73 वाॕ सविंधान संशोधन अधिनियम ग्रामीण स्थानीय स्वशासन rural local self-government in india is described as
स्थानीय स्वशासन स्थानीय स्वशासन की कुछ परिभाषाएं:-
एल गोल्डिंग :-यह बस्ती के लोगों द्वारा अपने मामले में का स्वय प्रबंध है
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका:- पुर्ण राज्यों की अपेक्षा एक अंदुरून्द्वी प्रतिबंध एवं छोटे से क्षेत्र में निर्णय लेने व उसको क्रियान्वयन करने की शक्ति स्थानीय शासन है
कार्ल जे फैडरिक:- स्वशासन स्थानीय समाज की प्रशासनिक व्यवस्था है जो व्यवस्थापन के नियमों द्वारा इस प्रकार विकसित होती है कि सरकार की सत्ता का वह उसने प्रतिनिधित्व करें जबकि वह स्थानीय रूप से सक्रिय है
लाॕर्ड ब्राइस :-स्थानीय स्वशासन को प्रजातन्त्र की पाठशाला कह
ता है!
पंचायती राज सविंधान के
भाग 9 के अनुच्छेद 243(A) से 243(O) तक पंचायती राज का वर्णन है भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज के लक्षण मौजूद थे प्राचीन काल में चोल पंचायती राज को आदर्श पंचायती राज माना जाता है इतिहासकार अल्टेकर भारतीय गांव को छोटे-छोटे गणराज्यों की संज्ञा देता है़ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधीजी ने पंचायती राज के गठन की मांग की थी अनुच्छेद 40 में राज्यों को निर्देशित किया गया था कि वे पंचायती राज का गठन करें! 1952 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंचायती राज की आरंभिक स्वरूप में सामुदायिक विकास कार्यक्रम प्रारंभ किए जनवरी 1957 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम की समीक्षा के लिए बलवंत राय मेहता समिति का गठन जिसने त्रिस्तरीय पंचायती राज लागू करने की सिफारिश की थी!
समिति की सिफारिश को स्वीकार किया गया 2 अक्टूबर 1959 को नागौर जिले का बगदरी में उद्घाटन किया! 1960 में आंध्र प्रदेश पुरे राज्य में एक साथ पंचायती राज लागू करने वाला पहला राज्य बना ! 1963 में राजस्थान में पंचायती राज की समीक्षा के लिए सादिक अली समिति का गठन किया गया जिसने कहा कि पंचायती राज के समक्ष दो समस्याएं हैं गांव की में गुटबाजी और वित्त की समस्या
अशोक मेहता समिति : 'इसका गठन मोरारजी देसाई सरकार ने किया इसका गठन दिसंबर 1977 में हुआ और अगस्त 1978 में अपनी रिपोर्ट दी इसकी सिफारिशें निम्नलिखित थी
1.दो स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था बनाई जाए मंडल पंचायत 15000 से 20000 की जनसंख्या व जिला परिषद !
2.पंचायती राज के चुनाव दलीय आधार पर हो पंचायती राज प्रणाली में एससी एसटी ओबीसी में आरक्षण दिया जाए
3.पंचायती राज प्रणाली में एनजीओ की महत्वपूर्ण भूमिका हो
4.पंचायती राज प्रणाली में न्याय पंचायत व्यवस्था को लागू किया जाए
5.पंचायती राज प्रणाली को अधिक वित्तीय शक्तियां दी जाए
जी वी के राव समिति 1985:- इसने त्रिस्तरीय पंचायती राज का समर्थन किया है इसकी अधिंकाश सिफारिश अशोक मेहता समिति की सिफारिश है BDO का पद को मजबूत किया जाए ! इस समिति ने पचायतीराज को बिना जड़़ की घास कहा!
लक्ष्मी मल सिंघवी समिति 1986:- लक्ष्मी मल सिंघवी समिति ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने के लिए कहा गया ! पंचायती राज को सविंधान के अन्तर्गत सरकार का तीसरा सदन घोषित करने की सिफारिश की थी!
पी के थुगन समिति:- 1988-1989 इसने भी पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने की बात है !
मणि शंकर अय्यर समिति 2013:- इस समिति का कहना कि केंद्रीय पंचायती राज आयोग का गठन किया जाए!
73वां संविधान संशोधन एक्ट और पंचायती राज :- इस अधिनियम के लिए जो प्रवर समिति बनी उसके अध्यक्ष नाथूराम मिर्धा थे 73 वा संविधान संशोधन एक्ट 1992 में पारित हुआ और 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाते हैं इस संशोधन एक्ट द्वारा ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गई जिसमें 29 विषय थे अनुच्छेद 243A से243O तक उपखंड जोड़े गये!
अनुच्छेद 243 :- इसमें जिला और मध्यवर्ती स्तर व पंचायत की परिभाषाएं दी गई है!
