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रैम्जे मैकडोनाल्ड का सांप्रदायिक पंचाग व गाधीं अम्बेडकर समझौता


रैम्जे मैकडोनाल्ड का सांप्रदायिक पंचाग व गाधीं अम्बेडकर समझौता


16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड के द्वारा सांप्रदायिक पंचाग की घोषणा की गई थी जिसके तहत प्रांतीय विधानसभा में दलितों के लिए 71 पद आरक्षित कर दिए गए यानी दलितों को हिंदुओं से अलग मानकर उनके लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था की गई ... इसके विरोध में 20 सितंबर 1932  को महात्मा गांधी के द्वारा पुना जेल में आमरण अनशन किया गया जो महात्मा गांधी का पहला आमरण अनशन था ... अनशन के पांचवें दिन 24 सितंबर 1932 को सवर्ण हिन्दुओं और दलितों के मध्य समझौता हुआ जिसका प्रारूप ठक्कर बापा ने तैयार किया था इसमें सवर्ण हिंदुओं की तरफ से मदन मोहन मालवीय तथा दलित प्रतिनिधि के रूप में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे और 2 दिन पश्चात 26 सितंबर 1932 को सरकार के द्वारा यह समझौता स्वीकार कर लिया गया जिसके तहत प्रांतीय विधानसभा में सामान्य सीटों में से 148 सीटे दलित वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई वहीं केंद्रीय विधानसभा में साधारण सीटों में 18% आरक्षण किया गया (45 सीट) ... पुणे समझौते के प्रसाद महात्मा गांधी ने अपना जीवन हरिजन उदार के लिए समर्पित कर दिया इन्होंने 30 सितंबर 1932 को भारतीय अस्पृश्यता लीग की स्थापना की जिसका अध्यक्ष घनश्याम दास बिड़ला को बनाया गया तथा 1933 में हरिजन सेवक संघ के मुखपत्र के रूप में 'हरिजन' नामक साप्ताहिक समाचार पत्र शुरू किया... इसी समय महात्मा गांधी के द्वारा 7 नवंबर 1933 से 29 जुलाई 1934 के मध्य हरिजन यात्रा निकाली गई जो वर्धा के लक्ष्मी नारायण मंदिर से शुरू होती हुई काशी तक गई थी इस यात्रा के दौरान सभी मंदिरों के द्वार हरिजनो के लिए खोले गए ( नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर को छोड़कर) हालांकि इसमें महात्मा गांधी को परेशानी भी झेलनी पड़ी कि पुणे में उनके ऊपर बम फेंका गया वहीं अजमेर में काले झंडे दिखाए गए थे...

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