राजस्थान में प्रमुख दुर्ग लोहागढ़ दुर्ग महाराजा सूरजमल
भरतपुर शहर को राजस्थान का प्रवेश द्वार कहा जाता है !भरतपुर शहर की स्थापना महाराजा राम के भाई भरत के नाम पर हुई भरतपुर राजवंश का कुलदेवता राम के भाई लक्ष्मण को माना जाता है! राजस्थान में जाट जाति की केवल दौ रियासत धौलपुर और भरतपुर थे !
महाराजा सुरजमल :_ भरतपुर नगर के दक्षिणी हिस्से में स्थित लोहागढ़ 1733 ईस्वी में जाट राजा सूरजमल द्वारा अपने पिता के समय में बनवाया गया था! पूरा दुर्ग पत्थर की प्राचीन प्राचीर से बना हुआ है इस प्राचीर के बाहर 100 फुट चौड़ी और 60 फुट गहरी खाई है इस खाई के बाहर मिट्टी की एक ऊंची प्राचीर है! इस प्रकार यह दुर्ग दोहरी प्राचीर से घिरा हुआ है ! कहा जाता है कि अहमद शाह अब्दाली और जनरल लैक जैसे आक्रमणकारी भी इस दुर्ग में प्रवेश नहीं कर सके दुर्ग के प्रवेश करने के लिए इनके चारों और की खाई पर दो पुल बनाए गए हैं! इन पुलों के ऊपर गोपालगढ़ की तरफ से बना हुआ दरवाजा अष्ट धातु के मिश्रण से निर्मित है! यह दरवाजा जवाहर सिंह 1765 ईस्वी में मुगलों के शाही खजाने की लूट के समय लाल किले से उतार कर लाया था! कहा जाता है कि यह अष्टधातु का द्वार पहले चित्तौड़गढ़ दुर्ग में लगा हुआ था जिसे अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली ले गया दक्षिण की ओर बना हुआ दरवाजा लोहिया दरवाजा कहलाता है ! 1733 ईस्वी में जिस स्थान पर किले की नींव रखी गई गई वहां खेमकरण जाट की कच्ची गढ़ी थी जो चौबुर्जा कहलाती थी !इस दुर्ग को तैयार करने में लगभग 8 साल लगे दुर्ग के निर्माण कार्य राजा जसवंत सिंह के के काल तक चलता रहा किले के चारों ओर की खाई में मोती झील से सुजान गंगा नहर का पानी लाया गया था !यहां आठ बुर्जो में से सबसे प्रमुख जवाहर बुर्ज है जो महाराजा जवाहर सिंह की दिल्ली फतह के स्मारक रूप के रूप में बनाई गई है! फतेह बुर्ज अंग्रेजों पर फतह के स्मारक के रूप में 18 0 6 ईस्वी में बनवाया गया था किले की अन्य बुर्जो में सिनसिनी बुर्ज, गोकला बुर्ज, कालिका बुर्ज ,बागरवाली बुर्ज ,नवलसिंह बुर्ज है! यह दुर्ग मैदानी दुर्गों की श्रेणी में विश्व में पहले नंबर का दुर्ग है दुर्ग में कई दर्शनीय महल है कमरा खास महल में विशाल दरबारों का आयोजन होता था ! भरतपुर दुर्ग पर सबसे जोरदार आक्रमण अंग्रेजों ने 18 0 5 ईस्वी में किया भरतपुर के शासक रणजीत सिंह ने अंग्रेजों को शत्रु जसवंतराव होल्कर को अपने यहां शरण दी थी जिससे उसे अंग्रेजों का कोपभाजन बनना पड़ा अंग्रेज सेनापति लेक ने 18 0 5 ईस्वी के जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक पांच बार भरतपुर दुर्ग पर जोरदार हमले किए! ब्रिटिश तोपों ने जो गोले बरसाए वो मिट्टी की बाहरी प्राचीर में धंस गए उनकी लाख कोशिशों के बावजूद भी किले का पतन नहीं हो सकता फलत: अंग्रेजों को हार कर संधि करनी पड़ी यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि 17 मार्च 1948 ईस्वी को मत्स्य संघ का उद्घाटन समारोह भी इस दुर्ग में हुआ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दुर्ग की अनेक इमारतों में सरकारी कार्यालय खुल गए! राजस्थान में भरतपुर के दुर्ग को अजेय दुर्गे माना जाता है इस दुर्ग पर कभी भी किसी भी शत्रु ने कब्जा नही किया ! यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि महाराजा सूरजमल को जाटों का अफलातून शासक का जाता है यानी जाट जाति का प्लेटो का कहा जाता है !यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि भरतपुर में जाट राज्य की स्थापना चुड़ामन जाट ने की की थी जाट राजा राजाराम ने सिकंदरा में स्थित अकबर के मकबरे को लूटा और मकबरे में अकबर की हड्डियों को निकालकर हिंदू विधि विधान के अनुसार उनका दाह संस्कार किया जिससे औरंगजेब नाराज हो गया 1688 ईस्वी में औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्स व आमेर के राजा बिशन सिंह ने राजाराम को हरा दिया ! यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि भरतपुर में लोहागढ़ दुर्ग के अलावा महाराजा सूरजमल ने भरतपुर राज्य के डीग में महलों का भी निर्माण करवाया इन महलों में गोपाल भवन, हरिदेव भवन, नंद भवन, केशव भवन, माधव भवन आदि महाराजा की ग्रीष्म ऋतु कालीन आवास गृह थे! महाराजा सूरजमल युद्व क्षेत्र से आने के बाद अपनी थकान दूर करते थे यह महल अपनी विशालता, उत्कर्ष शिल्प सौंदर्य और अपनी मुगल शैली के सुंदर उद्यान फव्वारों के लिए प्रसिद्ध है! राजस्थान के एकीकरण के समय यहां के राजा पर बृजेन्द्र सिंह थे इस प्रकार भरतपुर के लोहागढ़ दुर्ग को अजय दुर्ग माना जाता है जिस पर कभी भी शत्रुओं ने कब्जा नहीं किया ! more post-:https://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/09/blog-post_9.html
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