सरदार वल्लभ भाई पटेल:-कूटनीति के सरदार सरदार वल्लभ भाई पटेल सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत की भाग्यलिपि अपनी लौह , कर्मठता से लिखी थी यह लिपि देश का अखंड अनश्वर भूगोल बन कर उनके नेतृत्व कौशल का जय जयकार करती है बारदोली सत्याग्रह लगभग 42 साल की उम्र में 1918 में राजनीति में प्रविष्ट होने वाला बैरिस्टर वल्लभभाई पटेल मात्र एक दशक यानी 1928 में ही राजनीति के सरदार हो गए बारदोली सत्याग्रह के बाद देश में सरदार के रूप में पहचाने जाते थे रियासत विभाग 5 जुलाई 1947 को रियासत विभाग की स्थापना की उनके अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल व सचिव वी पी मेनन को बना दिया इसी दिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने देसी राज्यों के नाम एक संदेश में उन से अनुरोध किया कि यह भारत सरकार के साथ शीघ्रता पूर्वक समझौता करके अपने रक्षा ,विदेश संबंध तथा यातायात केंद्र सरकार को सौंप दें ! 10 जुलाई 1947 को कई राजाओं तथा देशी राज्यों के मंत्रियों ने सरदार पटेल के निवास स्थान पर उनसे भेंट की उन्होंने सरदार पटेल के साथ दिल खोलकर वार्तालाप किया और यह स्वीकार किया कि देश भक्ति के दृष्टिकोण से विदेशी राज्यों तथा शेष भारत का सहयोग आवश्यक है यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक् है जिन्ना ने इस योजना का विरोध किया नरेंद्र मंडल ब्रिटिश शासन में भारत का जो नक्शा खींचा था उसकी 40% भूमि इन देसी रियासतों के पास थी लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 जुलाई 1947 को नरेंद्र मंडल की एक बैठक बुलाई उस समय नरेंद्र मंडल के अध्यक्ष भोपाल के राजा थे जो भारत संघ में मिलने का इच्छुक नहीं था उन्होंने जोधपुर में धौलपुर के राजाओं को भी अपने पक्ष में कर रखा था यहां यह तथ्य उल्लेखित करना आवश्यक् है कि15 अगस्त 1947 से पहले जूनागढ़ हैदराबाद और जम्मू कश्मीर को छोड़कर सभी रियासतों ने अपने मिलन पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए जूनागढ़ जूनागढ़ का नवाब भारत में शामिल होने का आश्वासन देकर भी पाकिस्तान से मिलना पसंद करता था लेकिन वहां की प्रजा ने भारत सरकार से अपील की कि वह भारत में मिलना चाहते हैं लेकिन कानूनी अड़चन के कारण भारत सरकार ने वहां सीधा हाथ डालना उचित नहीं समझा और जब जूनागढ़ ने भारत संघ के बावरियागढ़ में घुसकर भारत की सार्वभौमिकता पर हमला किया जो पहले ही भारत संघ में शामिल हो चुका था तो जनता ने शामलदास गांधी के नेतृत्व में सैनिक रूप में संगठित होकर जूनागढ़ के नवाब को चुनौती दी और शामलदास गांधी के नेतृत्व में जूनागढ़ के लिए एक स्थाई सरकार मुंबई में मनाई गई इसके बाद अस्थाई सरकार द्वारा जूनागढ़ के विभिन्न गांव पर कब्जा करके भारतीय संघ में शामिल करके चले गए इस प्रकार बिना गोली चलाए जूनागढ़ भारत संघ में शामिल हो गया सरदार पटेल ने जूनागढ़ में अस्थाई सरकार और मंत्रिमंडल का निर्माण करवाया था इस प्रकार भी फरवरी 1948 को जूनागढ़ देश का हिस्सा बन गया सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा कि राजाओं को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि वह जनता के संरक्षक वे रियासत के सेवक हैं उन्हें उत्साह पूर्वक जनता के हितों की रक्षा करनी चाहिए और जनता की भलाई है मुख्य उद्देश्य होना चाहिए हैदराबाद की समस्या का कूटनीतिक समाधान 3 जून 1947 को निजाम ने यह घोषणा कर दी कि वह भारत व पाकिस्तान की संविधान सभा में अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगा किंतु भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 7 इसमें बाधक थी इसलिए उन्होंने अपना एक प्रतिनिधि दल दिल्ली भेजा जूनागढ़ का हश्र देखकर इंग्लैंड की सरकार के साथ सौदेबाजी के लिए हैदराबाद के निजाम ने एक बड़े वकील सर वाँल्टर माँन्काटान को अपना एजेंट नियुक्त किया इसी बीच कासिम रिजवी ने मुस्लिम संगठन बनाकर लगातार हिंदुओं पर अत्याचार शुरू कर दिए इन हालात में सरदार पटेल ने हैदराबाद पर सैनिक कार्रवाई के आदेश दे दिए 13 सितंबर को हैदराबाद में दो तरफ से मेजर जनरल जेएन चौधरी ने चढ़ाई की हैदराबाद के प्रधान सेनापति एल एदरूप ने आत्मसमर्पण कर दिया इस प्रकार 17 सितंबर को 1948 को हैदराबाद भारत संघ में विलय होगा सरदार पटेल ने 562 रियासतों को बिना किसी खून खराबे के भारतीय संघ में विलय करवा दिया सरदार पटेल के बारे में रूसी प्रधानमंत्री निकोलाई बुलगनीन कहते हैं कि आप भारतीयों का क्या कहना आप ने राजाओं को समाप्त किए बगैर रजवाड़ों को समाप्त कर दिया बुलगनीन की नजर में यह उपलब्धि बिस्मार्क के जर्मन एकीकरण की उपलब्धि से बड़ा काम है वर्तमान में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 30 अक्टूबर 2018 को सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में कहा कि इनमें शिवाजी जैसा शौर्य, कौटिल्य जैसी कूटनीति थी यह कथन एकदम सटीक बैठता है श्री के गाडगिल ने कहा कि सरदार पटेल ने भारत की भलाई के लिए आज वही कार्य किया जो 90 वर्ष पूर्व लॉर्ड डलहौजी ने बुराई के लिए किया था यदि महात्मा गांधी हमारी स्वतंत्रता के निर्माता हैं तो सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय संघ के विश्वकर्मा है डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उसकी मृत्यु पर कहा कि सरदार के शरीर को अग्नि जला तो सकती है लेकिन उसकी प्रसिद्धि को दुनिया की कोई अग्नि नहीं जला सकती सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी कूटनीति प्रवाह से बहुत कम समय में सभी रियासतों का एकीकरण करके भारत में विलय कर दिया और इस कूटनीति प्रवाह में इतिहास का सबसे बड़ा साम्राज्य ही बह गया वल्लभभाई पटेल के जीवन काल में कमाई गई महता व कीर्ति मृत्यु के बाद भी फलती रही और आज देश अदित्य सरदार को श्रद्धा भक्ति के साथ ही नमन करता है राजेश कुमार राजनीतिक विश्लेषक&कंटेंट लेखक
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