दलित समाज से सर्वोच्च न्याय तक: न्यायमूर्ति गवई की प्रेरक यात्रा
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश 👨⚖️
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई: भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में एक नई शुरुआत"
"दलित समाज से सर्वोच्च न्याय तक: न्यायमूर्ति गवई की प्रेरक यात्रा"
"न्याय की नई दृष्टि: न्यायमूर्ति भूषण गवई का नेतृत्व"
"संविधान के संरक्षक: न्यायमूर्ति गवई मुख्य न्यायाधीश नियुक्त"
"न्यायपालिका में समावेशन का प्रतीक: न्यायमूर्ति गवई"
न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) 14 मई 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (#CJI) के रूप में शपथ लेंगे। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (#CJISanjivKhanna) 13 मई को सेवानिवृत्त होंगे, जिसके बाद न्यायमूर्ति गवई यह पद संभालेंगे।
जस्टिस बीआर गवई होंगे 'अगले' मुख्य न्यायाधीश (देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश)
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति से सम्बन्धित केस
1. पहला जज केस (S.P. Gupta v. Union of India, 1981) – इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका प्रमुख होगी। मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सलाह बाध्यकारी नहीं है। यानी नियुक्ति में कार्यपालिका (Executive) की प्राथमिकता मानी गई।
2. दूसरा जज केस (Supreme Court Advocates-on-Record Association v. Union of India, 1993) – इस फैसले में कोर्ट ने पहला जज केस पलट दिया और कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की राय सर्वोपरि होगी। इसी केस से "कोलेजियम प्रणाली" की शुरुआत हुई, जिसमें CJI और दो वरिष्ठतम जज नियुक्तियों की सिफारिश करते हैं।
3. तीसरा जज केस (Re Presidential Reference, 1998) – भारत के राष्ट्रपति ने न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि CJI को नियुक्ति में निर्णय लेते समय चार वरिष्ठतम जजों से परामर्श करना होगा। इससे कोलेजियम प्रणाली और मजबूत हुई।
🧑⚖️ न्यायमूर्ति भूषण गवई का परिचय :
🔸जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र
🔸कानूनी करियर की शुरुआत: 1985 में बार काउंसिल में नामांकन
🔸बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत प्रैक्टिस: 1987 से 1990 तक
🔸बॉम्बे हाइकोर्ट जज : 2000
🔸सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति: 24 मई 2019
🔸मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल: 14 मई 2025 से 23 नवंबर 2025 तक (लगभग 6 महीने)
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र।
शिक्षा: बी.ए. और एलएल.बी. की डिग्री नागपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
वकालत और न्यायिक करियर
वकालत की शुरुआत: 16 मार्च 1985 को बार में नामांकन।
प्रारंभिक अभ्यास: बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र वकालत; बाद में नागपुर बेंच में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में विशेषज्ञता।
सरकारी पद: नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक; 17 जनवरी 2000 को सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त हुए।
न्यायिक नियुक्तियाँ:
14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त।
24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
प्रमुख भूमिकाएँ और योगदान
राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA): कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सेवा दे रहे हैं।
महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर: कुलपति के रूप में कार्यरत हैं।
सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि
पारिवारिक पृष्ठभूमि: पिता आर.एस. गवई, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) के संस्थापक और महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके हैं।
धार्मिक आस्था: बाबासाहेब अंबेडकर से प्रेरित होकर बौद्ध धर्म का पालन करते हैं।
⚖️ प्रमुख निर्णय:
न्यायमूर्ति गवई ने कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में निर्णय दिए हैं:
🔸अनुच्छेद 370: 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को सर्वसम्मति से सही ठहराया।
🔸चुनावी बांड योजना: राजनीतिक फंडिंग के लिए लागू की गई इस योजना को असंवैधानिक घोषित किया।
🔸नोटबंदी: 2016 में ₹500 और ₹1000 के नोटों को बंद करने के केंद्र सरकार के निर्णय को 4:1 बहुमत से वैध ठहराया।
🏛️ ऐतिहासिक महत्व :
न्यायमूर्ति गवई भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले दूसरे दलित होंगे। उनसे पहले न्यायमूर्ति के. जी. बालकृष्णन ने 2007 में यह पद संभाला था।
🗓️ कार्यकाल :
न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा, क्योंकि वे 23 नवंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे।
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