जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत John Rawls's Theory of Justice
John Rawls's Theory of Justice जिस तरह प्लेटो को राजनीतिक दर्शन व मैकियावली को आधुनिक राजनीतिक चिंतन का पिता माना जाता है उसी प्रकार जॉन रॉल्स को समसामयिक राजनीतिक सिद्धांत का पिता माना जाता है जॉन रॉल्स ने आदर्शात्मक राजनीतिक सिद्धांत का पूनरोदय न्याय के सिद्धांत से किया था !जॉन रॉल्स के अनुसार न्याय सामाजिक संस्थाओं का प्रथम सदगुण है और मूल संरचना न्याय का प्राथमिक विषय है इसका अर्थ है कि वितरण की पहली समस्या मूलभूत अधिकारों और कर्तव्यों को सलंग्न करना और सामाजिक आर्थिक समस्याओं को विनियमित करता है
जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत जॉन रॉल्स का जन्म 21 फरवरी 1921 को हुआ !जॉन रॉल्स एक समतावादी अमेरिकी राजनीतिक दार्शनिक था! जो अपनी पुस्तक ए थ्योरी ऑफ जस्टिस को 1971 में न्याय के सिद्धांत प्रस्तुत करता है जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत गोरे काले का संघर्ष (नृजातीय संघर्ष )को दूर करने के लिए लाया गया! जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत जॉन लॉक व कांट से प्रभावित है यह जॉन लॉक से प्रभावित होकर एक प्राकृतिक परिकल्पना प्रस्तुत करता है जिसे मूल स्थिति की संज्ञा देता है यह मूल स्थिति की निम्न व्यवस्था बताता है (1)सभी व्यक्तियों अज्ञान के परदे के पीछे रहेंगे अर्थात भौतिकवादी छल कपट से परे रहेंगे यह काल्पनिक स्थिति है जिसमें मनुष्य अपनी अपनी आवश्यकता ,हितों योग्यता आदि से बिल्कुल बेखबर रहता है (2)इसमें सभी व्यक्ति नैतिकता के बंधन से बंधे होंगे (3)इसमें व्यक्ति विवेकशील होंगे छोटे-मोटे अर्थ का ज्ञान होगा (4)मूल स्थिति में व्यक्ति प्राथमिक वस्तुओं के नियम बनाएगा जॉन रॉल्स प्राथमिक वस्तुओं में पद, नौकरी, संसाधन, स्वतंत्रता ,अधिकार आदि को सम्मिलित करता है (5)जॉन रॉल्स का कहना है कि इसमें व्यक्ति क्षतिपूर्ति पर आधारित न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति के नियम बनाएगा जॉन रॉल्स के अनुसार प्राकृतिक अवस्था या मूल स्थिति में व्यक्ति सामाजिक समझौते के माध्यम से दो नियम बनाएगा (1)समानता का नियम (2) सामाजिक आर्थिक नियम- जिसमे तर्कसंगत भेदभाव या आरक्षण दूसरा अवसरों की समानता जॉन रॉल्स के अनुसार इनके लागू करने का क्रम इस प्रकार होगा (1) समान स्वतंत्रता का नियम (2) अवसर की समानता (3) तर्कसंगत भेदभाव जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत की विशेषताएं-: (1) जॉन रॉल्स कहता है कि प्रगति (योग्यता) और न्याय (आरक्षण) में संघर्ष हो जाए तो हमें न्याय का साथ देना चाहिए क्योंकि कोई भी समाज अपनी कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं हो सकता क्योंकि समाज जंजीर के समान है इसलिए समाज के विकास के लिए पहले कमजोर कड़ी का विकास करना आवश्यक है (2) स्थानांतरण शाखा पर बल:- जॉन रॉल्स के अनुसार यह स्थानांतरण शाखा गरीबों के कल्याण का कार्य करेगी यह राशन की उचित मूल्य की दुकान के समान है (3)जॉन रॉल्स के अनुसार उसका न्याय का सिद्धांत संपूर्ण समाज के विकास पर बल देता है जॉन रॉल्स