संविधान के प्रमुख मूल कर्तव्य मूल अधिकार व मूल कर्तव्य में अन्तरFundamental Duties
भाग 4(क), अनु 51 क) 1976 में संवैधानिक सुधारों पर अनुशंसाएं देने के लिए सरदार स्वर्ण सिंह समिति गठित की गई
स्वर्ण सिंह समिति ने अपनी संपत्ति में 8 मौलिक कर्तव्यों का सुझाव दिया
यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक है कि सरदार स्वर्ण सिंह समिति की नियुक्ति कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष देवकांत बरुआ द्वारा 26 फरवरी 1976 को की गई थी जिसमें 12 सदस्य थे जिसमें सरदार स्वर्ण सिंह सभापति व ए आर अंतुले सदस्य सचिव था
सरदार स्वर्ण सिंह समिति (1976)
• इसने आठ मूल कर्तव्योंFundamental Duties संविधान में जोड़ें जाने की सिफारिश की थी।
लेकिन 42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा संविधान पहली बार 10 मूल कर्तव्य संविधान में भाग 4A, अनुच्छेद 51A शामिल करके जोड़े गए।
• अध्यक्ष सहित 12 सदस्य ( 1+11)
• अध्यक्ष- सरदार स्वर्ण सिंह
11 सदस्य
1. A.R. अंतुले (सदस्य सचिव)
2. SS रे
3. HR गोखले
4. VAसैय्यद मोहम्मद
5. VN गॉडगिल
6. CM स्टीफन
7. DP सिंह
8. DC गोस्वामी
9. V.V. साठे
10. B.N. मुखर्जी
11. रजनी पटेल
• इस समिति की महत्त्वपूर्ण सिफारिशों में कर अदायगी को भी मूल कर्तव्य में शामिल करना था लेकिन शामिल नहीं किया गया।
संविधान सभा में भी के टी शाह संविधान में मूल कर्तव्य को सम्मिलित करने के प्रबल पक्षधर था!
स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसाओं के आधार पर 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा अनुच्छेद 51 (क) संविधान में जोड़ा गया तथा संविधान में 10 मौलिक कर्तव्य शामिल हुए
वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा एक मौलिक कर्तव्य और जोड़ दिया गया है अतः मौलिक कर्तव्यों की कुल संख्या अब 11 है
संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्य
(1) अनुच्छेद 51 (क) के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें
(2)स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें
(3)भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें
(4)देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें
(5)भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है
(6)हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परीक्षण करें
(7)प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन झील नदी और वन्य जीव है उनकी रक्षा और संवर्ध्दन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें
(8)वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें
(9)सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे
(10)व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें ताकि राष्ट्र उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू ले
(11)अभिभावकों का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर दें
मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के बीच अंतर
मौलिक अधिकार, भारत के संविधान के अनुच्छेद 12-35 से संबंधित हैं
मौलिक कर्तव्य भारत के संविधान के भाग IV A में निहित अनुच्छेद 51-(क)से संबंधित हैं
मौलिक अधिकार भारत के नागरिको का अधिकार है मौलिक कर्तव्य भारत के नागरिको का कर्तव्य है! मौलिक अधिकार निरपेक्ष नहीं हैं क्योंकि उन्हें नियंत्रित किया जा सकता हे, ताकि नागरिको का विकास हो सके , मौलिक कर्तव्य प्रकृति में निरपेक्ष हैं, इसमें नागरिक का कर्तव्य होता हे की वो नियम का पालन करे. मौलिक अधिकार को सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के माध्यम से लागु किया जा सकता हेै.न्यायालयों के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों को लागू नहीं किया जा सकता है. मौलिक अधिकार मूल संरचना के अधीन है, इन्हे पालन करना आवश्यक हेै।मौलिक कर्तव्य पूरी तरह से निष्ठा आधारित हैं मौलिक अधिकार राजनीतिक और सामाजिक चरित्र हैं.मौलिक कर्तव्य राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक चरित्र में हैं।
मूल कर्तव्य की आलोचना:- मूल कर्तव्य न्यायालय में परिवर्तनीय(वाद योग्य) नहीं है यही कारण है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश लाहोटी ने इसे शो पीस कहा और मृत अक्षर कहा! #FundamentalDuties#मौलिककर्तव्यों@मौलिक कर्तव्यों@FundamentalDuties
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