दौसा जिला: राजस्थान का ऐतिहासिक रत्न
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- "दौसा जिला: राजस्थान का ऐतिहासिक रत्न"
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दौसा - 10 अप्रैल 1991 को जयपुर जिले से अलग करके दौसा जिला बनाया गया ।
यह ढूंढाण प्रदेश की प्रथम राजधानी मानी जाती है
दौसा का किला - यह किला देवगिरी की पहाड़ी पर स्थित है जिसका निर्माण बडगुर्जरों के द्वारा करवाया गया था इस किले की आकृति सूप या छाजले की आकृति जैसी है
सर्वप्रथम कच्छवाहा शासक दुल्हेराय ने दौसा को अपनी राजधानी बनाया था
आभानेरी की चांद बावड़ी-आभानेरी की चांद बावड़ी गुर्जर प्रतिहार कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसका निर्माण गुर्जर प्रतिहार काल में निकुंभ क्षत्रियों द्वारा करवाया गया था
आभानेरी की चांद बावड़ी इस दृष्टि से अद्वितीय है कि इसकी सीढ़ियों को इस तरह निर्मित किया गया है कि उन्हें गिना नहीं जा सकता है
मेहंदीपुर के बालाजी- इस मंदिर की मुख्य विशेषता यह है कि बालाजी की मूर्ति स्थापित पर्वत का ही एक भाग है यहां पर भूतों से पीड़ित व्यक्तियों का इलाज किया जाता है
आभानेरी की हर्षद माता मंदिर -
1. हर्षद माता मंदिर आभानेरी ( दौसा) गुर्जर -प्रतिहार कालीन कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
2. मूलतः यह मंदिर एक विष्णु मंदिर था तथा माता हर्षद देवी को समर्पित है।
3. इस मंदिर का निर्माण 8- 9 वीं शताब्दी में चौहान राजा चांद द्वारा किया गया था।
4. यह मंदिर गुर्जर- प्रतिहार की महामारू शैली को चित्रित करता है।
5. 11वीं शताब्दी में इस मंदिर को महमूद गजनबी ने नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था।
6. इस मंदिर परिसर के पास प्रसिद्ध चांद बावड़ी स्थित है।
बीजासणी माता मेला - लालसोट में प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा को मेला भरता है
लवाण गांव - दौसा के इस गांव की दरिया प्रसिद्ध है
बसवा - यहां पर राणा सांगा का स्मारक स्थित है
यह कलात्मक मिट्टी के बर्तन के लिए भी प्रसिद्ध है
लालसोट - यहां पर छह खभों की बंजारों की छतरी है
हेला ख्याल के लिए लालसोट प्रसिद्ध है
यहां पर बीजासण माता का मेला लगता है
बांदीकुई - 1874 ईस्वी में आगरा फोर्ट से बांदीकुई तक राजस्थान की पहली रेलगाड़ी चली थी
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