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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

,हिन्दू धर्म में भगवान हैं। वे विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तृत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस उपदेश के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है।   जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है : -<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-7334100085069031"

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भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

 

श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेवसहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।       इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन ध्रुव और वृद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है. 18 अगस्त की रात में 8 बजकर 42 तक वृद्धि योग रहेगा. इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा, जो 19 अगस्त को रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहने वाला है. हिंदू धर्म में ये योग बेहद खास माने गए हैं. इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम शुभ होता है.                                         पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण की 16 हजार 108 रानियां थीं. महाभारत के अनुसार श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर उनके साथ विवाह रचाया था. विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि भगवान कृष्ण से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थीं, लेकिन रुक्मणि के अलावा भी कृष्ण की 16107 पत्नियां थीं.             श्रीकृष्‍ण 14 विद्या और 16 आध्‍यात्मिक और 64 सांसारिक कलाओं में पारंगत थे। ...

भगवान श्री कृष्ण की तलवार का नाम नंदक, गदा का नाम कौमौदकी और शंख का नाम पांचजन्य था, जो गुलाबी रंग का था।

बहुत कम लोग ये जानते हैं कि श्री कृष्ण ने देवकी के छह मरे हुए बच्चों को भी वापस बुलाया था।<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-7334100085069031"

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माता-पिता के समान कोई देवता नहीं — भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इस संसार में माता-पिता के समान कोई श्रेष्ठ देवता नहीं है, इसलिए सभी प्रकार से उनकी पूजा और सेवा करनी चाहिए.                                               अब  यमुना एक्सप्रेस-वे से गुजरते समय अब ग्रेटर नोएडा में लोगों को भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन होंगे। 108 फीट की श्रीकृष्ण की यह मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची होगी। राजस्थान के कारीगर मूर्ति तैयार कर रहे है

        

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