बैंथम के अधिकतम व्यक्तियों को अधिकतम सुख की आलोचना करता है क्योंकि बेंथम का सिद्धांत 51% लोगों के हितों की रक्षा करने पर बल देता है और मेरा न्याय 100 % लोगों के हितों पर बल देता है! जॉन रॉल्स ने अपने न्याय के सिद्धांत को शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय का सिद्धांत माना जॉन रॉल्स के अनुसार दुनिया में तीन प्रकार के न्याय के सिद्धांत प्रचलित हैं (1) पुर्ण प्रक्रियात्मक न्याय:- योग्यता पर बल, निष्पक्ष प्रक्रिया पर बल ,पूंजीवाद की बातें करता है (2) अपूर्ण प्रक्रियात्मक न्याय:- मानदण्ड (आरक्षण )पर बल समाजवाद की बातें करता है (3) शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय:- योग्यता और आरक्षण दोनों पर बल देता है निष्पक्ष प्रक्रिया और मानदंड दोनों पर बल देता है जॉन रॉल्स का कहना है कि उसका प्रथम नियम सम्मान स्वतंत्रता दूसरा नियम अवसरों की समानता योग्यता पर बल देता है जबकि तर्कसंगत भेदभाव आरक्षण पर बल देता है जॉन रॉल्स का कहना है कि मेरा न्याय प्रगति व न्याय में समन्वय स्थापित करता है जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत की आलोचना :' - (1)स्वेच्छातंत्रवादी कहते हैं कि जॉन रॉल्स ने आरक्षण पर बल देकर प्रगति को भुला दिया (2)समाजवादी कहते हैं कि जॉन रॉल्स पूंजीवाद में न्याय ढूंढता है जबकि पूंजीवाद में न्याय संभव नहीं है (3)अमृत सेन जैसे समाजवादी भी अपनी पुस्तक आईडिया ऑफ़ जस्टिस (2009) में लिखते हैं कि जॉन रॉल्स आरक्षण के अंत में लागू करते हैं जबकि आरक्षण को पहले लागू करना चाहिए अमृत सेन कहते हैं कि जॉन रॉल्स बाँसूरी तो सभी को बाट देता है लेकिन बजाना किसी को नहीं सिखाता है जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत का महत्व:- John Rawls's Theory of Justice वर्तमान में भारत और श्रीलंका ने अपनी नृजातीय के संघर्ष की समस्या का समाधान जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत के अनुरुप किया जैसे तमिलों को श्रीलंका में आरक्षण राजस्थान में गुर्जरों को 5% आरक्षण भारत में 10वीं 11वीं 12वीं पंचवर्षीय योजना में योग्यता और आरक्षण के आधार पर 8% वृद्धि दर और समावेशी विकास पर बल दिया गया विश्व व्यापार संगठन में भी योग्यता के साथ-साथ आरक्षण को अपनाया गया जैसे सब्सिडी की अनुमति जॉन रॉल्स की प्रमुख पुस्तकें निम्नलिखित हैं (1) पॉलिटिक्स लिबरलिज्म 1993 (2) ऑन बैंक ग्राउंड जस्टिस 1995 (3) द लाॕ आॕफ पीपुल्स 1999 (4) लेक्चर्स ऑन द हिस्ट्री ऑफ मोरल फिलोसॕफी 2000 (5) जस्टिस ऑफ फेयरनेस 2001 यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि भारतीय विद्वान बी एन रॉय ने जॉन रॉल्स ऑफ जस्टिस थ्योरी नामक पुस्तक लिखी जॉन रॉल्स का न्याय का एक ऐसा सिद्धांत प्रतिपादित कर रहा है जो न्याय के मूल स्वरूप व वितरण दोनों से संबंधित है तथा जिस पर आधारित राजनीतिक व्यवस्था एक न्याय पूर्ण व्यवस्था को स्थापित करती है जॉन रॉल्स ने उदारवाद की उपयोगितावादी आधार की कमियों को दूर किया है तथा उदारवाद को दुनिया में एक लगभग विकल्पहीन विचारधारा के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्व हुआ! इस प्रकार जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत वर्तमान समय में भी अनेक देशों में काम में लिया जाता है जॉन रॉल्स एक समतावादी विचार के रूप में वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं John Rawls's Theory of Justice more post:- http://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/09/blog-post_14.html
जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत जॉन रॉल्स का जन्म 21 फरवरी 1921 को हुआ !जॉन रॉल्स एक समतावादी अमेरिकी राजनीतिक दार्शनिक था! जो अपनी पुस्तक ए थ्योरी ऑफ जस्टिस को 1971 में न्याय के सिद्धांत प्रस्तुत करता है जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत गोरे काले का संघर्ष (नृजातीय संघर्ष )को दूर करने के लिए लाया गया! जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत जॉन लॉक व कांट से प्रभावित है यह जॉन लॉक से प्रभावित होकर एक प्राकृतिक परिकल्पना प्रस्तुत करता है जिसे मूल स्थिति की संज्ञा देता है यह मूल स्थिति की निम्न व्यवस्था बताता है (1)सभी व्यक्तियों अज्ञान के परदे के पीछे रहेंगे अर्थात भौतिकवादी छल कपट से परे रहेंगे यह काल्पनिक स्थिति है जिसमें मनुष्य अपनी अपनी आवश्यकता ,हितों योग्यता आदि से बिल्कुल बेखबर रहता है (2)इसमें सभी व्यक्ति नैतिकता के बंधन से बंधे होंगे (3)इसमें व्यक्ति विवेकशील होंगे छोटे-मोटे अर्थ का ज्ञान होगा (4)मूल स्थिति में व्यक्ति प्राथमिक वस्तुओं के नियम बनाएगा जॉन रॉल्स प्राथमिक वस्तुओं में पद, नौकरी, संसाधन, स्वतंत्रता ,अधिकार आदि को सम्मिलित करता है (5)जॉन रॉल्स का कहना है कि इसमें व्यक्ति क्षतिपूर्ति पर आधारित न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति के नियम बनाएगा जॉन रॉल्स के अनुसार प्राकृतिक अवस्था या मूल स्थिति में व्यक्ति सामाजिक समझौते के माध्यम से दो नियम बनाएगा (1)समानता का नियम (2) सामाजिक आर्थिक नियम- जिसमे तर्कसंगत भेदभाव या आरक्षण दूसरा अवसरों की समानता जॉन रॉल्स के अनुसार इनके लागू करने का क्रम इस प्रकार होगा (1) समान स्वतंत्रता का नियम (2) अवसर की समानता (3) तर्कसंगत भेदभाव जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत की विशेषताएं-: (1) जॉन रॉल्स कहता है कि प्रगति (योग्यता) और न्याय (आरक्षण) में संघर्ष हो जाए तो हमें न्याय का साथ देना चाहिए क्योंकि कोई भी समाज अपनी कमजोर कड़ी से ज्यादा मजबूत नहीं हो सकता क्योंकि समाज जंजीर के समान है इसलिए समाज के विकास के लिए पहले कमजोर कड़ी का विकास करना आवश्यक है (2) स्थानांतरण शाखा पर बल:- जॉन रॉल्स के अनुसार यह स्थानांतरण शाखा गरीबों के कल्याण का कार्य करेगी यह राशन की उचित मूल्य की दुकान के समान है (3)जॉन रॉल्स के अनुसार उसका न्याय का सिद्धांत संपूर्ण समाज के विकास पर बल देता है जॉन रॉल्स बैंथम के अधिकतम व्यक्तियों को अधिकतम सुख की आलोचना करता है क्योंकि बेंथम का सिद्धांत 51% लोगों के हितों की रक्षा करने पर बल देता है और मेरा न्याय 100 % लोगों के हितों पर बल देता है! जॉन रॉल्स ने अपने न्याय के सिद्धांत को शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय का सिद्धांत माना