मुस्लिम लीग का प्रत्यक्ष कार्य दिवसDirect Action Day of Muslim League
16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग के द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाया गया था इस समय बंगाल के प्रधानमंत्री हुसैन सुहरावर्दी थे सुहरावर्दी ने जनता के समक्ष घोषणा करके इस दिन सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी तथा जनता के समक्ष पुलिस व सेना को नियंत्रित करने की बात कही और आश्वासन दिया कि सेना और पुलिस कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी...इस दौरान नोआखली वगैरह में भयंकर दंगे हुए (देश की आजादी के समय महात्मा गांधी यहीं पर थे और दंगों को रुकवाने के कारण लॉर्ड माउंटबेटन ने उनको वन मैन बाउंड्री फोर्स की संज्ञा दी थी )... इसके पश्चात 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार का गठन किया गया बाद में 15 अक्टूबर 1946 को मुस्लिम लीग भी अंतरिम सरकार में शामिल हो गई जिसमें मुस्लिम लीग की पांच सदस्य शामिल हुए थे जिसमें लियाकत अली वित्त मंत्री , टी टी चुन्दरीगर वाणिज्य मंत्री, अब्दुल रब नशतर संचार मंत्री, गजनफर अली खां स्वास्थ्य मंत्री और जोगेंद्रनाथ मंडल विधि मंत्री बनाए गए ... इसी दौरान 9 दिसंबर 1946 को सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में संविधान सभा की पहली बैठक आयोजित की गई जिसका मुस्लिम लीग ने बहिष्कार किया .. अंतिम सरकार में जब मुस्लिम लीग ने टांग अडा़नी शुरू कर दी तो सरदार पटेल ने चेतावनी दी की अंतिम सरकार में या तो मुस्लिम लीग रहेगी या कांग्रेस रहेगी... इसके पश्चात एटली के द्वारा 20 फरवरी 1947 को घोषणा की गई की 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत छोड़ देगा ... 22 मार्च 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन वायसराय के रूप में भारत आए तब इन्होंने भारत-पाकिस्तान के मसले को लेकर 133 नेताओं से वार्ता की जिसमें सरदार पटेल ने कहा कि अगर कांग्रेस पाकिस्तान विभाजन स्वीकार नहीं करती है तो भारत की हर दफ्तर में छोटा पाकिस्तान बन जाएगा... इस समय भारत विभाजन का विरोध करने के लिए मौलाना अबुल कलाम आजाद महात्मा गांधी के पास जाते हैं तब महात्मा गांधी ने कहा कि "भारत का विभाजन मेरी लाश पर होगा"... इन सब के पश्चात 6 मई 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने वैकल्पिक योजना सुझाई यह जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रांतो को सत्ता स्थानांतरित करने की सिफारिश की जिसे बाल्कन प्लान और डिक्की बर्ड योजना के नाम से भी जाना गया था लेकिन यह योजना भी असफल हो गई थी... अंत में 18 मई 1947 को माउंटबेटन तथा मेनन लंदन जाते हैं जहां पर इन्होंने एटली के साथ वार्ता करके यह निष्कर्ष निकला कि भारत को 30 जून 1948 की बजाय 15 अगस्त 1947 को सत्ताका स्थानांतरण कर दिया जाए ( 15 अगस्त 1945 को जापान ने मित्र राष्ट्रों के समक्ष आत्म समर्पण किया था ) और 3 जून 1947 को माउंटबेटन योजना की घोषणा की गई और भारत-पाकिस्तान के विभाजन की घोषणा की गई जिसमें पंजाब तथा बंगाल विधानसभा कोई अधिकार दिया गया कि उन्हें भारत और पाकिस्तान में विलय की छुट होगी...सिल्हट (असम) में जनमत संग्रह से निर्णय लिए जाने का फैसला लिया गया...जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा कि " यह आकस्मिक दुर्घटना हैं, मगर आवश्यक है" निष्कर्ष यह था कि भारतीय विभाजन अवश्यंभावी था जो केवल दो ही विकल्पों से रोका जा सकता था की या तो मुहम्मद अली जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया जाता या फिर अंग्रेज भारत को बहुत पहले छोड़कर चले जाते...
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