राजस्थान के लोक देवता : झूझार जी महाराज खारिया बास
राजस्थान के लोक देवता : झूझार जी महाराज खारिया बास
लोक देवता /लोक देवी से तात्पर्य महापुरुषो /महास्त्रियो से है जो मानव रूप में जन्म लेकर अपने असाधारण व लोक कल्याणकारी कार्यो के कारण प्रसिद्व हुए उसको लोकदेवता के रूप में स्थानीय जनता द्वारा स्वीकार किए गए और उनको भी देव तुल्य देवी तुल्य पूज्य माना गया राजस्थान के प्राय सभी लोक देवता अपने समय में महान योद्धा व साधक थे यह अपने आदर्शों और मातृभूमि की रक्षा के लिए बलिदान हो गए उन्होंने सामाजिक दोषों के निवारण, हिंदू धर्म की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए राजस्थान में लोक देवताओं और लोग देवियों की पूजा व्यापक रूप में की जाती है जो महापुरुष गायों तथा स्त्रियों की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए उन्हें झूझार जी महाराज कहकर पुकारा जाता है राजस्थान में झूझार जी महाराज के अनेक जगह मंदिर बने रहे हैं उन्हीं में से एक झूझार जी महाराज का मंदिर खारिया बास में बना हुआ है
झुंझार जी महाराज खारिया बास भारत के राजस्थान राज्य में स्थित है। यह स्थान एक ऐतिहासिक महल और पवित्र स्थल है जहां हिंदू धर्म के श्रद्धालु भक्त अपने आस्था का प्रकटीकरण करते हैं।
झुंझार जी महाराज खारिया वास में श्रद्धालु भक्त ज्योतिष, तंत्र और मंत्रों के शोध, अध्ययन और उनके विस्तार के लिए आते हैं। इस स्थान की विशेषता इस बात में है कि यह भारत के कुछ सबसे पुराने और शक्तिशाली मंत्रों और ज्योतिषीय तकनीकों का एक संग्रहण स्थल है।
इस स्थान पर स्थित झुंझार जी महाराज का मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर झुंझार जी महाराज को समर्पित है और इसे देखने के लिए भी श्रद्धालु भक्त यहां आते हैं।
झुंझार जी महाराज खारिया बास अपनी ऐतिहासिक महत्ता, धार्मिक महत्व और खूबसूरती के लिए जाना जाता है।
झूझारजी महाराज खारीयाबास (Jhujhar Singhji Maharaj Kharibas) राजस्थान के churu जिले में स्थित खारीयाबास गांव के महाराज हैं। वे राजस्थान के महत्वपूर्ण इतिहास के हिस्सों में से एक हैं और उनके परिवार के लोग इतिहास, संस्कृति और परंपराओं के रक्षक के रूप में जाने जाते हैं।
झूझारजी महाराज का जन्म राजस्थान के churu जिले में हुआ था। वे अपने परिवार के विभिन्न राजस्थानी महलों में निवास करते हैं और राजस्थान की संस्कृति, परंपराओं और इतिहास के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। वे अपने क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं जिन्हें समाज से गहरी जुड़ाव है।
झूझारजी महाराज का व्यक्तित्व बहुत ही उदार है। वे सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अक्सर भाग लेते हैं। वे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अपनी भूमिका का उपयोग करते हैं। वे स्थानीय समुदायों के लिए उपयोगी कार्यों में भी लगे रहे
भारत के राजस्थान में बीकानेर रियासत में एक ठिकाना साखूँ फोर्ट था जिसकी स्थापना श्री किशन सिंह राठौड़ ने सन 1608 में की !