राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी अर्जुन लाल सेठी( 1880- 1941 ईस्वी)
राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी अर्जुन लाल सेठी( 1880- 1941 ईस्वी) राजस्थान के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी अर्जुन लाल सेठी का जन्म 9 सितंबर 1880 को जयपुर में एक जैन परिवार में हुआ था! उपनाम -:राजस्थान का दधिचि/ जयपुर में जनजागृति का जन्मदाता! प्रारंभ में यह चोैमू के ठाकुर देवी सिंह के शिक्षक व निजी सचिव नियुक्ति हुए ! जयपुर के तत्कालीन महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने इन्हें जयपुर राज्य का प्रधानमंत्री बनाने की पेशकश की तब इन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया कि अर्जुनलाल नौकरी करेगा तो अंग्रेजों को भारत से कौन निकालेगा अर्जुन लाल सेठी ने जैन शिक्षा प्रचारक समिति की स्थापना 1905 में जयपुर में की इसी के तहत इन्होंने जयपुर में 1907 में वर्धमान विद्यालय, वर्धमान छात्रावास, वर्धमान पुस्तकालय की भी स्थापना की वर्धमान स्कूल मुख्य कार्य क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देना ही था अर्जुन लाल सेठी ने मथुरा में भी एक जैन विद्यालय में अध्यापक के रूप में नौकरी की होर्डिग बम कांड 23 दिसंबर 1912 को गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग के जुलूस पर दिल्ली के चांदनी चौक में बम फेंके जाने की रूपरेखा अर्जुन लाल सेठी ने ही तैयार की थी ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह बम राजस्थान के क्रांतिकारी जोरावर सिंह बारहट ने बुर्का पहन कर चांदनी चौक स्थित मारवाड़ी लाइब्रेरी से फेंका था इस बम कांड में अर्जुन लाल सेठी सहित कई क्रांतिकारी गिरफ्तार किए गए बालमुकुंद और अमीचंद को इस अपराध के लिए मृत्युदंड दिया गया अर्जुन लाल सेठी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर बिना मुकदमा चलाए ही उन्हें जेल में बंद रखा गया अर्जुन लाल सेठी के जयपुर प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उसे वेल्लूर जेल( मद्रास) में रखा गया निमेंज हत्याकांड क्रांतिकारियों के पास धन का अभाव था इसलिए बिहार में आरा जिले के निमेंज ग्राम में स्थित एक धनिक महंत की हत्या कर उनका धन प्राप्त करने का निश्चय किया गया इसके लिए अर्जुन लाल सेठी ने वर्धमान स्कूल के शिक्षक विष्णुदत त्रिपाठी व छात्र माणकचंद, मोतीचंद ,जोरावर सिंह और जयचंद को नियुक्त किया !20 मार्च 1913 को इस महंत व उसके नौकर की हत्या कर दी गई परंतु दुर्भाग्यवश क्रांतिकारियों को धन हाथ नहीं लगा इस हत्याकांड में मोतीलाल को फांसी दी गई और विष्णु दत्त को आजीवन कारावास की सजा दी गई सबूतों के अभाव के बाबजूद अर्जुन लाल सेठी व केसरी सिंह को गिरफ्तार कर दोनों को 20-20 वर्ष की कठोर सजा दी गई लगभग 7 वर्ष बाद 1920 ईस्वी को इन्हें वेल्लूर जेल से छोड़ा गया तब राजस्थान लौटते समय बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में 2000 लोगों ने पुना रेलवे स्टेशन पर इसका भव्य स्वागत किया छात्रों ने बग्धी के घोड़े खोल कर उनकी बग्धी हाथो से खींची अर्जुन लाल सेठी की प्रमुख पुस्तकें 1.शुद्र मुक्ति 2.स्त्री मुक्ति 3पाश्र्वयज्ञ, 4. मदनपराजय 5.महेंद्र कुमार (नाटक) अपने जीवन के अंतिम दिनों में अजमेर के एक मदरसे में करीम खान नाम रख कर मुसलमान बच्चों को अरबी व फारसी का अध्ययन करवाएं 23 दिसंबर 1941 ईस्वी को अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में अर्जुन लाल सेठी की मृत्यु हो गई जहां पर लोगों ने उन्हें मुसलमान समझकर दफना दिया भारत में अंग्रेजी राज नामक पुस्तक के रचनाकार सुंदरलाल के अनुसार दधिचि जैसा त्याग व दृढ़ता लेकर जन्मे थे और उसी तरह से उन्होंने मृत्यु को गले लगा लिया राजस्थान में राजनीतिक चेतना जागृत करने वालों में अर्जुन लाल सेठी अग्रज माने जाते हैं
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