राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन:भरतपुर प्रजामंडल
राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन:भरतपुर प्रजामंडल सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में आयोजित कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन 1938 में यह निर्णय लिया गया कि कांग्रेस को रियासती जनता के संघर्ष में साथ देना चाहिए इस अधिवेशन में उत्तरदाई शासन की स्थापना के लिए स्थानीय रियासतों में प्रजा मंडलों की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया गया इस अधिवेशन के बाद ही राजस्थान की अधिकांश रियासतों में प्रजामंडल या प्रजा परिषदों की स्थापना हुई तथा राजनीतिक अधिकारों और उत्तरदाई शासन के लिए आंदोलन शुरू किए गए भरतपुर प्रजामंडल भरतपुर राज्य में जनचेतना जगाने का कार्य आर्य समाज के अलावा जगन्नाथ दास अधिकारी व गंगा प्रसाद शास्त्री को है सन 1920 ईस्वी तक भरतपुर ,डीग, कुम्हेर सहित अनेक स्थानों पर आर्य समाज की शाखाओं की स्थापना हो चुकी थी! जगन्नाथ दास अधिकारी ने 1912 ईस्वी में हिंदी साहित्य समिति व 1920 ईस्वी में दिल्ली से वैभव पत्र आरंभ कर इन के माध्यम से जन जागृति का कार्य किया 1924 से 1927 तक ठाकुर देशराज ने किसानों की मांगों को लेकर अनेक सभाएं की नवंबर 1928 ईस्वी में भरतपुर राज्य प्रजा सघं की स्थापना की गई गोपी लाल यादव को इनका अध्यक्ष व देशराज को सचिव बनाया गया भरतपुर के तत्कालीन महाराजा किशन सिंह एक प्रगतिशील व्यक्ति थे 1927 ईस्वी में महाराजा किशन सिंह ने उत्तरदाई शासन स्थापित करने की घोषणा की लेकिन 1928 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें राजगद्दी से हटाकर बालक बृजेन्द्र सिंह को गद्दी पर बैठा दिया और शासन संबंधी अधिकार डक्कनि मैकेंजी को सौंप दिए मैकेंजी ने भरतपुर में सभा व जुलूस और नागरिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिया सन 1937 ईस्वी में पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रयासों से भरतपुर में कांग्रेस मंडल की स्थापना हुई प्रजामंडल की स्थापना 1938 में हरीपुरा कांग्रेस अधिवेशन के उपरांत किशन लाल जोशी ने मार्च 1938 में रेवाड़ी में भरतपुर प्रजामंडल की स्थापना जुगल किशोर चतुर्वेदी के घर पर की इनका प्रथम अध्यक्ष गोपी लाल यादव तथा ठाकुर देशराज व रेवती शरण उपाध्याय को उपाध्यक्ष तथा मास्टर आदित्यनाथ को कोषाध्यक्ष बनाया गया सरकार ने प्रजामंडल को अवैध घोषित कर दिया 23 दिसंबर को 1940 को राज्य ने प्रजामंडल से समझौता कर सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करते हुए भरतपुर प्रजामंडल का प्रजा परिषद के नाम से पंजीकरण किया साथ ही भाषण व सभाओं से प्रतिबंध हटा दिया प्रजा परिषद का प्रथम राजनीतिक सम्मेलन 30 दिसंबर 1940 से 1 जनवरी 1941 तक भरतपुर में जय नारायण व्यास की अध्यक्षता में हुआ सम्मेलन में उत्तरदाई शासन की मांग दोहराई गई दिसंबर 1941 ईस्वी में प्रजा परिषद का विशेष अधिवेशन हीरालाल शास्त्री की अध्यक्षता में हुआ भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान परिचय परिषद का आंदोलन चलता रहा यहां सरस्वती बोहरा के नेतृत्व में महिलाओं ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया आंदोलन को शांत करने के लिए 22 अक्टूबर 1942 को ब्रज जन प्रतिनिधि सभा का गठन किया गया जिसके 37 निर्वाचित सदस्यों में से 27 सदस्य प्रजा परिषद के कार्यकर्ता चुने गए इस प्रतिनिधि सभा का नेता जुगल किशोर चतुर्वेदी व उप नेता मास्टर आदित्येंद्र को बनाया गया प्रतिनिधि सभा को अधिकार नहीं देने पर अप्रैल 1945 में प्रजा परिषद के सदस्यों ने इस सभा से त्यागपत्र दे दिया वायसराय लॉर्ड वेवेल व महाराजा सार्दुल सिंह के भरतपुर आगमन पर आंदोलन के दौरान भुसावर में 5 फरवरी 1947 को रमेश स्वामी की अंग्रेजों ने बस से कुचल कर हत्या कर दी दिसंबर 1947 में प्रजा परिषद के गोपी लाल यादव ,मास्टर आदित्येंद्र, ठाकुर देशराज एवं हरिदत्त को मंत्री बनाया गया 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ तो भरतपुर सांप्रदायिकता की आग में जल रहा था इस प्रकार प्रजामण्डल आन्दोलन सें लोगों में राजनीतिक सचांर हुआ
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