बिस्मार्क का जर्मन संघ के एकीकरण में योगदान
मेटरनिख यानी कट्टर निरंकुश्ता का प्रतीक
मेटरनिख का जन्म 15 मई, 1773 को काटलेज नामक स्थान पर हुआ था 1809 ई. में वह ऑस्ट्रिया का चांसलर बना वह अपने युग का महान राजनीतिज्ञ था 1815 ई. से 1848 ई. तक यूरोप में वह प्रभावशाली व्यक्ति रहा था प्रगति के विरुद्ध वह प्रतिक्रियात्मक भावनाओं से ओत-प्रोत था वह नवीन विचारों से द्वेष रखने वाला एवं प्राचीन अंधकारपूर्ण प्रवृत्तियों का मुखिया था नेपोलियन के पतन के पश्चात् 1815 ई. में आयोजित वियना व्यवस्था में अग्रणी भूमिका निभाई तथा संपूर्ण यूरोप में प्रतिक्रियावादी शासन व्यवस्था कायम की। मेटरनिख की इस व्यवस्था से असंतोष के कारण ऑस्ट्रिया में विद्रोह हो गया तथा 1848 ई. में मैटरनिख सत्ता का पतन हो गया
मेटरनिख जर्मनी के एकीकरण का सबसे बड़ा रोड़ा था जब 1815 में मेटरनिख व्यवस्था के विरुद्ध 1815 में जर्मनी के जैना विश्वविद्यालय के छात्रों के द्वारा ' बर्शेनशेफ्ट 'नामक संगठन की स्थापना की तब इन संगठन की गतिविधियों से भयभीत होकर मेटरनिख ने 1819 में कालर्सवाद के आदेश जारी किए जिनका स्थाई रूप 1824 में दिया, इन आदेशों को जारी करने का उद्देश्य जर्मनी में राष्ट्र्वादी छात्र संगठनों को नियंत्रित करना था
नेपोलियन ने जर्मनी के 39 राज्यों का एक संघ बनाकर राष्ट्रीय एकता का मार्ग प्रशस्त किया और इस संघ को राइन संघ कहा गया
प्रशा ने 1819 में जालवरीन संघ का गठन किया इसके अंतर्गत जर्मनी की सीमा के अंदर निशुल्क वाणिज्य नीति का प्रचलन शुरू हुआ ताकि आर्थिक एकीकरण के आधार पर जर्मनी का एकीकरण की शुरुआत हो सके
बिस्मार्क 1862 में प्रशा का चांसलर बना था
1852 में लंदन में हुई एक सम्मेलन में श्लेसविग हाल्सटाइन बस्तियां डेनमार्क को इस शर्त पर दी थी कि वह कभी इनका पूरा विलय कभी नहीं करेगा और अगले 10 वर्ष तक सभी ने इनका पालन भी किया लेकिन 1863 में डेनमार्क ने इन बस्तियों को अपने राज्य में मिल लिया
तब प्रशा ने ऑस्ट्रिया को साथ लेकर 1864 में डेनमार्क पर आक्रमण किया और डेनमार्क पराजित हुआ इसके पश्चात डेनमार्क के साथ वियना की संधि की गई तथा यह समय क्षेत्र इन दोनों देशों ने अपना अधिकार में ले लिया
14 अगस्त 1866 गेस्टाइन समझौता हुआ और ही समझौते के तहत श्लेसविग प्रशा के पास रहा, हाल्सटाइन ऑस्ट्रिया को दे दिया तथा लायनबर्ग की डची प्रशा को बेच दी गई
इस समझौते पर प्रतिक्रिया देते हुए बिस्मार्क ने कहा इस समझौते के द्वारा हमने दरार को कागज से ढक दिया है
इसके पश्चात बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया को अलग-अलग करने की नीति अपनाई और इसी क्रम में इन्होंने नेपोलियन तृतीय के साथ 1865 में बियारटिज नामक स्थान पर भेंट की और सार्डीनिया पीडमांट को वेनेशिया के प्रदेश देकर अपनी ओर मिला लिया ...मोल्तके को प्रशा की सेना को नेतृत्व देकर उसे हर परिस्थिति में तैयार रहने के लिए कहा और इसके पश्चात प्रसिद्ध सात सप्ताह का सेडोवा का युद्ध लड़ा गया...
