राजस्थान का इतिहास:बीकानेर रियासत महाराजा गंगा सिंह (1887 ईस्वी से 1943 ईस्वी )
बीकानेर रियासत महाराजा गंगा सिंह (1887 ईस्वी से 1943 ईस्वी ) महाराजा गंगा सिंह डूंगर सिंह का छोटा भाई था डूंगर सिंह की मृत्यु के बाद 31 अगस्त 1887 ईस्वी को महाराजा गंगा सिंह 7 वर्ष की आयु में बीकानेर की गद्दी पर बैठा! इन्हें आधुनिक बीकानेर का निर्माता/ आधुनिक भारत का भागीरथ कहा जाता है महाराजा गंगा सिंह के समय में राजपूताने का सबसे लंबा रेल मार्ग बीकानेर राज्य में बना! महाराजा गंगा सिंह ने 18 91 ईस्वी में सड़क निर्माण के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग(PWD) की स्थापना की इन्हीं के समय में भी 1899-1900 ईस्वी में भयंकर छप्पनिया अकाल पड़ा अकाल के दौरान राहत कार्य चलाने के लिए इन्हें ब्रिटिश सरकार ने केसर ए हिंद की उपाधि से सम्मानित किया! महाराजा गंगा सिंह में बीकानेर में शहर पनाह का निर्माण करवाया गजनेर में गंगा सरोवर के नाम से झील का निर्माण कराया जो अब गजनेर झील के नाम से जानी जाती है गंगा रिसाला-: महाराजा गंगा सिंह ने उत्तम सैनिक प्रशिक्षण देकर गंगा रिसाला नामक सैनिक टुकड़ी( ऊँट सवार) तैयार किए थे महाराजा गंगा सिंह 31 मई 1901 में लंदन में सम्राट एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह में शामिल हुए थे प्रिंस ऑफ वेल्स ने महाराजा गंगा सिंह को अपना ए.डी.सी बनाया! बाँक्सर युद्ध :- 1901 में चीन में हुए बॉक्सर विद्रोह को दबाने के लिए अपनी ऊंटों की सेना गंगा रिसाला लेकर महाराजा गंगा सिंह गंगा सिंह ने सर अल्फ्रेट के साथ की पिटांग के किले पर विजय प्राप्त की 24 जुलाई 1901 को महारानी ने गंगा सिंह को सी.आई.ई( नाइट कमांडर ऑफ इंडियन एम्पायर) की उपाधि और चीन युद्ध मेडल से सम्मानित किया! 2 जनवरी 1903 ईस्वी को डयूक आँफ कनाट भारत आए उनके सम्मान में आयोजित दिल्ली दरबार में गंगासिंह भी शामिल हुए जनवरी 1903 में गंगा रिसाला को सोमाली लैंड में मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह से युद्ध करने के लिए भेजा! लॉर्ड कर्जन ने गंगा रिसाला की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए महाराजा को बधाई तार भेजा गंगा रिसाला के मेजर जनरल डब्ल्यू जी वाकर को विक्टोरियाँ क्राँस, सूबेदार किशन सिंह को इंडियन ऑफ मेेैरिट प्रदान किया गया! 1905 ईस्वी में प्रिंस ऑफ वेल्स बीकानेर आए प्रिंस मेमोरियल हॉल की नींव रखी! 1906 में गवर्नर जनरल लॉर्ड मिंटो बीकानेर आए ! 1910 में बीकानेर में स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना हुई बीकानेर राजपूताने का प्रथम राज्य था जिसने कार्यपालिका और न्यायपालिका को पृथक किया 1912 को अपने शासन के रजत जयंती के उपलक्ष में हिंदी को अपनी सरकारी कामकाज की भाषा महाराजा गंगा सिंह ने बनाया! 1912 में गंगा निवास पब्लिक पार्क का निर्माण करवाया इसका उद्घाटन 1915 में लार्ड होर्डिंग्स ने किया ! प्रजा प्रतिनिधि सभा:- 1913 में नाममात्र के अधिकार देते हुए बीकानेर में प्रजा प्रतिनिधि सभा की स्थापना की गई ब्रिटिश इंपिरियल बार कैबिनेट:- प्रथम विश्वयुद्ध में इन्होंने अंग्रेजों की सभी प्रकार से सहायता की 1914 से 1918 ईस्वी के प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश इंपीरियल वार कैबिनेट में एकमात्र अश्वेत सदस्य महाराजा गंगा सिंह थे रोम नोट :- मई 1917 ईस्वी में महाराजा गंगा सिंह ने रोम इटली से एक विस्तृत पत्र लिखा जो रोम नोट के नाम से प्रसिद्ध हुआ इसमें उन्होंने स्वराज्य प्रदान करने, बीसवीं सदी के दूसरे दशक में भारतीय राजनीति की स्थिति और उनके संभावित समाधान के बारे में लिखा! वर्साय शांति सम्मेलन :- 1919 ईस्वी में गंगा सिंह ने प्रथम विश्वयुद्ध के बाद वर्साय शांति सम्मेलन