अनुच्छेद 243 (A) इसमें ग्राम सभा को सवैधानिक दर्जा दिया गया ग्राम सभा ग्राम पंचायत के सभी पजींकृत मतदाताओं से मिलकर बनेगी राजस्थान में ग्राम सभा की चार बैठके होती हैं 15 अगस्त 26 जनवरी 1 मई व 2 अक्टूबर अनुच्छेद
अनुच्छेद 243(B) पंचायत राज त्रिस्तरीय होगा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद
अनुच्छेद 243(C)
इसमें पंचायती राज की संरचना के संबंधी प्रावधान है ग्राम पंचायत ग्राम पंचायत को विभिन्न वार्डो में बांटा गया है और प्रत्येक वार्ड से एक पंच निर्दलीय आम चुनाव द्वारा प्रत्यक्ष रुप से चुना जाएगा जबकि सरपंच संपूर्ण ग्राम पंचायत की जनता द्वारा निर्दलीय चुना जाएगा! नोट:- 3000 की जनसंख्या पर 9 वार्ड होगें! इसके बाद प्रति हजार जनसंख्या पर दो वार्ड बढ़ जाएंगे पंचायत समिति:- पंचायत समिति को विभिन्न वार्डो में बांट दिया जाता है और प्रत्येक वार्ड से सदस्य दलीय आधार पर आम जनता द्वारा चुना जाता है यह सदस्य अपने में से एक को प्रधान चुनता है! प्रति एक लाख जनसंख्या पर 15 वार्ड होंगे और इसके बाद प्रति 15000 जनसंख्या पर दो वार्ड बढ़ जाएंगे ! जिला परिषद इसमें भी जिला परिषदों को वार्डो में बांट दिया जाता है प्रत्येक वार्ड में दलीय आधार पर आम जनता द्वारा चुने जाते हैं यह अपने में से एक जिला प्रमुख चुन लेते हैं चार लाख पर 17 सदस्य होगें! इसके बाद प्रति एक लाख पर 2 वार्ड बढ़ जाएंगे !
अनुच्छेद 243( डी ) इसमें प्रावधान है कि sc ,st को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण तथा महिलाओं को 1 / 3 आरक्षण दिया जाए क्योंकि ओबीसी को राजस्थान में 21 परसेंट आरक्षण है क्योंकि इसमें ओबीसी आरक्षण को राज्य सरकार की इच्छा पर छोड़ दिया गया !
अनुच्छेद 243(E) सामान्य कार्यकाल 5 वर्ष का होगा परंतु 2 वर्ष के बाद सरपंच, प्रधान, जिला प्रमुख के विरुद्ध तीन चौथाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है व पंचायती राज पदाधिकारी 5 वर्ष से पूर्व भी त्यागपत्र दे सकते हैं जैसे सरपंच BDO को त्यागपत्र देगा प्रधान जिला प्रमुख को और जिला प्रमुख संभागीय आयुक्त को त्यागपत्र देते हैं
अनुच्छेद 243(F) इसमें पंचायती राज चुनाव लड़ने वालों की योग्यताओं का वर्णन है उसका नाम मतदाता सूची में हो! 21 वर्ष की आयु जरूर पूरी कर ली हो !सरपंच के लिए आठवीं पास व पंचायत समिति व जिला परिषद के लिए 10वीं पास जरूरी है जिसे वर्तमान सरकार ने हटा दिया गया!
अनुच्छेद 243 (जी) इसमें पंचायती राज को आर्थिक सामाजिक कार्यक्रम बनाने व क्रियान्वयन करने की शक्ति प्राप्त थी!
अनुच्छेद 243(H) इसमें कर लगाने की शक्ति का उल्लेख है जैसे मेले पर कर, मनोरंजन कर !
अनुच्छेद 243( आई ) राज्यपाल पंचायती राज व राज्य सरकार के मध्य करो का विभाजन के लिए राज्य वित्त आयोग का गठन करेगा वर्तमान वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ प्रदुमन सिंह है! अनुच्छेद 243 (J) इसमें प्रावधान है कि कैंग पंचायती राज का अंकेक्षण करेगा
अनुच्छेद 243(K) पंचायती राज निर्वाचन का संचालन राज्य निर्वाचन आयोग करेगा राज्य निर्वाचन आयोग की नियुक्ति 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु के लिए होगी राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष को HC के न्यायाधीश के समान हटाया जा सकता है !
अनुच्छेद 243(L) संघ राज्य क्षेत्रों में भी पंचायती राज को लागू किया जा सकता है ! अनुच्छेद 243(M) इसमें प्रावधान है कि जहां जनजाति परिषद हैं वहां पर पंचायती राज को नहीं अपनाया जाएगा
अनुच्छेद 246 (N) इसमें विधानसभा को पंचायती राज व्यवस्था के बारे में कानून बनाने की शक्ति दी गई है!
अनुच्छेद 243(O) पंचायती राज के चुनाव संबंधी प्रक्रिया को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है!
विभिन्न राज्यों में पंचायत समिति के नाम निम्नलिखित हैं-
आंध्र प्रदेश, तेंलगाना में मध्यवर्ती सत्र को मंडल प्रजा पंचायत
मध्य प्रदेश में जनपद पंचायत
तमिलनाडु में पंचायत यूनियन
असम में आंचलिक परिषद कर्नाटक में तालुका डेवलपमेंट
उतर प्रदेश में क्षेत्र पंचायत
गुजरात में तालुका परिषद कहा जाता है more post:- http://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/09/blog-post_21.html
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