ग्राम न्यायालय मोबाइल कोर्ट
ग्राम न्यायालय ग्राम न्यायालय गांव में त्वरित तथा सस्ता न्याय पहुंचाने के उद्देश्य से 2 अक्टूबर 2009 से ग्राम न्यायालय बना इसके तहत राज्य सरकार संबंध उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात अधिसूचना के द्वारा पंचायत समिति स्तर पर किया एक या एक से अधिक ग्राम न्यायालय का गठन कर सकेगी ग्राम न्यायालय अधिनियम’, 2008 के तहत ‘ग्राम न्यायालयों’ या ‘ग्राम अदालतों’ की स्थापना की गयी है।
उद्देश्य:-भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय प्रणाली तक त्वरित और आसान पहुँच उपलब्ध कराना ।
ग्राम न्यायालय, इस संबंध में व्यापक प्रचार करने के बाद, अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी स्थान पर ‘मोबाइल कोर्ट’ के रूप में कार्य कर सकते हैं।
ग्राम न्यायालय के अंतर्गत अपराधों के संबंध में दीवानी और फौजदारी दोनों क्षेत्राधिकार होते हैं।
ग्राम न्यायालयों को कुछ ऐसे साक्ष्यों को स्वीकार करने की शक्ति दी गई है जो, आमतौर पर ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ के तहत स्वीकार्य नहीं होते हैं।
न्यायाधिकारियों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा संबंधित उच्च न्यायालय के परामर्श से की जाती है
न्यायाधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले गांवों का दौरा करेगा तथा घटनास्थल के आसपास कार्यवाही आरंभ कर सकेगा ग्राम न्यायालय को ऐसे अपराधिक दीवानी मामले दावे व विवाद को स्वीकार करने का अधिकार है जिसमें मृत्युदंड आजीवन कारावास एवं 2 वर्ष से अधिक की सजा का प्रावधान नही हो चोरी व संपत्ति संबंधी मामले ग्राम न्यायालय में स्वीकार किए जा सकते हैं ग्राम न्यायालय को दीवानी न्यायालय की सभी शक्तियां प्राप्त होगी सर्वप्रथम ग्राम न्यायालय यहाँ यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक् है कि ग्राम न्यायालय की स्थापना व संचालन संबंधी सभी खर्चे केंद्र सरकार वहन करेगी वस्तुतः ग्राम न्यायालय के अस्तित्व में आने से दूरस्थ भारतीयों एवं ग्रामीण लोगो तक न्याय की पहुंच संभव हो सकेगी जो न्यायिक व्यवस्था के विकेंद्रीकरण को सशक्त करेगा राजस्थान में सर्वप्रथम ग्राम न्यायालय की स्थापना बस्सी जयपुर में की गई
चर्चा में:-हाल ही में,कैबिनेट ने न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचे से जुड़ी सुविधाओं के विकास हेतु ‘केंद्र प्रायोजित योजना को 2026 तक जारी रखने की मंजूरी दी है
#polityrajasthan365
Post a Comment