भारतीय संसद में संसदीय समितियां का गठन कार्य व सुझाव
भारतीय संसदीय व्यवस्था में भारतीय संसद अनेक प्रकार के कानूनों का निर्माण करती है उन कानूनों के निर्माण के लिए और कुछ समितियों का गठन करती है जिनके सुझाव को ध्यान में रखते हुए कार्य करती है
संसदीय समितियां
भारतीय संसदीय व्यवस्था में दो प्रकार की सबसे की संख्या पाई जाती हैं
तदर्भ समितियां
यह अस्थाई समिति होती है यह किसी निश्चित उद्देश्य के लिए गठित आते हैं उद्देश्य पूरा होने पर यह समाप्त हो जाती हैं
उदाहरण-संयुक्त प्रवर समिति
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी)-यह है कि स्थाई समिति होती है जो विशेष उद्देश्य के लिए गठित की जाती है यह समिति अपनी रिपोर्ट को भी सार्वजनिक कर सकती है इसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य होते हैं
स्थाई समितियां
इस प्रकार की समितियां प्रत्येक वर्ष गठित होती है जिन का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है इनका सदस्य कोई मंत्री या उपराष्ट्रपति नहीं हो सकता है।
कुछ स्थाई समितियां निम्नलिखित है
प्राक्कलन समिति /अनुमान समिति-
यह एक वित्तीय समिति है इसमें लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं यह समिति अनुदान की मांगों पर समीक्षा करती है साथ ही प्रशासनिक खर्च में कटौती हेतु उपयुक्त सुझाव देती है यह समिति धन के प्रहरी के रूप में काम करती है।
लोक लेखा समिति
लोक लेखा समिति में 22 सदस्य होते हैं इनमें लोकसभा के 15 व राज्यसभा के 7 सदस्य होते हैं यह समिति सीएजी की रिपोर्ट की समीक्षा करती है और भ्रष्टाचारियों को दंड देने के लिए संसद को कहती है
1967 ईस्वी से यह प्रथा है कि इनका अध्यक्ष विपक्ष का नेता था
इसे प्राक्कलन समिति की जुड़वा बहन कहते हैं।
सार्वजनिक उपक्रम समिति
इनमें भी लोक लेखा समिति की तरह लोकसभा के 15 व राज्यसभा के 7 सदस्य होते हैं।
यह भारत सरकार के उद्योगों के बारे में सिफारिश करती है जैसे नवरत्न मिनिरत्न महारत्न आदि का दर्जा देने को कहती है भारत में नवरत्न की अवधारणा को 1997 में शुरू हुई और महारत्न की अवधारणा 2010 से शुरू हुई
विभागीय समितियां
भारत में इस समिति की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विभाग या मंत्रालय को सीधे संसद के प्रति उत्तरदाई बनाना।
1989 समिति विभागीय समितियां बनी
कृषि
वन पर्यावरण
विज्ञान तकनीकी
वर्तमान में 24 विभागीय समितियां हैं
2005 -06 मई आउटकम बजट अपनाने के बाद इन विभागीय समितियों का महत्व बढ़ गया क्योंकि आउटकम बजट में उद्देश्यों के आधार पर धन खर्च करने पर बल दिया जाता है।
कार्यमंत्रणा/ व्यवसायिक समिति
कार्य मंत्रणा की लोक सभा समिति में 15 सदस्य होते हैं जबकि राज्यसभा समिति में 11 सदस्य होते हैं
करियर मंत्र नाव की लोकसभा समिति का अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष होता है वह राज्य सभा समिति का अध्यक्ष उपसभापति होता है
इस समिति का प्रमुख कार्य प्रश्न, प्रस्ताव और विद्येयक का क्रम और समय का निर्धारण करना होता है।
नियम समिति
लोकसभा की नियम समिति में 11 सदस्य और राज्यसभा की नियम समिति में 16 सदस्य होते हैं
लोक सभा की नियम समिति का अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष राज्य सभा की नियम समिति का अध्यक्ष उपसभापति होता है इनका प्रमुख कार्य है संसदीय नियम बनाने के बारे में सिफारिश करना।
विशेषाधिकार समिति
इस समिति में लोकसभा विशेषाधिकार समिति के 15 सदस्य और राज्यसभा विशेषाधिकार समिति के 10 सदस्य होते हैं इनका प्रमुख कार्य विशेष अधिकारों की रक्षा करना संसदीय विशेषाधिकार अनुच्छेद 105 में दिए गए हैं संसदीय विशेषाधिकार दो प्रकार के होते हैं
व्यक्तिगत विशेषाधिकार
बोलने की छूट
सदन के प्रारंभ होने के 40 दिन पूर्व व सत्र समाप्त होने के 40 दिन पश्चात तक सिविल मामलों में संसद सदस्यों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा
किसी संसद सदस्यों को गिरफ्तार किया जाता है तो इसकी सूचना लोकसभा अध्यक्ष व सभापति को देनी होगी
सामूहिक विशेषाधिकार
सदन की अवमानना के लिए दंड दे सकते हैं
सदन की कार्रवाई को प्रकाशित होने से रोक सकता है
अनुपस्थिति संबंधी समितियां
यह समितिया सिर्फ लोकसभा में होती हैं राज्यसभा में नहीं।
इनमें 15 सदस्य होते हैं जो अनुच्छेद 101 के मुद्दे पर सदन को कार्रवाई करने के लिए कहते हैं
अनुच्छेद 101 में यह प्रावधान है कि यदि संसद का कोई सदस्य लगातार 60 दिन या अधिक समय तक बिना सूचना दिए अनुपस्थित रहता है तो उनकी सदस्यता रद्द की जा सकती है इन 60 दिनों में उन दिनों को नहीं गिना जाएगा जब संसद 4 दिन या अधिक दिन स्थगित रहा हो।
राज्यसभा में यह समिति नहीं होती वहां पर अनुपस्थिति के मुद्दे पर संपूर्ण सदन विचार करता है
संसद की कुछ अन्य समितियां
राजभाषा समिति- इनमें लोकसभा के 20 व राज्यसभा के 10 सदस्य होते हैं
नैतिकता संबंधी समिति
इनमें भी लोकसभा के 20 व राज्यसभा के 10 सदस्य होते हैं नैतिकता संबंधी समिति 1997 में बनाई गई
महिलाओं से संबंधित समिति
यह 1997 में बनाई गई इनमें भी लोकसभा के 20 व राज्यसभा के 10 सदस्य होते हैं
लाभ के पद से संबंधित समिति
इस समिति की स्थापना 2005 में की गई में लोकसभा के 10 व राज्यसभा के 5 सदस्य होते हैं
sc-st समिति
इनमें लोकसभा के 12 व राज्यसभा के 10 सदस्य होते हैं
पुस्तकालय समिति -इस समिति का अध्यक्ष लोकसभा का उपाध्यक्ष होता है
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