भरतपुर प्रजामंडल आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
भरतपुर प्रजामंडल आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
मार्च 1938 ईस्वी में भरतपुर राज्य प्रजामंडल की स्थापना हो चुकी थी पंजीकरण के अभाव में राज्य ने शीघ्र ही गैरकानूनी घोषित कर दिया जलियांवाला बाग की घटना की याद में भरतपुर में भी 7 से 13 अप्रैल 1940 को राष्ट्रीय सप्ताह मनाया गया इस दौरान प्रजामंडल के कार्यकर्ता खादी का कपड़ा और खादी से बना अन्य सामान हाथ ठेला पर जिस पर कांग्रेस के छोटे-छोटे झंडे लगे हुए थे लेकर बाजार और सड़कों पर निकले ।इनके साथ पंडित देशराज की पत्नी श्रीमती त्रिवेणी, गौरीशंकर मित्तल की पत्नी श्रीमती भगवती, गोकुलचंद वर्मा की पुत्री थी
राष्ट्रीय सप्ताह के दौरान भरतपुर शहर के अलावा खादी बेचने और उनके प्रकार का कार्य अन्य कस्बों में भी किया गया राष्ट्रीय सप्ताह के अंतिम दिन श्रीमती देशराज और श्री कृष्णा आदि का हाथ ठेला लेकर गोलबाग पहुंची जहां राव राजा साहब राजस्व मंत्री और राज्य परिषद के अध्यक्ष के बंगले थे साथ ही साथ सत्याग्रह की भी तैयारी चल रही थी
देशराज की पत्नी त्रिवेणी देवी को अचनेरा से भरतपुर भेजा गया था ताकि वह वहां के कार्यकर्ताओं की पत्नियों को भी सत्याग्रह के लिए तैयार कर सके। 10 अप्रैल 1939 को त्रिवेणी देवी अपने हाथ में प्रजामंडल का केसरिया झंडा लेकर प्रजामंडल का मांग पत्र और सत्याग्रह आरंभ करने की चुनौती देने प्रसिडेंट काउंसिल की ओर रवाना हुए वे तांगे में गोकुल जी वर्मा के साथ थी उसके पीछे जुलूस चल रहा था उसी दिन भरतपुर दीवान टोटेमहोम शहर में नहीं थे अल्टीमेट उसके सेकेट्री रामचंद्र को दिया गया
सत्याग्रह आरंभ करने से पहले गांधी व नेहरु से मिले सत्याग्रह का संपूर्ण कार्यक्रम भी बनाया गया कार्यक्रम के अनुसार प्रजामंडल के कार्यकर्ता देशराज गोकुल वर्मा आदि ने21 अप्रैल 1939 को भरतपुर राज्य प्रजामंडल के पंजीकरण को लेकर सत्याग्रह आंदोलन आरंभ कर दिया
सत्याग्रही प्रतिदिन प्रभात फेरी निकालते थे जिसके दौरान प्रजामंडल से संबंधित गीत गाते नारे लगाते ।इन नारों में प्रमुखता मंडल की जय ,भरतपुर भरतपुर वासियों के लिए है राज्य की अत्याचारी नीति समाप्त हो आदि।
सभाओं में कार्यकर्ता कविता भी पढ़ते थे 22 अप्रैल 1940 को श्रीमती त्रिवेणी एक सभा में गाना गाया जिसमे आह्वान किया कि वे जागे और अपने अधिकारों के लिए सत्याग्रह करें सरकार चुपचाप आंदोलन का दमन कर देना चाहती थी
21 सितंबर 1940 को मास्टर आदित्येंद्र की पत्नी जो महिलाओं के जुलूस का नेतृत्व कर रही थी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया उनके साथ उनकी 2 साल की पुत्री कांता की थी इसके अलावा रेवतीशरण की पत्नी राजेश्वरी देवी,गोपी लाल यादव की पत्नी धर्मवती को भी गिरफ्तार कर लिया गया
परिषद ने 20 मार्च 1941 को मास्टर आदित्येंद्र की अध्यक्षता में राजनीतिक सम्मेलन किया सम्मेलन के दौरान 21 मार्च को महिला सभा हुई जिसकी अध्यक्षता सरस्वती बोहरा ने की। इस सभा में उनके अतिरिक्त जगतगोपाल की पत्नी श्रीमती ब्रजरानी ने भाषण दिया भाषण में महिलाओं को अपने घरवालों को साफ सुथरा रखने चरखा कातने तथा देश सेवा आदि की सलाह दी गई सभा में लगभग 15 से 20 महिलाओं ने भाग लिया।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भरतपुर शहर में निकाले जाते स्त्रियां भी सरस्वती बोहरा के नेतृत्व में सक्रिय भाग लेती
नमक कानून के विरोध में आंदोलन करता भरतपुर में बनाए गए नमक की थैलियां 1 पैसे प्रति थैली के हिसाब से बेचते थे सरकारी दमन के बावजूद 22 अगस्त 1942 को एक सभा के बाद जुलूस लेकर कौंसिल कार्यालय के समक्ष धरना देने का प्रयत्न करने लगे सरस्वती बोहरा को जो आन्दोलन का केंद्र बिंदु बन चुकी थी गिरफ्तार कर लिया गया अब भरतपुर के बाहर से भी सत्याग्रही आने लगे 19 अगस्त को गुरुदयाल के नेतृत्व में सत्याग्रही जूरेहरा से भरतपुर के लिए रवाना हुए भरतपुर के कुछ दर्जी ने सैनिक पोशाक का ठेका ले रखा था आंदोलन के दौरान परिषद कार्यकर्ता शांति देवी, किरण देवी दर्जियों की दुकानों पर जाकर चेतावनी दी कि 1 सप्ताह के भीतर यह छोड़ दें अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें
23 मई को ही पंडित सत्यदेव विद्यालंकर कि देखता में भरतपुर राज्य छात्र सम्मेलन हुआ एक महिला सम्मेलन हुआ जिसकी अध्यक्षता गणेशीलाल की पत्नी बसंती देवी ने की इस सम्मेलन में युगलकिशोर चतुर्वेदी की पत्नी ने अपने भाषण में स्त्री शिक्षा व खादी के प्रयोग पर बल दिया
15 अगस्त 1947 को भरतपुर शहर में धारा 144 के अंतर्गत सभा जुलूस और भाषण पर प्रतिबंध लगा दिया गया इसी दिन सशस्त्र सैनिकों ने सत्याग्रहियों पर घोड़ें चढ़ाने का प्रयास किया और उन्हें भालों से बुरी तरह घायल कर दिया सत्याग्रहियों ने धारा 144 को तोड़कर जनता ने शाम को सशस्त्री सैनिकों के सामने सभा करके अपने साहस का परिचय दिया इस प्रकार भरतपुर राजा ने आंदोलन करने में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं का भी पूरा योगदान रहा
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