प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत व प्रमुख घटनाएं 1914-1919
प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत व प्रमुख घटनाएं 1914-1919
प्रथम विश्व युद्ध के पूर्व के कुछ संकट
फशोदा कांड -सूडान को लेकर 1898 में यह संकट इंग्लैंड और फ्रांस में तनाव के कारण आयाथा
डोगर बैंक घटना - 1904-05 में यह संकट इंग्लैंड और रूस में तनाव के कारण आया था
अगाडिर संकट - 1911 में मोरक्को की राजधानी फेज में विद्रोह हो गया था तब फ्रांस ने वहां अपनी सेना भेजी इसके विरोध में जर्मनी ने पेंथर नामक युद्धपोत अगाडिर के बंदरगाह पर भेज दिया । इसे अंतर्राष्ट्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया । इस संकट में इंग्लैंड द्वारा फ्रांस का समर्थन देने से इंग्लैंड और जर्मनी के संबंधों में और अधिक कटुता उत्पन्न हुई । 4 नवंबर 1911 को जर्मनी, फ्रांस तथा ब्रिटेन के मध्य समझौता हुआ जिसके तहत जर्मनी को मोरक्को पर फ्रांस का आधिपत्य स्वीकार करना पड़ा । फ्रांस ने फ्रेंच कांगो का आधा भाग जर्मनी को देना स्वीकार किया
कासाब्लांका घटना - 1908 में फ्रांस और जर्मनी के मध्य तनाव हुआ था
28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया के द्वारा सर्बिया पर आक्रमण करने के परिणाम स्वरूप प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई थी इस युद्ध का तात्कालिक कारण 28 जून 1914 को आस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिनेन्ड तथा पत्नी सोफी की गैबरिल़ो नामक व्यक्ति के द्वारा सेराजेवो में गोली मार दी गई थी...
1879 में dual alliance के तहत जर्मनी तथा ऑस्ट्रिया के बीच, उसके बाद 1882 में tripple alliance के तहत जर्मनी ,आस्ट्रिया तथा इटली का गठबंधन हुआ जिस के प्रत्युत्तर में 1894 में रूस तथा फ्रांस का गठबंधन हुआ और 1904 में इंग्लैंड ने फ्रांस के साथ हार्दिक समझौता कर लिया और 1907 में रूस के साथ मिलने के बाद ट्रिपिल आतांत के रूप में यह संगठन अस्तित्व में आया ... इससे पूर्व 10 मई 1871 को फ्रेकंफर्ट कि जो संधि हुई थी उसके तहत फ्रांस के अल्सास और लारेंस प्रदेश जर्मनी ने हासिल कर लिए थे पोएंकारे ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि हमारी पीढ़ी अपने छिने हुए प्रांतों को फिर से वापस ले पाने की आशा में नए जी रही हो तो मुझे तो उसके जीवित रहने के लिए कोई अन्य कारण नहीं दिखाई पड़ता
फशोदा काडं को लेकर इंग्लैंड व फ्रांस आमने सामने हो चुके थे लेकिन 1904 के समझौते के तहत इंग्लैंड ने फ्रांस को मोरक्को में अपनी इच्छा अनुसार तथा फ्रांस ने इंग्लैंड को मिस्र में अपनी इच्छा के अनुसार शासन करने की अनुमति दे दी थी लेकिन जर्मनी के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं किया गया था तब 1906 मे स्पेन के अल्जेसिरास के अंदर मोरक्को को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया गया हालांकि बाद में मोरक्को को स्वतंत्रता दे दी गई
1912 के अंदर सर्बिया, बुलगारिया , यूनान तथा मोंटेनीग्रो ने मिलकर बाल्कन संघ का निर्माण किया जोकि मकदूनिया पर तुर्की अत्याचार कर रहा था हालांकि प्रथम बाल्कन युद्ध के पश्चात इस संघ में आपस में फूट पड़ गई
