डॉ राम मनोहर लोहिया Dr. Ram Manohar Lohia Political Thinker
डॉ राम मनोहर लोहिया डॉ राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को फैजाबाद में हुआ उन्होंने बर्लिन जर्मनी में पढ़ाई की डॉ राम मनोहर लोहिया ने अर्थशास्त्र की पीएचडी केवल 2 वर्षों में प्राप्त कर ली ! समाजवादी आंदोलन 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया ! 1933 में समाजवादी आंदोलन की रूपरेखा पेश की ! 1935 में कांग्रेस के महासचिव बने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान डॉ राम मनोहर लोहिया व जे पी हजारीबाग जेल भेजे गए डॉ राम मनोहर लोहिया कहते थे कि मुझ पर ढाई आदमियों का प्रभाव है माकर्स गांधीवाद आधा नेहरू एशियाई मॉडल डॉ राम मनोहर लोहिया समाजवाद का एशियाई मॉडल प्रस्तुत किया लोहिया के अनुसार पश्चिमी समाजवाद एशिया में लागू नहीं किया जा सकता सहकारी कृषि को प्रोत्साहित करने के पक्ष में था यह समाज वादियों के भूमि के पुन: विभाजन को एक मजाक मानते थे भारत की पूर्ण एकता स्थापना में विश्वास करते थे समाजवाद के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए गांधीवादी आंदोलन को प्रभावी मानते थे चौखंबा सिद्वान्त उन्होंने राज्य की चौखंबा की परिकल्पना की जिसमें गांव, मंडल, प्रांत, केंद्र डॉ राम मनोहर लोहिया के अनुसार कलेक्टर का पद केंद्र की बदनाम संस्था है इसे समाप्त कर देना चाहिए विश्व संसद डॉ राम मनोहर लोहिया ने सप्त क्रांति का सिद्धांत दिया! उन्होंने विश्व संसद का समर्थन किया इनके अनुसार व्यस्क मताधिकार के आधार पर विश्व सरकार चुनी जाएगी वह समस्त देश युद्ध बजट का एक चौथाई विश्व सरकार में देंगे डॉ राम मनोहर लोहिया जाति को गलत मानते थे यह इन्हें समाप्त करने के पक्ष में थे इसलिए उन्होंने रोटी बेटी का सिद्धांत दिया राम मनोहर लोहिया के विचार 1. राम मनोहर लोहिया पंडित जवाहरलाल नेहरु की आलोचना करते थे उनका कहना था कि एक सामान्य भारतीय का खर्च तीन आने प्रति माह है जबकि पंडित नेहरू के कुत्ते का खर्च ₹300 प्रति माह है ! 2. भारत के विभाजन के समय में महात्मा गांधी के साथ थे उन्होंने भी विभाजन का विरोध किया और जवाहरलाल नेहरू ,सरदार पटेल को विभाजन का गुनहगार बताया 3. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय इन्होंने जयप्रकाश ,उषा मेहता, अरूणा आसफ अली की भांति भूमिगत नेता के रूप में कार्य किया 4. उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू की चीन के प्रति नीति की भी आलोचना की और कहा कि नेहरू जी ने माओ ऊपर अत्यधिक विश्वास किया जाति वर्ग संबंधी विचार राम मनोहर लोहिया लिखते हैं कि जिस प्रकार से पश्चिम में वर्ग अन्याय शोषण अत्याचार को बढ़ावा देता है वैसे ही भारत में जाति शोषण का अन्याय का अत्याचार को बढ़ावा देता है अतः वास्तविक लोकतंत्र के उन्मूलन के लिए जाति का उन्मूलन आवश्यक है !अपनी पुस्तक द वॉल ऑफ हिस्ट्री में लिखते हैं कि जाति और वर्ग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जब जाति के बंधन ढिल्ले पड़ते हैं तो वर्ग बन जाते हैं और जो वर्ग के बंधन मजबूत होते हैं तो जाति बन जाती है! इन्होंने पिछड़े वर्ग के लिए तीन आने बनाम 15 आने का सिद्धांत दिया! पंचमढ़ी अधिवेशन में समान अप्रासगिंकता का सिद्धांत दिया! सप्त क्रांति संबंधी विचार राम मनोहर लोहिया जे पी की संपूर्ण क्रांति के समान सप्त क्रांति का समर्थन करते थे और सप्त क्रांति पर निम्न विचार देते थे- 1. जाति का उन्मूलन 2.प्रजाति का उन्मूलन (रंग भेदभाव) 3. महिला सशक्तिकरण का समर्थन 4.साम्राज्यवाद का उन्मूलन 5.गांव के विकास का समर्थन 6. व्यक्तिगत अधिकारों का समर्थन 7. वर्ग का उन्मूलन राम मनोहर लोहिया हिंदी भाषा का समर्थन करते थे और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे वह अंग्रेजी भाषा के विरोधी थे ! प्रो० उषा मेहता:- लोहिया गांधी वादियों में क्रांतिकारी क्रांतिकारियों में गांधीवादी थे ! मधू लिमिये :- लोहिया अहिंसा व सविनय अवज्ञा के प्रहलाद ,सुकरात व मीराबाई और गांधी के सत्याग्रह की प्रतिमूर्ति थे ! श्रीपाद केलकर :- लोहिया द्वारा वंचित, दलित, शोषित वर्ग की सेवा के लिए लघुत्तम मनुष्य की आवाज की संज्ञा दी
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कांग्रेस से अलग होकर समाजवादी पार्टी बनाई और विपक्ष की भूमिका निभाई है भाई विपक्ष को मजबूत करने के लिए उन्होंने 1967 में सभी समाजवादी पार्टियों को जोड़कर समाजवादी पार्टी बनाई डॉ राम मनोहर लोहिया की मृत्यु 12 अक्टूबर 1967 को हुई पुस्तके डॉ राम मनोहर लोहिया की पुस्तके निम्नलिखित हैं 1-द कास्ट सिस्टम 1964 2- फेगमेट ऑफ वर्ल्ड माइंड 1939 3-फंडामेंट ऑफ वर्ड माइंड 1987 4-गिल्टी मेैन ऑफ इंडिया पार्टीशन 1970 5- इंडिया चाइना और नॉर्थ फोंटीज 1963 6-मार्क्स गांधी और सोशलिज्म 1963 7- साल्टेड सत्याग्रह पीएचडी थिसिस वर्ल्ड ऑफ हिस्ट्री 1955
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