राजस्थान के राजाओं द्वारा संघ बनाने का प्रयास
राजस्थान के राजाओं द्वारा संघ बनाने का प्रयास स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में 19 रियासते3 ठिकाने और 1 केंद्र शासित प्रदेश अजमेर मेरवाड़ा था इन सभी रियासतों को मिलाकर एक इकाई के रूप में संगठित करने की अत्यंत विकट समस्या थी वैसे सबसे पहले गवर्नर जनरल लार्ड लिगलिथगों राजस्थान की सभी रियासतों का एक समूह बनाने की बात कही थी किंतु सभी शासक इससे से सहमत नहीं हुए! सितंबर 1946 में अखिल भारतीय देसी राज्य लोक परिषद भी यह निर्णय ले चुकी थी कि राजस्थान की कोई भी रियासत एक ईकाई के रूप में भारतीय संघ में शामिल होने के योग्य नहीं है अत: समस्त राजस्थान को एक इकाई के रूप में भारतीय संघ में सम्मिलित होना चाहिए राजपूताना की रियासतो की एक इकाई के रूप में संगठित करने का कार्य सर्वप्रथम कोटा महारावल भीमसिंह ने किया परंतु उसे विशेष सफलता नहीं मिली राजस्थान यूनियन मेवाड़ महाराणा का राजस्थान यूनियन बनाने का प्रयास मेवाड़ महाराणा भोपाल सिंह ने राजस्थान ,गुजरात व मालवा के छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर एक बडी राजस्थान यूनियन बनाने के उद्देश्य से 25- 26 जून 1946 को उदयपुर में राजाओं का एक सम्मेलन आयोजित किया इस सम्मेलन में राजस्थान के समस्त राजाओं ने तथा मालवा व गुजरात के अनेक शासकों और उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया उदयपुर महाराणा भोपाल सिंह ने उपस्थित प्रतिनिधियों से अपील की कि वे सभी मिलकर राजस्थान यूनियन का गठन करें ताकि भारतीय संघ में विलय एक इकाई के रूप में सम्मिलित होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके! शासकों ने महाराणा की योजना पर विचार करने का आश्वासन दिया जयपुर, बीकानेर ,जोधपुर रियासत को छोड़कर शेष रियासतों ने राजस्थान यूनियन के निर्माण को सिद्धांत तरह स्वीकार कर लिया और संविधान निर्माण के लिए समिति भी गठित कर दी लेकिन इनका भी कोई परिणाम नहीं निकला ! राजपूताना संघ जयपुर के महाराजा द्वारा राजपूताना संघ बनाने का प्रयास भारतीय रियासती सचिवालय ने घोषणा की कि वह स्वतंत्र भारत में वही रियासतें स्वतन्त्र अस्तित्व रख सकेंगी जिनकी जनसंख्या 10 लाख व वार्षिक आय एक करोड होगी इस मापदंड के अनुसार राजस्थान में केवल जयपुर ,जोधपुर बीकानेर व मेवाड़ ऐसे राज्य थे जो अपना पृथक अस्तित्व रख सकते थे इस घोषणा के बाद अन्य छोटी छोटी रियासतों में अपने अस्तित्व के लिए खलबली मच गई मेवाड़ द्वारा राजस्थानी यूनियन बनाने के असफल प्रयास के बाद जयपुर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय ने इस संदर्भ में प्रयास किया जयपुर के प्रधानमंत्री बी टी कृष्णमाचारी के सुझाव के अनुसार राजस्थान के राजाओं का जयपुर में एक सम्मेलन बुलाया इस सम्मेलन में प्रस्ताव रखा कि उच्च न्यायालय, उच्च शिक्षा, पुलिस आदि विशेष संघ के नियंत्रण में रहे और शेष मामले राज्य के पास रहे यदि इस शर्त पर सहमति ना हो तो छोटे राज्यों को अपने पड़ोस के बड़े राज्यों के साथ मिल जाना चाहिए अंततः यह सम्मेलन भी सफल नहीं हो सका! हाड़ौती संघ( संयुक्त राजस्थान ) कोटा महाराज द्वारा हाड़ौती संघ बनाने का प्रयास कोटा महाराव भीमसिंह कोटा, बूंदी, झालावाड़ राज्यों को मिलाकर एक वृहत्त कोटा राज्य के निर्माण में लग गए किंतु पारस्परिक अविश्वास ईष्या एवं प्रत्येक अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रखने की महत्वाकांक्षा के कारण हाडोैती संघ अस्तित्व में नहीं आ सका ! बीकानेर महाराजा द्वारा लोहारू राज्य को मिलाने का प्रयास बीकानेर महाराजा सार्दुल सिंह लोहारू राज्य को बीकानेर राज्य में मिलाने के इच्छुक था जून 1947 में लोहारू नवाब ने बीकानेर रियासत के साथ प्रशासनिक समझौता किया भारत विभाजन के समय बीकानेर नरेश ने लोहारू राज्य के अल्पसंख्यक को सुरक्षा प्रदान की! दिसंबर 1947 में जब छोटी रियासतों को बड़ी रियासतों में विलय का प्रशन होता तभी बीकानेर महाराजा सार्दुल सिंह ने लोहारू राज्य को बीकानेर राज्य में शामिल करने का भरसक प्रयास किया परंतु भारत सरकार ने लोहारू राज्य को बीकानेर राज्य में विलय न करें इनका शासन सीधे ही अपने हाथ में ले लिया जिससे बीकानेर के महाराजा को बड़ी निराशा हुई! बागड़ संघ डूंगरपुर महारावल द्वारा बागड़ संघ बनाने का प्रयास डूंगरपुर महारावल लक्ष्मण सिंह वृहत्तर डूंगरपुर का निर्माण करना चाहते थे उसने डूंगरपुर ,बांसवाड़ा, कुशलगढ़, लावा और प्रतापगढ़ के राज्यों को मिलाकर बागड़ संघ का निर्माण करने का प्रयास किया परंतु महारावल लक्ष्मण सिंह को अपने प्रयासों में सफलता नहीं मिली! इस प्रकार राजाओं के अहम महत्वकांक्षा, पारस्परिक अविश्वास , आपसी वैमनस्य के कारण किसी एक इकाई निर्माण पर सहमति नहीं हो सकी छोटी रियासतें अपनी वंश परंपरा व प्राचीन प्रतिष्ठा के कारण बड़ी रियासतों में विलय होने से हिचकिचा रही थी जब यह लगने लगा कि यह लोग संघ का कोई निर्णय लेने में सक्षम नहीं है तब यह अनुभव किया जाने लगा कि इनके लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किया जाए 16 दिसंबर 1947 को सरदार पटेल ने घोषणा की कि छोटी- छोटी रियासतों को आपस में मिलाकर संघ बनाया जाएगा!
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