जर्मनी के एकीकरण के संबंध में अंतिम युद्ध सेडान का युद्ध था जो 1 सितंबर 1870 को शुरू हुआ था इस युद्ध में प्रशा के सेनापति वान माल्टके ने फ्रांसीसी सेना को बुरी तरह पराजित किया तथा नेपोलियन तृतीय को 83000 सेना सहित आत्मसमर्पण करना पड़ा
28 जनवरी 1871 को पेरिस के पतन के साथ ही सेडान का युद्ध समाप्त हो गया और युद्ध के पश्चात 26 फरवरी 1871 को शांति संधि की प्रारंभिक शर्तों पर हस्ताक्षर हुए और 10 मई 1871 को फ्रेंकफर्ट की संधि हुई और इस संधि के तहत फ्रांस को अल्लास लांरेस के प्रदेश जर्मनी को देने पड़े...
कावुर का मानना था कि विदेशी सहयोग के बगैर इटली का एकीकरण नहीं हो सकता इसी क्रम में 1854 में इन्होंने क्रीमीया युद्ध में रूस के खिलाफ इंग्लैंड और फ्रांस के साथ मिलकर तुर्की का साथ दिया था और इसका फायदा यह हुआ कि मार्च 1856 में जो पेरिस सम्मेलन आयोजित किया गया इस सम्मेलन में का और इटली की दुर्दशा का चित्रण यूरोप के समस्त देशों के सम्मुख प्रस्तुत करने में सफल रहा इस अवसर पर फ्रांस के विदेश मंत्री वैलेवस्की ने कहा था कि "तुम इतने चतुर हो कि तुमने ऐसे मामले में भी प्रवेश पा लिया जिससे तुम्हारा कोई प्रयोजन नहीं है" इसी कारण कहा जाता है कि क्रीमिया के कीचड़ से इटली का जन्म हुआ था
1858 में आर्सिनी कांड के पश्चात ऐसा लगा कि फ्रांस का शासक नेपोलियन तृतीय अब इटली का कोई सहयोग नहीं करेगा लेकिन इसी दौरान कावूर और नेपोलियन तृतीय के मध्य प्लोम्बियर्स का समझौता हो जाता है और इस समझौते के तहत सार्डिनिय को लोम्बार्डी और वेनेशिया की प्रदेश मिलने थे वहीं नीस और सेवाय के प्रदेश फ्रांस को देने का आश्वासन दिया गया
इसके पश्चात कावुर ने युद्ध की तैयारी शुरू कर दी जिससे बौखला कर आस्ट्रिया ने आक्रमण की घोषणा क दी...कावूर प्रसन्नता से चिल्ला उठा" पास उलट गया है और हम इतिहास बनाने जा रहे हैं"
तब फ्रांस और सार्डिनीया की सेनो ने मिलकर ऑस्ट्रिया को मांटबेलो, पोलेस्ट्रो मेगेन्टो तथा साल्फेरिनो के युद्ध में पराजित किया लेकिन इसी बीच नेपोलियन तृतीय ने ऑस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस जोसेफ से मिलकर 11 जुलाई 1859 को विलाफ्रेका की विराम संधि कर ली तब लिपसेन महोदय ने कहा "इस देश ने विजय उल्लास का प्याला अपने होठों से लगाया ही था कि वह गिरकर चकनाचूर हो गया "
10 नवंबर 1859 को ज्युरिख की संधि के द्वारा विलाफ्रेका की विराम संधि की पुष्टि कर दी गई...
3 जुलाई 1866 को सेडोवा या कोनिग्राज के युद्ध में ऑस्ट्रेलिया की सेना प्रशा से पूर्ण रूप से पराजित हुई
इस युद्ध के पश्चात 23 अगस्त 1866 को प्राग की संधि की गई और इस संधि के तहत मेंन नदी के उत्तर में स्थित राज्यों का एक नया संघ उत्तर जर्मन परिसंघ बनाने की स्वीकृति ऑस्ट्रिया ने दे दी
अतः बिस्मार्क ने 21 राज्य को मिलाकर प्रशा के नेतृत्व में उत्तरी जर्मन संघ का गठन किया... संघ के लिए दो सदनों की संघीय संसद गठित की गई प्रथम राइखस्टेग यानी लोकसभा तथा दूसरी संघिय परिषद यानी बुन्देसराट...
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