राजनीतिक विचारक एफ. ए. हेयक (F.A. Hayek) (1899-1992)
एफ. ए. हेयक (F.A. Hayek) (1899-1992)
एफ. ए. हेयक (F.A. Hayek) (1899-1992)
हेयक ने तीन महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की है : (i) रोड टु सर्फडम (Road to Serfdom), (ii) द कांस्टीट्यूशन ऑफ लिबर्टी (The Constitution of Liberty), (iii) लॉ लेजिस्लेशन ऑफ लिबर्टी (Law Legislation of Liberty) I
(i) रोड टु सर्फडम (Road to Serfdom) : इस रचना के अंतर्गत हेयक ने केन्द्र उन्मुख अर्थव्यवस्था (Centrally Directed Economy) का विरोध करते हुए बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था (Market Economy) का समर्थन किया है। इसका मत है कि अर्थव्यवस्था का व्यवस्थापन उपयुक्त नहीं है। (No Economy Planning) क्योंकि इससे सर्वाधिकारवाद (Totalitarianism) का रूप सामने आता है। इसके अनुसार, अच्छा समाज (Good Society) एक जटिल कानूनी ढाँचे, नैतिक परम्परा और व्यवहार के नियमों पर आधारित होता है न कि सरकार द्वारा तैयार किए गए कानूनी ढाँचे के आधार पर। हेयक द्वारा रचित इस पुस्तक को हर्मन फाइनर ने रोड टू रियेक्शन (Road to Reaction ) का खिताब दिया है।
(ii) द कांस्टीट्यूशन ऑफ लिबर्टी (The Constitution of Liberty ) : इसके अंतर्गत उसने राज्य के कार्यों का उल्लेख किया है। उसने राज्य के मुख्यत: तीन कार्य बताए है: (1) बाजार व्यवस्था (Market System) के अंदर 'प्रतिस्पर्धा' में वृद्धि करना (2) बाजार व्यवस्था के बाहर 'कल्याणकारी सुरक्षा जाल' (Welfare Safety Net) की व्यवस्था करना तथा (3) ऐसी आवश्यकताओं की पूर्ति करना जिन्हें बाजार नहीं कर सकता उदाहरण के लिए सबके लिए न्यूनतम आय की व्यवस्था
करना। हेयक ने शास्त्रीय उदारवाद (पुराने व्यक्तित्वाद) का समर्थन करते हुए कहा कि उसमें बलप्रयोग (Coercion) की बहुत संभावना होती थी जिससे नागरिकों को ठोस लाभ (Material Benefits) प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती थी।
हेयक द्वारा इस पुस्तक में व्यक्त विचारों की आलोचना करते हुए क्रिश्चियन बे ने इसे 'स्थाई विशेषाधिकार का संविधान' (The Constitution of Perpetual Privilege) की संज्ञा दी है।
(iii) लॉ लेजिस्लेशन ऑफ लिबर्टी (Law Legislation of Liberty) : इस कृति के अंतर्गत उसने शास्त्रीय उदारवाद (Classical Liberalism) को विकासात्मक विचारों (Evolution Themes) के साथ मिलाकर कानूनी प्रत्यक्षवाद (Legal Positivism) पर प्रहार किया। इस कृति में उसने बाजार अर्थव्यवस्था की स्थिरता संबंधी समस्याओं पर अपना ध्यान आकृष्ट किया है तथा नए उदारवादी संविधान (New Liberal Constitution) के लिए अपने विचारों का उल्लेख किया है। और बताया है कि इस संविधान में शक्ति विभाजन (Division of Power) की पुनः आवश्यकता पड़ेगी। उसने बताया कि नागरिक यदि इस संविधान को अपना लेंगे तो उन्हें ऐसे उपायों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी जो अंततः स्वतंत्रता (Liberty) और मानव कल्याण (Human Welfare) के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं।
स्वतंत्रता की संकल्पना
हेयक के अनुसार, स्वतंत्रता का मूल अर्थ 'प्रतिबंधों के अभाव में निहित है। प्रतिबंधों के प्रयोग को सीमित रखकर ही इसकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। हेयक व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Individual Liberty) का समर्थक है और उसका कहना है, "मनुष्य तभी स्वतंत्र हो सकता है जब वह किसी दूसरे की स्वच्छन्द इच्छा (Arbitrary Will) द्वारा विवश या बाध्य न हो।" ज्ञान की स्वतंत्रता (Liberty of Knowledge) पर विचार प्रकट करते हुए उसने बताया कि, “वर्तमान युग में ज्ञान का विस्तार हुआ है, किंतु केन्द्रण नहीं बल्कि बिखरा हुआ है। विश्व में ज्ञान की मात्रा जितनी अधिक होगी उसकी तुलना में किसी एक व्यक्ति का ज्ञान बहुत सूक्ष्म होगा। ... अत: सर्वोत्तम व्यवस्था वह होगी जिसमें सारे व्यक्ति अपने-अपने लिए ज्ञान का प्रयोग कर सके।'
हेयक ने स्वतंत्रता को परिभाषित करते हुए लिखा है, "प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का आश्वस्त क्षेत्र प्राप्त है जिसमें अन्य व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकते, विकल्प के तत्व को निर्णायक के रूप में मानना चाहिए।" इस प्रकार हेयक नकारात्मक स्वतंत्रता का पक्षधर हो जाता है। उसने चार प्रकार की स्वतंत्रता का उल्लेख किया है। 1. वैयक्तिक स्वतंत्रता
2. राजनीतिक स्वतंत्रता
3. आंतरिक स्वतंत्रता
4. शक्तिरूपी स्वतंत्रता
हेयक ने वैयक्तिक स्वतंत्रता को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया है और इसे शेष तीनों स्वतंत्रताओं (राजनीतिक, आंतरिक और शक्तिरूपी) से पृथक मानना आवश्यक बताया है। उसने वैयक्तिक स्वतंत्रता को पूर्ण स्वतंत्रता बनाने का प्रयास किया है। उसकी मान्यता है कि सभी लोगों को कुछ-कुछ स्वतंत्रता दिए जाने से अच्छा है कि कुछ लोगों को जो कि उसके योग्य हैं पूरी स्वतंत्रता दे दी जाए। हेयक ने बाजार अर्थव्यवस्था को समर्थन करते हुए व्यक्ति को उसकी स्वयं की क्षमता एवं योग्यता के अनुरूप लाभ कमाने की पूरी छूट दी है।
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