राजसमंद जिले का परिचय महत्वपूर्ण स्थान
राजसमंद जिले का परिचय महत्वपूर्ण स्थान
राजसमंद- राजसमंद जिले का गठन 10 अप्रैल 1991 को हुआ था इससे पहले यह उदयपुर जिले का अंग था
राजसमंद झील- राज सिंह के द्वारा गोमती नदी के पानी को रोककर राजसमंद झील का निर्माण 1662 ईस्वी में अकाल राहत कार्यों के तहत करवाया गया था तथा इसी झील की पाल पर 1676 ईस्वी में राज प्रशस्ति भी लिखवाई जो विश्व की सबसे बड़ी प्रशस्ति मानी जाती है इसमें मेवाड़ मुगल संधि का उल्लेख मिलता है
राज सिंह ने नाथद्वारा में श्रीनाथजी का मंदिर तथा कांकरोली में द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण करवाया था
कुंभलगढ़ दुर्ग - कुंभलगढ़ का दुर्ग राजस्थान के राजसमंद जिले में अरावली पर्वत श्रंखला के एक उच्च शिखर पर स्थित है गिरी दुर्ग के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में विख्यात कुंभलगढ़ दुर्ग का निर्माण मेवाड़ के राणा कुंभा ने मौर्य शासक सम्प्रति द्वारा निर्मित एक प्राचीन दुर्ग के भग्नावशेषों पर करवाया था.
विश्व धरोहर के रूप में संरक्षित कुंभलगढ़ की आधार शिला 1448 ईस्वी में रखी गई थी और इसका निर्माण कार्य 1458 ईस्वी में पूर्ण हुआ था
कुंभलगढ़ दुर्ग का शिल्पी प्रसिद्ध वास्तुकार मंडन था
राणा कुंभा की सैन्य शक्ति का प्रतीक यह दुर्ग मेवाड़ के राजपरिवार के लिए शरणस्थली के रूप में विख्यात रहा है.
कुंभलगढ़ दुर्ग में एक लघु दुर्ग भी स्थित है,जो कटार गढ़ के नाम से है.
कटार गढ़ में अवस्थित बादल महल में ही वीर शिरोमणि राणा प्रताप का जन्म हुआ था . इस महल को देख कर आगंतुक आज भी अभिभूत हो जाते हैं
इसी दुर्ग के कटारगढ महल में 9 मई 1540 को महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था
कुंभलगढ़ को मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी भी कहा जाता है
कुंभलगढ़ दुर्ग के दीवार की लंबाई कुल 36 किलोमीटर है
अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा है कि "यह दुर्ग देखने पर सिर पर रखी पगड़ी गिर जाती है"
कर्नल जेम्स टॉड ने इस दुर्ग की तुलना एट्रुस्कन से की है
मोलेला - नाथद्वारा के निकट स्थित मोलेला गांव पकाई हुई मिट्टी के खिलौने टेराकोटा के लिए प्रसिद्ध है
खमनौर -
यहां से बनास उद्गम का होता है
यह दमशक/ चैती गुलाब के लिए प्रसिद्ध है
हाकिम खां सुरी का मकबरा यही है
श्रीनाथ जी का मंदिर - इस मन्दिर का निर्माण राजसिंह के द्वारा 1671-72 ईस्वी में करवाया था
इस मन्दिर में श्रीकृष्ण जी की काले संगमरमर की प्रतिमा स्थित है
यहां वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधान पीठ स्थित है
श्रीनाथ जी को सात ध्वजा का स्वामी कहा गया है
गिलुण्ड सभ्यता - यह सभ्यता राजसमंद में बनास नदी के किनारे स्थित है जिसका उत्खनन 1957 में बी बी लाल के द्वारा किया गया था यह ताम्रयुगीन सभ्यता है यहां से लाल व काले मृदभांड संस्कृति के अवशेष प्राप्त हुई है
नाथद्वारा - मेवाड़ के शासक राज सिंह 1671 ईस्वी में औरंगजेब के समय श्रीनाथजी की मूर्ति वृंदावन से यहां लाए थे
पिछवाई पेंटिंग और मीनाकारी के लिए नाथद्वारा प्रसिद्ध है
यह वल्लभ संप्रदाय की राजस्थान में प्रमुख पीठ है
यहां श्रीनाथ का मंदिर है
नाथद्वारा में गुलाबी गणगौर चैत्र शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है
हल्दीघाटी- हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को अकबर और महाराणा प्रताप के मध्य हुआ था इस युद्ध का प्रत्यक्ष वर्णन बदायुनी ने मुतखब उत तवारीख में किया है
अबुल फजल ने इस युद्ध को खमनोर का युद्ध कहा है
बदायुनी ने इस युद्ध को गोगुंदा का युद्ध कहा है
कर्नल जेम्स टॉड ने इस युद्ध को मेवाड़ की थर्मोपल्ली कहा है
कुंभलगढ़ का युद्ध- शाहबाज खां ने 1578 में महाराणा प्रताप के खिलाफ तीन बार अभियान किया था
दिवेर का युद्ध - दिवेर का युद्ध 1582 में अकबर तथा महाराणा प्रताप के मध्य हुआ था इस युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय हुई थी कर्नल जेम्स टॉड ने युद्ध को मेवाड़ का मैराथन का है
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