इन सबके बाद 28 June 1914 को ऑस्ट्रिया के राजकुमार फर्डिनेंड अपनी यात्रा के दौरान बोस्निया की राजधानी सेराजोवा पहुंचा जहां पर काला हाथ नामक एक समिति के सदस्य प्रिंसेप के द्वारा फर्डिनेडं और इनकी पत्नी सोफी की हत्या कर दी जाती है जिसके कारण 28 जुलाई 1914 को विश्वयुद्ध औपचारिक रूप से शुरु हो गया 3 अगस्त को जर्मनी ने फ्रांस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी और इसके अगले ही दिन ब्रिटेन भी युद्ध में शामिल हो गया हालांकि अमेरिका प्रारंभ में युद्ध में तटस्थ रहा था लेकिन 6 अप्रैल 1917 को वह भी युद्ध में शामिल हो गया क्योंकि जर्मनी ने लुसिटिनिया नामक जहाज डूब गया था
प्रथम विश्व के दौरान लड़ी गई लड़ाईयां
मार्न कि लड़ाई
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 6 से 10 सितंबर 1914 के मध्य फ्रांस और जर्मनी के बीच लड़ा गया युद्ध इस युद्ध में जर्मनी की पराजय हुई थी और जर्मनी की प्राची की पक्ष फान माल्टके के स्थान पर फान फाकनहाइन को जर्मन सेनाओ का सेनापति नियुक्त किया गया
फाकनहाइन ने 1918 में कहा था कि जर्मनी युद्ध हार गया लेकिन युद्ध में जो कुछ रोमांचक्कारी घटनाएं हुई उसे देखकर आनंद आ गया
वर्दून की लड़ाई
प्रथम विश्व युद्ध के समय यह सबसे लंबी लड़ाई लड़ी गई थी जो 21 फरवरी 1916 से 18 दिसंबर 1916 के बीच लड़ी गई थी
सोम की लड़ाई - जुलाई 1916 में लड़ी गई थी, इस लड़ाई में पहली बार टैंको का इस्तेमाल किया गया था
जटलैंड का युद्ध - 31 मई से 1 जून 1916, यह समुद्र में लड़ा गया युद्ध था
प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान 36 राष्ट्रों ने भाग लिया था जिसमें धुरी राष्ट्रों की ओर से 4 राष्ट्र प्रमुख रूप से थे और 32 राष्ट्र मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ाई लड़ रहे थे प्रारंभ धुरी राष्ट्रों का पलड़ा भारी था लेकिन अंत में मित्र राष्ट्रों ने विजय हासिल की युद्ध के दौरान ही बोल्शेविक क्रांति होने के कारण रूस ने जर्मनी के साथ 3 मार्च 1918 को ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि कर ली और अपने आप को युद्ध से अलग कर लिया था और अंत में 11 नवंबर को 11:00 बजे मार्शल फौच के समक्ष काॉम्पेन के जंगलों में हस्ताक्षर कर दिए
इस युद्ध को रोकने का सर्वाधिक प्रयास इंग्लैंड के विदेश मंत्री एडवर्ड ग्रै ने किया लेकिन असफल होने पर उन्होंने निराशा पुराने शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब संपूर्ण यूरोप में दिए बुझ रहे हैं हमारे जीते जी यह पुनः नहीं जलेंगे वही जर्मन जनरल फाकनहाइन फिर घटनाओं से इतना अधिक प्रभावित हुआ कि उन्होंने कहा कि हमारा अंत में चाहे सर्वनाश हो जाए लेकिन यह एक खूबसूरत क्षण था
इसके पश्चात 28 जून 1919 को पेरिस के इन वर्साय महलो में प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात जर्मनी के साथ वर्साय की संधि की गई थी इसमें 32 राष्ट्र शामिल हुए थे वार्ता को गुप्त रखने के लिए चार बड़े राष्ट्रों कि परिषद का निर्माण किया गया जिसमें अमेरिका के वुड्रो विल्सन, इटली के ओरलेण्डो ,फ्रासं के क्लिमेंशो और इंग्लैड के लायड जार्ज शामिल थे इटली के प्रतिनिधिफ्यूम पर अधिकार चाहता था जो ना मिलने के कारण अपने आप को संधि वार्ता से अलग कर लिया था
इस संधि के तहत 1871 मे सेडान के युद्ध के बाद जर्मनी ने फ्रेकंफर्ट की संधि के तहत अल्सास और लारेंस प्रदेश पर अधिकार कर लिया था उसे फ्रांस को वापस लौट आना पड़ा वही पोलैंड को समुद्र तक पहुंचने के लिए जर्मनी के बीच से पोलिश गलियारे का निर्माण किया गया जर्मनी को आर्थिक सामरिक रूप से पंगु बना दिया गया इसी कारण मार्शल फोच ने कहा था कि "यह संधि नहीं बल्कि 20 वर्षों के लिए युद्धविराम है" और ठीक 20 वर्षों के पश्चात दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया.
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