माता मायादेवी: टोकस गौत्र जाट जाति की कुलदेवी
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माता मायादेवी |
टोकस गौत्र जाट जाति की कुलदेवी माता मायादेवी का जन्म तोखा का बास भगीना पिलानी जिला झुंझुनू में 5 फरवरी 1965 को
श्योराण गौत्र में हुआ उनका परिवार मूल रूप से बाढ़डा हरियाणा का था! माता मायादेवी के पिता का नाम श्री लच्छी राम जी श्योराण था माता मायादेवी के माता का नाम श्रीमती चन्दरपति था माता मायादेवी के एक भाई व पांच बहन थे उनमें से तीसरे नंबर की माता मायादेवी थी भाई का नाम श्री रघुवीर सिह श्योराण व बहिन सुमित्रा देवी, विद्या देवी, शांति देवी ,जन्तरा देवी है माता माया देवी प्रारंभ से ही परोपकार के कार्यों में सलग्न थी वह हनुमान जी की परम भगत है! माता मायादेवी का विवाह 25 अप्रैल 1981 को चुरू जिले के राजगढ़ तहसील के ग्राम खारिया बास के श्री हरचन्द राम जी टोंकस के पुत्र श्री हेमराज जी टोंकस के साथ हुआ श्री हेमराज जी टोंकस अपने छह भाई श्री मोहरसिह जी ,रामदयाल जी ,शिशपाल जी,बलदेव जी , ,रामसिह जी व एक बहिन इन्दरावती में 6नम्बर की सन्तान था! विवाह के पश्चात भी माता मायादेवी ने अपने परोपकार कार्य शुरू रखें उनकी पहली दो संतानों की मृत्यु के बाद उनके दो पुत्र राजेश कुमार व विकास कुमार हुए! माता माया देवी परोपकारी व समाजसेवी महिला है माता माया देवी का परिवार एक किसान परिवार है और वह कृषि कार्य करते हैं
माता माया देवी प्रतिदिन सुबह उठकर अपने आराध्य देव हनुमानजी की पूजा करती है उसके पश्चात पक्षियों को दाना देती है और गायों की सेवा करती है फिर अपने गृह कार्य को निपटा कर दोबारा पशुओं की सेवा में लग जाती है उनके घर पर पक्षी उनके घरेलू सदस्य के रूप में ही रहते हैं माता माया देवी उन पक्षियों और पशुओं की दिन-रात सेवा करती रहती है !
हाल में गायों में लंम्पी वायरस में बीमार गायों की माता मायादेवी ने दिन-रात सेवा की! 58वर्ष की आयु में भी सुबह 4बजे उठकर स्नान करके पुजा पाठ करके सेवा में लग जाते है! माता माया देवी की पहचान एक परोपकार व समाजसेवी महिला के रूप में है और माता मायादेवी टोकस गौत्र की कुलदेवी है
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