भारतीय संविधान की प्रस्तावना,उद्देश्य प्रस्ताव preamble meaning in hindi
भारत के संविधान की प्रस्तावना Preamble of the Constitution of India
प्रत्येक संविधान के प्रारूप में उसकी प्रस्तावना होती है जिसमें संविधान के मुख्य उद्देश्य और प्रयोजनों को स्पष्ट किया जाता है भारतीय संविधान की प्रस्तावना का मूलाधार उद्देश्य प्रस्ताव है जिसे 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया इसे 22 जनवरी को 1947 को पारित किया गया
13 दिसंबर 1946 को जब जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव रखा तो पुरुषोतमदास टंडन ने उसका समर्थन किया उद्देश्य प्रस्ताव में 8 बिंदु थे मुस्लिम लीग के बहिष्कार के कारण ब्रिटिश सरकार ने 6 दिसंबर 1946 को कहा कि संविधान सभा के सविधान को मान्यता नहीं देंगे फिर भी पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि किसी देश की हुकूमत से हमारी संविधान सभा नही चलती!
उद्देश्य प्रस्ताव में 8 बिंदु निम्नलिखित थे 1. संविधान सभा भारत को गणतंत्र सम्प्रभू होगा 2. ्भारत एक यूनियन होगा जिसमें 3. राज्यों को स्वायतता दी जाएगी 4.देश की सत्ता जनता के पास होगी 5.सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय होगा 6. अल्पसंख्यकों के लिए प्रावधान दलित, पिछड़ी जातियों के उल्लेख किया गया 7. सता देश की जनता में निहित होगी 8.भारत देश विश्व के सभी देशों में शांति के लिए सहयोग करेगा
16 दिसंबर से 20 दिसंबर 1946 तक उद्देश्य प्रस्ताव पर बहस चली एम आर जयकर ने उद्देश्य प्रस्ताव पारित करने का विरोध किया इसके बाद 21 दिसंबर 1946 को डाॕ०राजेंद्र प्रसाद ने उद्देश्य प्रस्ताव पर चर्चा बंद कर दी गई जिसे बाद में 22 जनवरी को 1947 को पारित किया गया
ठाकुर दास भार्गव के अनुसार उद्देशिका संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अंग है वह विधान की आत्मा है वह विधान की कुंजी है
एन.ए.पालकीवाल
ने प्रस्तावना को परिचय पत्र कहा!
अर्नेस्ट बार्कर ने प्रस्तावना को कूँजी कहा!
के एम मुंशी ने प्रस्तावना को राजनीतिक कुंजी कहा न्यायपालिका ने प्रस्तावना को आँखं कहा
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्तावना को आत्मा व हृदय कहा
कृष्णस्वामी अय्यर ने प्रस्तावना को दीर्घकालीन सपनों का विचार कहा
बार्कर -भारतीय सविंधान की प्रस्तावना विश्वों के सभी सविंधानों से श्रेष्ठ है! भारत की प्रस्तावना में फ्रांसीसी क्रांति से स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व को शामिल किए गए अमेरिका क्रांति से राजनीतिक स्वतंत्रता व व्यक्तिगत स्वतंत्रता को शामिल किया गया रूसी क्रांति से आर्थिक समानता व न्याय को शामिल किया गया
भारत की प्रस्तावना में हम भारत के लोग शब्द् अमेरिका की प्रस्तावना से प्रभावित है
एच .वी. कामथ ने संविधान सभा में प्रस्ताव रखा था की उद्देशिका में हम भारत के लोग से पहले "ईश्वर का नाम लेकर शब्द" परस्थापित किए जाएं जिसे मत विभाजन से प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया गया तब श्री कामथ ने कहा कि हमारे इतिहास में आज का दिन कलंक का दिन है ईश्वर भारत की रक्षा करें ! यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक है कि सिंम्बन लाल सक्सेना प्रस्तावना को ईश्वर और महात्मा गांधी के नाम से प्रारंभ करने के पक्ष में थे
मूल संविधान में प्रस्तावना में 85 शब्द थे
प्रस्तावना में केवल एक बार संशोधन किया गया है 42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा प्रस्तावना में 3 शब्द जोड़े गए हैं समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष, और अखंडता जो सरदार स्वर्ण ्सिंह समिति की सिफारिश पर जोड़े गए यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक है कि 42 वें संविधान संशोधन के समय राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद एवं प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी थी 42 वें संविधान संशोधन को लघु सविधान संशोधन कहा जाता है जो अब तक का सबसे विवादास्पद संशोधन था दुर्गा दास बसु -:के अनुसार उद्देशिका में पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ने से फायदे की जगह क्षति ज्यादा हुई है संविधान की प्रस्तावना में शब्दों का क्रम संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक, गणराज्य है प्रस्तावना में तीन प्रकार की न्याय सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक है प्रस्तावना में स्वतंत्रता विचार ,अभिव्यक्ति, विश्वास ,धर्म एवं उपासना की है
प्रस्तावना में समता प्रतिष्ठा और अवसर की है प्रस्तावना से संबंधित विवाद -
बेरुबारी यूनियन वाद 1960:- न्यायालय ने कहा कि उद्देशिका संविधान का भाग नहीं है
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य वाद 1973 में न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का भाग है और संसद संविधान के किसी भी भाग में परिवर्तन कर सकती है लेकिन उसकी मूल ढांचा परिवर्तित नहीं कर सकती
एस आर बोम्बई वाद1994:- में न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना मूल ढांचे का भाग है
LIC 1995 वाद प्रस्तावना मूल ढांचे का भाग माना गया #प्रस्तावना@प्रस्तावना#Preface#Preamble of the Constitution of India
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