंदा जला डाला उसके बाद में मेैकियावली को भी जेल में डाल दिया गया और उसे इसी शर्त पर रिहा किया गया कि वह राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं लेगा उसका अंतिम जीवन फार्म हाउस में व्यतीत हो किया उसने महत्वपूर्ण यथार्थवादी पुस्तक प्रिंस की रचना की प्रिंस प्रथम अध्याय 1513 में लिखा गया 15 24 ईस्वी में पूर्ण रूप से लिखी गई प्रिंस को 1532 में प्रकाशित किया गया इस पुस्तक में 26 अध्याय हैं इसमें ने मेैकियावली ने शक्ति राजनीति की नींव रखी द डिस्कोर्सेज ऑन लिपि (रोम का इतिहास) :-1517 ईस्वी में लिखी गई पुस्तक 15 32 ईस्वी में प्रकाशित हुई इस पुस्तक में मेैकियावली लिखता है कि मानव सद्गुणों और दुर्गुणों दोनों पाए जाते हैं मेैण्ट्रोगोला:- 1518 में लिखा उपन्यास द आर्ट ऑफ वार:- 1521 में सैनिक मामलों पर लिखी गई पुस्तक है द हिस्ट्री ऑफ फ्लोरेंन्स:-(1520-1525) क्लीजिया:-1525 नोट:-मेैकियावली अध्ययन की ऐतिहासिक पद्वति अपनानाता है मानव प्रकृति संबंधी विचार :- मेैकियावली अपनी पुस्तक द डिस्कोर्सेज ऑन लिपि मे मानव को सदगुणी व दुर्गुण मिश्रित प्राणी बताता हूं वहीं प्रिंस में लिखता है कि मानव अपनी प्रकृति से एक असामाजिक और अनैतिक दुर्गुणी प्राणी है मेैकियावली कहता है कि मनुष्य सबसे दुर्गुण यह है कि वह अविवेकशील प्राणी है वह अपने अच्छे बुरे में अंतर नहीं कर पाता इसलिए मानव निरंकुश मानव की तलवार का शिकार और चालाक मनुष्य के हाथ का खिलौना बन जाता है इसी मानव प्रकृति के आधार पर शक्तिशाली निरंकुश राजतंत्र का समर्थन करता है ! राजनीतिक और नैतिकता संबंधी विचार :- 👉 मेैकियावली का कहना है कि चूकि मानव अपनी प्रकृति से असामाजिक अनैतिक प्राणी है इसलिए राजनीति में व नैतिकता का कोई संबंध नहीं हो सकता 👉 मेैकियावली कहता है कि शासक की नैतिकता इसमें निहित है कि वह निरंतर शक्ति का अर्जन करें 👉 मेैकियावली धर्म आधारित नैतिकता का विरोध करता है इस प्रकार मेैकियावली ना केवल राजनीति और नैतिकता को अलग करता है अपितु धर्म व राज्य का पृथक्करण करता है इस प्रकार मेैकियावली धर्मनिरपेक्ष राज्य व शक्तिशाली राज्य का समर्थन करता है उपर्युक्त विचारों के कारण इसे शक्ति राजनीति का जनक कहा जाता है मेैकियावली नैतिकता के दोहरे मापदंड भी प्रस्तुत करता है मेैकियावली कहता है कि शासक की नैतिकता यह है कि वह निरंतर शक्ति का अर्जन करें और जनता की नैतिकता यह है कि वह शासक की आज्ञा का पालन करें ! मेैकियावली के राज्य संबंधी विचार:- मेैकियावली राज्य की उत्पत्ति का शक्तिशाली सिद्वान्त प्रस्तुत करता है और कहता कि राज्य की उत्पत्ति सुरक्षा के लिए हुई है ! मेैकियावली राज्य के कार्य बाहरी आक्रमण से सुरक्षा व आंतरिक कानून व्यवस्था बनाए रखने को बताता है मेैकियावली कल्याणकारी राज्य का समर्थन नहीं करता मेैकियावली आधुनिक आकार के बड़े राज्य का समर्थन करता है जनता में मनोवैज्ञानिक एकता का विशेष बल देता है इसलिए हर्नशा उसे राष्ट्र राज्य का जनक कहता है मेैकियावली अप्रत्यक्ष रूप से कानूनी प्रभुसत्ता का समर्थन करता है इसी संदर्भ में मेैकियावली का कथन है कि विधायक ही विधि निर्माता है! मेैकियावली अरस्तु की भांति सविधानों का वर्गीकरण करता है अरस्तु जहाॕ सवैधानिकतंत्र को श्रेष्ठ बत्ताता था वही मेैकियावली निरंकुश राजतंत्र का समर्थन करता है शासन की कला संबंधी विचार :- राज्य शिल्प के सिद्धांत राज्य के हितों की वृद्धि का सिद्धांत शासक की सफलता के सूत्र मेैकियावली प्रिंस के 18वें अध्याय में शासक को शक्ति पर आधारित सफलता