में भाग लिया देसी राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में गंगा सिंह ने राष्ट्रमंडल के सम्मेलन में भाग लिया नरेंद्र मंडल :- 1921 ईस्वी में नरेंद्र मंडल( चेंबर ऑफ प्रिंसेस )की स्थापना गंगा सिंह के प्रयासों से हुई जिससे के प्रथम अध्यक्ष 1921 से 1925 ईस्वी तक महाराजा गंगा सिंह था जिसका अधिवेशन प्रति वर्ष जनवरी या फरवरी में होता था बटलर समिति:- गंगा सिंह देसी राज्यों के अधिकारों को लेकर बेहद ही सतर्कता उन्होंने 1927 में बटलर समिति के समक्ष मांग की कि उनके संबंध भारतीय अंग्रेज सरकार से नए होकर इंग्लैंड के राजतंत्र के साथ माने जाएं! गंग नहर का निर्माण:- 4 सितंबर 1920 ईस्वी को बीकानेर राज्य पंजाब व बहावलपुर प्रांत के मध्य सतलज नदी समझौता हुआ इसके बाद उन्होंने 1921 से 1927 ईस्वी के मध्य पंजाब से सतलुज का पानी लाकर गंग नहर का निर्माण करवाया जिसका उद्घाटन 26 अक्टूबर 1927 ईस्वी को लॉर्ड इरविन ने किया इसी दिन रामनगर का नाम गंगानगर रखा गया! राजस्थान का एकमात्र शासक गंगा सिंह था जिन्होंने 1930 , सन 1931, सन 1932 के लंदन के तीनो गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया राष्ट्रमंडल के पांचवे सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि दमन उत्पीड़न और निर्वासन महाराजा गंगा सिंह के शासनकाल के मूल मंत्र था महाराजा गंगा सिंह प्रतिक्रियावादी व निरंकुश शासक था यद्यपि अंग्रेजों की दृष्टि से स्वयं को प्रगतिशील दिखाने के लिए उसने न्यायालय ,प्रतिनिधि सभा की स्थापना की मगर यह नाम मात्र की संस्थाएं गंगा सिंह की इच्छा पर ही चलती थी उनके राज्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कड़ा प्रतिबंध लगा रखा था! बीकानेर एक दिग्दर्शन नामक पत्रिका में गंगा सिंह की दमन की नीतियों की आलोचना की गई जिस पर सार्वजनिक सुरक्षा कानून लगाकर स्वामी गोपाल दास चंदनमल बहड़ सत्यनारायण सरार्फ व खूबचंद सरार्फ को बीकानेर षड्यंत्र केस में गिरफ्तार कर लिया गया सार्वजनिक सुरक्षा कानून :- 1932 ईस्वी में गंगा सिंह ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट बनाकर सरकार के विरुद्ध आंदोलन करने वाले ,अखबारों व अन्य प्रकाशित करने वालों पर निषेध लगा दिया इसके विरोध में पूरे देश में 17 दिसंबर 1933 को बीकानेर दिवस मनाया गया महाराजा की दमन नीति के कारण बीकानेर राज्य में भारत छोड़ो आंदोलन का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा! तिरंगा फहराना उस समय राजद्रोह के समान माना जाता था इसके सभी क्रियाकलाप अंग्रेजों को खुश करने के लिए थे गंगा सिंह हिंदू विश्वविद्यालय काशी को ₹25000 दिए 1937 ईस्वी में इंग्लैंड के सम्राट एडवर्ड अष्टम के राज्यारोहण समारोह में भाग लिया द्वितीय विश्वयुद्ध (1939 से 1945 )में गंगा रिसाला तथा लाइट इन्फेंट्री सेवाएं लेकर अंग्रेजों की सहायता करने यूरोप गए जुलाई 1942 ईस्वी में रघुवर दयाल गोयल ने बीकानेर प्रजा परिषद की स्थापना की उन्होंने गोयल को बीकानेर से निष्कासित कर दिया बीकानेर में डूंगर कॉलेज की स्थापना महाराजा गंगा सिंह ने करवाई अपने पिता लाल सिंह की स्मृति में बीकानेर में लालगढ़ पैलेस का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने करवाया रामदेवरा में 1931 ईस्वी में बाबा रामदेव मंदिर का निर्माण व गोगामेड़ी के गोगा मेडी मंदिर का वर्तमान स्वरूप भी महाराजा गंगा सिंह ने ही करवाया उन्होंने जसनाथ जी का अग्नि नृत्य को संरक्षण दिया महाराजा गंगा सिंह की मृत्यु 2 फरवरी 1943 ईस्वी को मुंबई में हुई राजस्थान के राजाओं में अंग्रेजों के साथ सबसे अच्छे संबंध बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह के थे!
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