राजस्थान की झीले: पुष्कर झील पुष्कर (अजमेर )
राजस्थान की झीले: पुष्कर झील पुष्कर (अजमेर ) पुष्कर झील ज्वालामुखी के लावे से निर्मित है अतः इसे कालाडेरा झील का उदाहरण माना जाता है! पुष्कर का उपनाम:- हिंदुओं का पांचवा तीर्थ /तीर्थ राज/ तीर्थों का मामा /कोकण तीर्थ/ बावनघाटा झील /अर्धचंद्राकार झील/ प्रयागराज का गुरु पुष्कर झील राजस्थान की सबसे प्राचीन व प्राकृतिक मीठे पानी की झील है तथा यह धार्मिक दृष्टि से सबसे पवित्र झील है यह राजस्थान में सर्वाधिक प्रदूषित झील है यह राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 58 के निकट स्थित है इस झील पर कुल 52 घाट बने हुए हैं प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इन घाटों का निर्माण मंडोर शासक नाहर राव परिहार ने करवाया था मुगल शासक औरंगजेब ने इन पुष्कर कें घाटों का कई बार नुकसान पहुंचाया इसके बाद पुष्कर के घाटों का वर्तमान स्वरूप मराठों द्वारा 18 09 ईसवी में बनाया गया जनाना घाट/ क्वीन मेरी घाट:- यह एक 1911 ईस्वी में ब्रिटिश महारानी मेरी की भारत यात्रा की स्मृति में निर्मित घाट है यहीं पर महात्मा गांधी की अस्थियां विसर्जित की गई थी इसलिए इसे गांधी घाट भी कहते हैं सभी 52 घाटों में यह सबसे बड़ा घाट है अन्य घाट:- वराह घाट ,गऊघाट ,ब्रह्म घाट ,वल्लभ घाट आदि! पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा को यहां मेला भरता है यह राज्य का सबसे सुंदर और सबसे रंगीन मेला है सर्वाधिक विदेशी पर्यटक ईसी मेले में आते हैं इस समय यहां पशु मेला भी भरता है जो सर्वाधिक घोड़ों की बिक्री वाला मेला है इस मेले के अवसर पर दीपदान की भी परंपरा है पुष्कर झील के किनारे लगभग 400 मंदिर बने हुए हैं इसलिए राज्य सरकार ने पुष्कर को टेंपल टाउन का दर्जा दिया है यहां के प्रमुख मंदिर निम्नलिखित है ब्रह्मा मंदिर :-झील के किनारे विश्व प्रसिद्ध ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित स्थित है जिसकी मूर्ति आदि गुरु शंकराचार्य ने रखी थी इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप गोकुलचन्द पारीक ने बनवाया था वराह मंदिर:-वराह मंदिर का निर्माण अर्णोराज ने करवाया था रंगनाथ जी का मंदिर:- यह मंदिर दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली से निर्मित मंदिर है बैकुंठ जी का मंदिर:- इस मंदिर का निर्माण डीडवाना के प्रसिद्ध सेठ मगनीराम बागड़ द्वारा करवाया गया था सावित्री मंदिर:- पुष्कर झील के दक्षिण में रत्नागिरी की पहाड़ी पर बना हुआ मंदिर है यहां पर राजस्थान का तीसरा रोपवे भी बना हुआ है गायत्री मंदिर:- पुष्कर के उत्तर में स्थित पहाड़ी पर बना हुआ है मान पैलेस :-जयपुर के महाराजा मानसिह प्रथम द्वारा पुष्कर में निर्मित महल मान पैलेस है जहांगीर के महल :-पुष्कर झील के वराह घाट के सामने जहांगीर द्वारा निर्मित महल है गुरु विश्वामित्र ने पुष्कर झील के किनारे तपस्या की जिससे मेनका ने भगं किया था यहीं पर भृतहरी की गुफा व कण्व ऋषि का आश्रम भी है मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद गौरव पांडवों का दिव्य मिलन यहीं पर हुआ था कालिदास ने अभिज्ञान शकुंतलम की रचना यहीं पर की थी वेदव्यास ने महाभारत और गीता की रचना की थी और भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान भी यही किया था 1705 में गुरु गोविंद सिंह ने पुष्कर झील के किनारे गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया पुष्कर झील का सफाई का कार्य:- 1997 -1998 कनाडा के आर्थिक सहयोग से पुष्कर समन्वित विकास परियोजना के तहत किया जा रहा है चौहान शासक चंदन राज की पत्नी आत्म प्रभा (रुद्राणी) प्रतिदिन हजार दीपक पुष्कर झील में प्रवाहित करती थी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी को सभी हिंदू देवी देवता भगवान विष्णु के साथ इसी झील के रास्ते से पाताल लोक में राजा बलि के यहां जाते हैं और 4 माह बाद इसी रास्ते से वापस आते हैं राजस्थान की पुष्कर झील का हिंदू धर्म में बहुत ही अत्यधिक महत्व है
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