के सूत्र प्रदान करता है इसे राज्य शिल्प के सिद्धांत भी कहते हैं सफलता का सूत्र निम्न है 👉 शासक को निरंतर शक्ति अर्जित करते रहना चाहिए 👉 शांति काल में जनता के सामने बड़ी-बड़ी योजनाएं प्रस्तुत करनी चाहिए 👉 युद्ध के लिए निरंतर तैयारी करते रहना चाहिए 👉 शेर और लोमड़ी की नीति अपनानी चाहिए और शत्रु को जानने के लिए अपने गुप्तचर व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए तत्पश्चात शेर की भांति निर्दयतापूर्वक समाप्त कर देना चाहिए 👉 शासक का सदगुणी होना आवश्यक नहीं लेकिन उसे सदगुण का प्रदर्शन अवश्य करना चाहिए क्योंकि इससे राष्ट्रीय भावना का विकास होता है 👉 शासकों किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति और महिला को नहीं छिनना चाहिए मेैकियावली:- व्यक्ति अपने पिता की मृत्यु को भूल जाता है लेकिन उसे द्वारा दी गई संपत्ति को नहीं ! 👉 मेैकियावली कहता है कि राज्य को आर्थिक कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शासक व जनता के मध्य प्रतिस्पर्धा प्रारंभ हो जाती है! 👉 मेैकियावली के अनुसार पुरस्कार तो उसको स्वय को देना चाहिए और दंड अधीनस्थ से दिलवाना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर दंड में सुधार किया जा सके ! 👉 चापलूस व्यक्तियों मंत्री नहीं बनाया जाये योग्य व्यक्तियों को मंत्री बनाना चाहिए 👉 मेैकियावली कहता है कि जीते राज्य के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए उसके कर लेने तक ही सीमित रखना चाहिए अर्थात मेैकियावली अप्रत्यक्ष रूप से संघात्मक शासन का समर्थन करता है मेैकियावली सत्ता का आधार केवल शक्ति मानता है वह यह मानता है कि व्यक्ति मानता है कि राज्य में अपने से अधिक शक्ति होती है इसलिए उसकी आज्ञा का पालन करता है उसके अनुसार राज्य की आज्ञा का पालन ना करने का साहस व्यक्ति तक ही कर सकता है जब वह या तो वह राज्य से अधिक शक्तिशाली है या वह आज्ञा पालन न करने के परिणाम भुगतने को तैयार हो! मेैकियावली के अनुसार जब तक सत्ता के पास उच्चत्तर राजनीतिक शक्ति है तब तक साधारण जन द्वारा किसी भी प्रकार की सत्ता का दावा करना एक प्रकार का भूलावा है जो केवल अपने तथाकथित अधिकारों के आधार पर शासन प्राप्त करना चाहते हैं वह ऐसा करने में सफल नहीं हो सकता क्योंकि राजनीतिक संघर्ष की स्थिति में जिसके पास शक्ति है या जो शक्ति को प्रमुखता देता है सत्ता की होड़ वही सफल होता है बिना किसी अपवाद के यह कहा जा सकता है कि राज्यों की सत्ता और उसके कानून स्वीकार नहीं किए जाएंगे जब तक कि वे शक्ति के प्रदर्शन से समर्थित नही हो! इसको ना मानने वाले सजा भुगतने के लिए तैयार हो राजा के आदेश की आज्ञा पालन करने के कई तरीके हो सकते हैं और राजा को सभी तरीकों को समझकर क्रियान्वित करने में पारंगत होना चाहिए इसलिए एक सफल राजा को निरंतर प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है मेैकियावली के अनुसार राजा के पास एक साधारण व्यक्ति से अलग प्रकार के सदगुण होने चाहिए राजा के पास दो ही कार्य होते हैं पहला राज्य को बनाए रखना और दूसरा महान चीजों को प्राप्त करना ! यह दोनों ही मानदण्ड है शक्ति के आकार के ! यह दोनों बातें परंपरागत सदगुणों से प्राप्त नहीं की जा सकती इसलिए राजा की प्रकृति नम्य होनी चाहिए वह राजा सफल होता जो समयानुसार अच्छे से बुरा बन जाए और वापिस अच्छा बन जाए उसकी प्रकृति भाग्य और परिस्थितियों से निर्धारित होनी चाहिए लियो स्ट्रोस:- मेैकियावली अमगंल का शिक्षक है! मेैकियावली को राजनीति का गैलिलियों माना जाता