यहां के तीसरे शासक श्री दुर्जन सिंह हुए साखूँ फोर्ट के चौथे शासक ठाकुर सुजान सिंह राठौड़ हुए सुजान सिंह राठौड़ एक योग्य सेनापति थे जिन्होंने बीकानेर रियासत की शेखावटी रियासत व लोहारू के नवाबों से रक्षा की उन्होंने अनेक युद्ध लड़े ऐसी किद्वन्ती है कि एक दिन अचानक सुजान सिंह राठौड़ को सूचना मिली कि मुगल आक्रांता गायों को ले जा रहे हैं वह अपने कुछ साथियों के साथ उनका पीछा किया और उनको डोकवा गांव राजगढ़ के पास में घेर लिया मुस्लिम आक्रांताओ और सुजान सिंह जी राठौड़ के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें सुजान सिंह राठौड़ बुरी तरह घायल हो गया और उनका सिर धड़ से अलग होकर वहीं पर गिर गया हालाकि मुस्लिम आक्रांताओ से गायो को छुटा लिया सुजान सिंह के पास एक योग्य घोड़ा पेैजंण था जो सुजान सिंह को वापस अपने ठिकाने की तरफ ला रहा था साखूँ फोर्ट से 1 किलोमीटर पहले खारिया बास गांव में घोड़ा और सुजान सिंह दोनों गिर गए और यहीं पर सुजान सिंह जी राठौड़ का अंतिम संस्कार कर दिया गया ऐसी किद्वन्ती है कि इसके बाद सुजान सिंह जी राठौड़ ने यहां पर अपने चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए इससे यहाॕ लोक देवता के रूप में पूजा जाने लगा और झूझार जी बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गया इन्हे बिना सिर के लोकदेवता के रुप मे पूजा जाताहै झूझार जी बाबा के नाम से झुझारजी महाराज की कीर्ति चारों तरफ फैल गई लोग उनके चमत्कार को सुनकर पूजा करने के लिए यहां पर आने लगे यहां पर उनके भक्तों ने एक सात खंभों की छतरी उनके लिए बनवा दी ऐसी किद्वन्ती है एक बार लोहारू का नवाब यहां से गुजर रहा था तो उन्होंने भी बाबा झूझार जी महाराज के चमत्कारों के बारे में लोगों से सुना और वह क्रोधित होकर उस छतरी की छह खंभों को कटवा दिया और कहा कि अगर बाबा में इतनी हिम्मत है तो वह एक खंबे पर खड़ा होकर दिखाएं इसके बाद लोहारू का नवाब वहां से चला गया लगभग 1 साल के बाद में लोहारू का नवाब दोबारा वहां से गुजरा तो वह छतरी सिर्फ एक खंभे पर ही खड़ी मिली लोहारू के नवाब ने झूझार जी महाराज की छतरी में आकर उनसे माफी मांगी इसके बाद में झुंझार जी महाराज का एक नया मंदिर बनवाया गया जो वर्तमान में ग्राम खारिया बास(churu) में स्थित है
खारिया बास का ईष्ट देवता
झूंझार जी महाराज को चमत्कारी लोक देवता माना जाता है गायों के लोक देवता के रूप में प्रसिद्ध है हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां पर आते है प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह में यहां पर जागरण और मेला लगाया जाता है
महाराज झूझार सिंह खारीयाबास ने जल संरक्षण को बढ़ावा दिया। उन्होंने कुण्ड और तालाब के प्रबंधन के लिए विभिन्न उपाय अपनाए जैसे कि जल संरक्षण के लिए जल संरचनाओं का निर्माण करना, जल संचय तंत्र की व्यवस्था करना और सभी लोगों को जल संरक्षण के महत्व के बारे ज्ञान देते थे
झूंझार जी महाराज की प्रसिद्धि पूरे देश में है देश-विदेश से कोने कोने में यहां पर श्रद्धालु आते हैं और झुंझार महाराज से मन्नत मांगते हैं गांव खारिया बास का रक्षक लोक देवता झूंझार महाराज है झूंझार जी महाराज के मंदिर के पास में बीकानेर रियासत के विजय सिंह व उनकी रानियों की छतरी बनी हुई है तथा पास में ही कृष्ण जी, हनुमान जी का मंदिर भी है खारिया बास का झुंझार जी महाराज एक चमत्कारी लोक देवता व गौ रक्षक के रूप में प्रसिद्ध है यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि खारिया बास गांव राजगढ़ तहसील से 22 किलोमीटर दूर झून्झूनु रोड़ पर है और यहां का पारंपरिक खेल चौपड़ का खेल है खारिया बास गांव आजादी से पहले बीकानेर रियासत का भाग था राजस्थान सरकार ने खारिया बास गांव के महत्व को देखते हुए इसे 1948 में शेखावाटी क्षेत्र में शामिल कर दिया तब से लेकर वर्तमान समय तक खारिया बास गांव शेखावाटी क्षेत्र के अंतर्गत आता है शेखावाटी क्षेत्र के अंतर्गत चूरू का कुछ भाग, झुंझुनू जिला व सीकर जिला आते है
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