जॉन रॉल्स के अनुसार दुनिया में तीन प्रकार के न्याय के सिद्धांत प्रचलित हैं (1) पुर्ण प्रक्रियात्मक न्याय:- योग्यता पर बल, निष्पक्ष प्रक्रिया पर बल ,पूंजीवाद की बातें करता है (2) अपूर्ण प्रक्रियात्मक न्याय:- मानदण्ड (आरक्षण )पर बल समाजवाद की बातें करता है (3) शुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय:- योग्यता और आरक्षण दोनों पर बल देता है निष्पक्ष प्रक्रिया और मानदंड दोनों पर बल देता है जॉन रॉल्स का कहना है कि उसका प्रथम नियम सम्मान स्वतंत्रता दूसरा नियम अवसरों की समानता योग्यता पर बल देता है जबकि तर्कसंगत भेदभाव आरक्षण पर बल देता है जॉन रॉल्स का कहना है कि मेरा न्याय प्रगति व न्याय में समन्वय स्थापित करता है जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत की आलोचना :' - (1)स्वेच्छातंत्रवादी कहते हैं कि जॉन रॉल्स ने आरक्षण पर बल देकर प्रगति को भुला दिया (2)समाजवादी कहते हैं कि जॉन रॉल्स पूंजीवाद में न्याय ढूंढता है जबकि पूंजीवाद में न्याय संभव नहीं है (3)अमृत सेन जैसे समाजवादी भी अपनी पुस्तक आईडिया ऑफ़ जस्टिस (2009) में लिखते हैं कि जॉन रॉल्स आरक्षण के अंत में लागू करते हैं जबकि आरक्षण को पहले लागू करना चाहिए अमृत सेन कहते हैं कि जॉन रॉल्स बाँसूरी तो सभी को बाट देता है लेकिन बजाना किसी को नहीं सिखाता है जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत का महत्व:- John Rawls's Theory of Justice वर्तमान में भारत और श्रीलंका ने अपनी नृजातीय के संघर्ष की समस्या का समाधान जॉन रॉल्स के न्याय के सिद्धांत के अनुरुप किया जैसे तमिलों को श्रीलंका में आरक्षण राजस्थान में गुर्जरों को 5% आरक्षण भारत में 10वीं 11वीं 12वीं पंचवर्षीय योजना में योग्यता और आरक्षण के आधार पर 8% वृद्धि दर और समावेशी विकास पर बल दिया गया विश्व व्यापार संगठन में भी योग्यता के साथ-साथ आरक्षण को अपनाया गया जैसे सब्सिडी की अनुमति जॉन रॉल्स की प्रमुख पुस्तकें निम्नलिखित हैं (1) पॉलिटिक्स लिबरलिज्म 1993 (2) ऑन बैंक ग्राउंड जस्टिस 1995 (3) द लाॕ आॕफ पीपुल्स 1999 (4) लेक्चर्स ऑन द हिस्ट्री ऑफ मोरल फिलोसॕफी 2000 (5) जस्टिस ऑफ फेयरनेस 2001 यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि भारतीय विद्वान बी एन रॉय ने जॉन रॉल्स ऑफ जस्टिस थ्योरी नामक पुस्तक लिखी जॉन रॉल्स का न्याय का एक ऐसा सिद्धांत प्रतिपादित कर रहा है जो न्याय के मूल स्वरूप व वितरण दोनों से संबंधित है तथा जिस पर आधारित राजनीतिक व्यवस्था एक न्याय पूर्ण व्यवस्था को स्थापित करती है जॉन रॉल्स ने उदारवाद की उपयोगितावादी आधार की कमियों को दूर किया है तथा उदारवाद को दुनिया में एक लगभग विकल्पहीन विचारधारा के रूप में स्थापित करने में सहायक सिद्व हुआ! इस प्रकार जॉन रॉल्स का न्याय का सिद्धांत वर्तमान समय में भी अनेक देशों में काम में लिया जाता है जॉन रॉल्स एक समतावादी विचार के रूप में वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं John Rawls's Theory of Justice more post:- http://politicalrajasthan.blogspot.com/2022/09/blog-post_14.html
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