है! मेैकियावली प्रथम आधुनिक विचारक मैक्सी जैसे विचारक मेैकियावली को प्रथम आधुनिक विचारक कहते हैं क्योंकि मेैकियावली के चिंतन में अनेक आधुनिक तत्व दिखाई देते हैं जैसे:- 👉 राजनीतिक और नैतिकता का पृथक्करण 👉 धर्मनिरपेक्ष राज्य का समर्थन 👉 राष्ट्र राज्य का समर्थन 👉 कानूनी प्रभुसता का समर्थन 👉 शेर लोमड़ी की नीति का समर्थन 👉 निजी संपत्ति का समर्थन 👉 योग्य व्यक्तियों को मंत्री बनाना 👉 संघात्मक शासन का समर्थन 👉 यथार्थवादी शक्ति राजनीति का जनक 👉 मेैकियावली मध्य युग का अंत करने वाला:- 👉 चर्च के स्थान पर राज्य का समर्थन करता है ! 👉 पोप के स्थान पर शासक का समर्थन करता है ! 👉 सामंतवाद के स्थान पर बड़े आकार के राज्य का समर्थन करता है! निष्कर्षत:- यह कथन सत्य प्रतीत होता है कि वह न केवल मध्य युग का अंत करने वाला था बल्कि आधुनिक युग की शुरुआत करता है! मेैकियावली का प्रसिद्ध कथन है कि भाग्य औरत है मेैकियावली अपने युग का शिशु :- मेैकियावली पर अपने युग व परिस्थितियों का विशेष प्रभाव पड़ा कहते हैं कि उसके समस्त विचार तत्कालीन परिस्थितियों की देन है जैसे :- 👉 पूर्नजागरण से प्रभावित होकर वह धर्म और राजनीति को पृथक्करण करता है! 👉 स्पेन व फ्रांस के निरकुशतंत्र से प्रभावित होकर वह शक्ति पर आधारित सफलता के सूत्र प्रदान करता है 👉 इटली की दुर्दशा से प्रभावित होकर वह शक्तिशाली निरंकुशतंत्र व बड़े आकार के राज्य का समर्थन करता है 👉 साबरनोला की घटना से प्रभावित होकर वह मानव को असामाजिक प्राणी बताता है! उपर्युक्त संदर्भ मेंं ही बार्कर मेैकियावली को संकीर्ण विचारक कहता है ! वी० टी० जोंस मेैकियावली को अपने युग का श्रेष्ठ सारांश कहता है ! निष्कर्ष :-यदि हम मेैकियावली की समस्त विचारों का अध्ययन करें तो डनिंग का यह कथन सत्य प्रतीत होता है कि मेैकियावली संकीर्ण विचारक व प्रथम आधुनिक विचारक दोनों ही हैं मेैकियावली पर पुस्तक:- लियो स्ट्रोस:-थाॕट आॕन मेैकियावली मेरी डेलिज:- ट्रेपिंग द प्रिंस वीरोली मारीगियो:- निकोलो स्माइल :ए बायोग्राफी द मेैकियावली इस प्रकार आज हमने निकोलो मेैकियावली राजनीतिक विचारक के बारे में अध्ययन किया जिसने शक्ति राजनीति पर विशेष जोर दिया था इन्होने सर्वप्रथम धर्म व राज्य को अलग किया था संघात्मक शासन और कानूनी संप्रभुता का समर्थन किया था आधुनिक युग की कुटनीतिक व्यवस्था का भी वर्णन किया था इस प्रकार हम कह सकते हैं कि निकोलो मेकियावेली वास्तव में ही आधुनिक राजनीतिक विचारक था जिसने आधुनिक युग की शुरुआत की थी मेैकियावली एक विवादास्पद विचारक था जिसकी व्याख्या विरोधाभासी चित्र प्रस्तुत करती है कुछ विद्वान उसकी पुस्तक को एक व्यंग भी मानते हैं और कुछ उसे पूर्ण रूप से अनैतिक मानते हैं साधन साध्य का औचित्य प्रस्तुत कर्ता है जैसे वाक्य उनके साथ जोड़कर मेैकियावेलीवाद की भी बात की जाती है जिसके अनुसार साम, दाम, दंड ,भेद कैसे भी अपने उद्देश्य को प्राप्त करना सही माना जाता है लेकिन कुछ व्याख्याकार उसे केवल अपने समय का प्रतिबिंब दिखाने वाला विचारक मानते और कहते हैं कि वह अपने युग का शिष्य था जिस प्रकार बच्चा जो सुनता है देखता है वैसा ही कर देता है वैसे ही उन्होंने अपने समय की प्रवृत्तियों को बिना परीक्षण किए प्रस्तुत किया लेकिन उसकी अंतिम व शाश्वत पहचान यही है कि वह आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत का पिता है more post:- http://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/09/73.html
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