राजस्थान की रियासत: सिरोही के चौहान शासक
सिरोही के चौहान प्राचीन साहित्य में सिरोही को अर्बुद प्रदेश कहा जाता है कर्नल टॉड के अनुसार सिरोही नगर का मूल नाम शिवपुरी था यह क्षेत्र मोैर्य,क्षत्रप, हूण, परमार, राठौड़ ,चौहान, गुहिल आदि शासकों के अधीन रहा मध्यकाल में यहाँ परमारों का राज्य था जिसकी राजधानी चंद्रावती थी इन्हीं के शासनकाल में चंद्रावती के भव्य मंदिर एवं सुंदर मूर्तियों का निर्माण हुआ था सिरोही के देवडा़ओं का आदि पुरुष लुंबा जालौर की देवड़ा शाखा का था जिसने 1311 ईस्वी के लगभग आबू और चंद्रावती को परमारों से छीन कर वहां अपनी स्वतंत्रता स्थापित की उसने 1320 ईस्वी में अचलेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार करवा कर एक गांव हैठूडी भेट की व त्रृषि का मंदिर बनवाया और वशिष्ठ के मंदिर के लिए गांव भेट किए इन शासकों की राजधानी कभी चंद्रावती और कभी अंचलगढ़ में रही सिरोही की स्थापना - चंद्रावती अब लगातार मुस्लिम आक्रमण के कारण राजधानी के लिए उपयुक्त नहीं रही! देवड़ा राजा रायमल के पुत्र शिवभान ने सरणवा पहाड़ों पर एक दुर्ग की स्थापना की और 1405 ईस्वी में शिवपुरी नगर बसाया उसके पुत्र साहसमल ने शिवपुरी से दो मील आगे 1425 ईस्वी में नया नगर बसाया जिसे आजकल सिरोही के नाम से जाना जाता है पुरानी सिरोही को राजधानी रहे रखने के कारण हमेशा गुजराती के आक्रमणों का भय भी हो सकता है साहसमल महत्वकांक्षी शासक था उसने सोलंकी राजपूतों के राज्य में से कुछ भाग लेकर अपने राज्य में मिला लिया जब महाराणा कुंभा को इसकी सूचना मिली तो उसने शीघ्र डोढिया नरसिंह की अध्यक्षता में एक सेना भेजी जिसने आबू ,बसंतगढ़ ,भूड़ तथा सिरोही के पूर्वी भाग को अपने राज्य में मिला लिया अपने विजय के उपलक्ष में राणा ने वहां अचलगढ़ दुर्ग, कुंभा स्वामी का मंदिर ,एक ताल व राज प्रसाद का निर्माण करवाया 1451 ईस्वी में जब लाखा सिरोही का स्वामी बना तो उसने अपना मुख्य उद्देश्य आबू को पुनः प्राप्त करने का बनाया कुंभा की मृत्यु के उपरांत लाखा ने आबू भी ले लिया उसने पावागढ़ से लाकर कालिका की मूर्ति सिरोही में स्थापित की और अपने नाम से लाखनाव तालाब का निर्माण करवाया लाखा के बाद उसका जेष्ठ पुत्र जगमाल सिरोही के सिंहासन पर बैठा जगमाल में हम एक मध्यम श्रेणी के शासक का व्यक्तित्व पाते हैं जो अवसर का लाभ उठाकर उन्नति करना चाहता था सन 18 23 ईस्वी में यहां के शासक शिवसिंह ने ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि कर ली स्वतंत्रता के बाद जनवरी 1950 में सिरोही को राजस्थान राज्य में मिला दिया राजस्थान में 1817 से लेकर 1823 तो लगभग सभी रियासतों ने अंग्रेजों से सहायक संधि की थी अंग्रेजों से सहायक संधि सर्वप्रथम 1817 में करौली राज्य ने की थी लेकिन सिरोही राजा ने सबसे अंत में 18 23 ईस्वी में सहायक संधि की सिरोही राज्य का राजस्थान में विलय स्वतंत्रता के बाद में दो चरणों में हुआ जनवरी 1950 ईस्वी को आबू को छोड़कर बाकी सिरोही का राजस्थान में विलय कर दिया गया आबू को सरदार वल्लभभाई पटेल ने गुजरात में मिला दिया हालांकि बाद में विरोध होने पर 1956 ईस्वी में आबू को राजस्थान में मिला दिया गया इस प्रकार 1956 ईस्वी ईस्वी से सिरोही राजस्थान का भाग है!
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