सकारात्मक व नकारात्मक मूल अधिकार व मूल अधिकारों का विकास
मौलिक अधिकार मौलिक अधिकार नकारात्मक है क्योंकि यह राज्य की शक्ति को कम करते हैं मौलिक अधिकार भारतीय संविधान पर अमेरिका संविधान का प्रभाव है
यह वाद योग्य हैं अर्थात इसके हनन होने पर वाद लाया जा सकता है !
राष्ट्रीय आपातकाल के समय अनुच्छेद 20 व 21 में दिए गए मौलिक अधिकारों को छोड़कर अन्य अधिकारों का निलंबन हो सकता है!
यह राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना करते हैं अनुच्छेद 12 में राज्य की परिभाषा दी गई है इसमें केंद्र सरकार ,राज्य सरकार व स्थानीय सरकार तीनो है अर्थात अधिकारों का हनन होने पर इन तीनों पर बाद लाया जा सकता है मूल अधिकारों का विकास मैग्नाकार्टा 1215 ईस्वी में इंग्लैंड में पहली बार जनता को अधिकार दिए गए
1689 इंग्लैंड में अधिकारों का घोषणा पत्र तैयार किया गया
1776 में अमेरिका क्रांति व मूल अधिकार फ्रांस की क्रांति 1789 और मूल अधिकारों का घोषणा पत्र
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणापत्र 10 दिसंबर 1948 जिसमें प्रस्तावना और 30 अनुच्छेद है
1966 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में राजनीतिक अधिकारों का घोषणा पत्र तैयार हुआ
1969 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवीन अधिकारों का घोषणा पत्र तैयार किया
2006 में मानव अधिकार आयोग की के स्थान पर शक्तिशाली 47 सदस्य मानव अधिकार परिषद का गठन किया गया यह मानव मानव अधिकार परिषद सीधे संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधीन है1215 में इंग्लैंड के सम्राट जाॕन ने मैग्नाकार्टा पर हस्ताक्षर कर नागरिकों को अधिकार दिए इस घटना को मूल अधिकारों का जनक माना जाता है! यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक् है कि मूल अधिकारों का लिखित उल्लेख अमेरिका के संविधान में किया गया था भारतीय संविधान के मूल अधिकारों का स्रोत भी अमेरिका का संविधान है ! भारत के मूल संविधान में 7 मूल अधिकार प्रदान किए गए थे लेकिन 44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा संपत्ति के अधिकार को समाप्त कर दिया गया और उसे 300 क मे कानूनी अधिकार बना दिया अब छह मूल अधिकार प्राप्त है! भारत में मूल अधिकारों की मांग सर्वप्रथम स्वराज्य विधेयक 1895 ईस्वी के माध्यम से की गई! इसके बाद मूल अधिकारों को सविधान में मूल अधिकार को सम्मलित करने की सिफारिश मोतीलाल नेहरू समिति ने की! ग्रेनविले ऑस्टिन का मत है कि मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट को सविधान में निर्दिष्ट मूल अधिकारों का अग्रदूत कहा जा सकता है ! 1931 के कराची अधिवेशन में कहा गया कि स्वाधीन भारत के किसी भी संविधान में मौलिक अधिकार की गारंटी होनी चाहिए भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकार संबंधी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है सर्वप्रथम फ्रॉस के द्वारा अपने नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार प्रदान किए गए परंतु अमेरिका के द्वारा सर्वप्रथम मौलिक अधिकारों को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई भारत के मौलिक अधिकार संबंधी प्रावधान अमेरिका के लिए गए भारत के मौलिक अधिकार संबंधी प्रावधानों को संविधान का मैग्नाकार्टा की संज्ञा दी तेज बहादुर सप्रू समिति 1945 में मूल अधिकारों को वाद योग्य व अवाद योग्य के दो भागों में बांटा था शंकरी प्रसाद [1951] वाद, सज्जन सिंह [1965] वाद, गोलकनाथ [1967] वाद में उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि संसद मूल अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती! जबकि केशवानंद भारती वाद [1973] में स्पष्ट किया कि मूल अधिकार संविधान का आधारभूत ढांचा है इसलिए वे संविधान संशोधन द्वारा कम किए जा सकते हैं परंतु उसे समाप्त या नष्ट नहीं किया जा सकता यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक् है कि केशवानंद भारती वाद में संविधान के मूल ढांचे की सकंल्पना दी! विश्वेसरनाथ वाद में संविधान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति संविधान द्वारा प्राप्त मूल अधिकारों को स्वेच्छा से नहीं त्याग सकता पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज बनाम भारत संघ वाद में सूचना का अधिकार व नोटा का अधिकार स्वतंत्रता के [अनुच्छेद 19] में है ,शिक्षा का मूल अधिकार 86 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा संविधान में एक नया अनुच्छेद 21 क में जोड़ा गया इसमें प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार सम्मिलित है इसमें 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बालकों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएं यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ राजस्थान में से एक अप्रैल 2011 से लागू किया गया! डॉ भीमराव अंबेडकर ने अनुच्छेद 21 को संविधान का मेरुदंड तथा मैग्नाकार्टा कहा है डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अनुच्छेद 32 के बारे में कहा कि यह अनुच्छेद संविधान की आत्मा है हृदय है और मुझे प्रसन्नता है कि संविधान सभा ने इसकी महत्ता को समझा है यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान के भाग तीन मूल अधिकारो को संविधान की आत्मा कहा था ! संविधान के अनुच्छेद 32 के अनुसार उच्चतम न्यायालय रिट जारी कर सकता है वह संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार उच्च न्यायालय रिट जारी कर सकता है वे मौलिक अधिकार जो केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है:- अनुच्छेद 15, अनुच्छेद 16, अनुच्छेद 19, अनुच्छेद 29, अनुच्छेद 30 ,अनुच्छेद 19 [घ] है वो अनुच्छेद जो सभी नागरिकों को प्राप्त है अनुच्छेद 14, 20 ,21, 23, 24, 25, 26,27,व 28 है! सकारात्मक अभिव्यक्ति वाले मौलिक अधिकार अनुच्छेद 25, 29[1] व 30[1] है! नकारात्मक अभिव्यक्ति वाले मौलिक अधिकार अनुच्छेद 14 अनुच्छेद 15[1] ,16[2], 18[ 1],20, 22 [1], 28[1 ] है!
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