राजस्थान का इतिहास:किशनगढ़ का राठौड़ राजवंश
किशनगढ़ का राठौड़ राजवंश:- मारवाड़ के शासक मोटा राजा उदयसिंह के पुत्र किशन सिंह ने 16 0 9 ईस्वी में राठौड़ राजवंश के तीसरे राज्य किशनगढ़ की स्थापना की मुगल बादशाह जहांगीर ने किशनसिह को महाराजा की उपाधि दी किशन सिंह के बाद सहसमल ,महाराजा रूप सिंह, महाराजा मानसिंह, महाराजा राज सिंह, महाराजा सावंत सिंह, महाराजा बिड़द सिंह, महाराजा कल्याण सिंह, महाराजा पृथ्वी सिंह, महाराजा सार्दुल सिंह ,महाराजा यज्ञ नारायण सिंह, महाराजा सुमेर सिंह आदि किशनगढ़ के शासक रहे ! इन शासकों में महाराजा सावंत सिंह सर्वाधिक लोकप्रिय रहे महाराजा किशन सिंह:- इन्होंने 1612 ईस्वी में किशनगढ़ नगर बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया इनकी हत्या जोधपुर महाराजा सूर सिंह के पुत्र गज सिंह ने की अजमेर की घुघरा घाटी में इनकी छतरी बनी हुई है महाराजा रूप सिंह :- इन्होंने रूपनगढ़ किले का निर्माण करवाया सामुगढ़ के युद्ध 1658 ईस्वी में औरंगजेब के विरुद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए! महाराजा मानसिंह :- इनकी बहन चारुमति का विवाह मुगल बादशाह औरंगजेब से तय हुआ था लेकिन मेवाड़ महाराणा राजसिंह ने चारुमति से विवाह कर लिया महाराजा सावंत सिंह:- सावंत सिंह स्वयं एक अच्छा कवि व साहित्यकार होने के साथ-साथ विद्वानों व कवियों का आश्रय दाता भी था यह नागरी दास के नाम से काव्य रचना करते थे इनके प्रमुख रचनाएं मनोरथ मंजरी, रसिक रत्नावली, देह दशा ,बिहारी चंद्रिका आदि थी! इन की सभी रचनाओं का सार नगर समुच्चय के नाम से जाना जाता है इनकी एक प्रेयसी बणी-ठणी थी जिसे सांवत सिंह के चित्रकार मोरध्वज निहालचंद ने इनका चित्र बनाकर किशनगढ़ शैली को विश्व प्रसिद्ध बना दिया बणी-ठणी को भारत की मोनालिसा कहा जाता है यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि किशनगढ़ शैली को प्रकाश में लाने का काम एरिक डिकिन्सन तथा डॉ फ़ैयाज़ अली का है।महाराजा सावंत सिंह करण भगत के बाद में अपना राजपाट छोड़कर वृंदावन चले गए वृंदावन में ही उनकी मृत्यु हुई थी इनके समय किशनगढ़ राज्य के दो हिस्से कर किशनगढ़ क्षेत्र को बहादुर सिंह को तथा रूपनगढ़ क्षेत्र को सरदार सिंह को दे दिया था! महाराजा कल्याण सिंह:- इन्होंने 7 अप्रैल 1818 ईस्वी को ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि की अंग्रेजों ने किशनगढ़ राज्य को खिराज से मुक्त रखा! महाराजा पृथ्वी सिंह :- 18 57 की क्रांति के समय यह किशनगढ़ के शासक थे ! महाराजा सुमेरसिंह :- 1939 ईस्वी में यह किशनगढ़ के शासक बने इन्हें आधुनिक साइकिल पोलो का पिता भी कहा जाता है यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि सुमेर सिंह के समय ही 25 मार्च 1948 को किशनगढ़ का पूर्व राजस्थान संघ में विलय हो गया!
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