राजस्थान में जनजातियों के विकास हेतु चलाए जा रहे कार्यक्रम, योजनाएं और प्रमुख संस्थाएं
राजस्थान में जनजातियों के विकास हेतु चलाए जा रहे कार्यक्रम, योजनाएं और प्रमुख संस्थाएं
राजस्थान में जनजातियों के विकास हेतु अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं इनमें से कुछ योजनाओं का संचालन केंद्र सरकार और कुछ योजनाओं का संचालन राजस्थान सरकार करती है
केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाएं
बहुउद्देशीय विशेष जनजाति खंड
सन 1955 में बहुउद्देशीय विशेष जनजाति खंडों का प्रादुर्भाव जनजातीय क्षेत्र जनजाति विकास खंड विशेष रूप से आरंभ किया जाए बहुउद्देशीय विशेष जनजातीय खंडों के अंतर्गत केंद्र तथा राज्य द्वारा आयोजित विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन हुआ लेकिन यह अधिक सफल नहीं रहा
जनजातीय विकास खंड
तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961-66 में जनजाति विकास खंडों का प्रादुर्भाव हुआ इनका उद्देश्य जनजातियों के सामाजिक व आर्थिक स्तर में गतिशील सुधार करना है जनजाति विकास खंड प्रति एक लाख की आबादी में 66.66% जनजातीय की आबादी के आधार पर खोले गए लेकिन इसका लाभ विशेष रूप से अन्य वर्गों ने ही उठाया आता है यह योजना बंद कर दी गई
जनजाति उपयोजना क्षेत्र( TSP) 1974
पांचवी पंचवर्षीय योजना में जनजाति उपयोजना का दृष्टिकोण स्वीकार किया गया जिसके तहत राजस्थान में बांसवाड़ा डूंगरपुर उदयपुर प्रतापगढ़ तथा सिरोही जिलों की 23 पंचायत समितियों को मिलाकर केंद्र सरकार ने सन 1974 में जनजाति उपयोजना क्षेत्र घोषित किया यह संपूर्ण पर देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 6% है इसके अंतर्गत जनजातियों के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने और क्षेत्रीय विकास के कार्य किए जाते हैं
परिवर्तित क्षेत्र विकास कार्यक्रम (माडा)1978-79
राज्य की विभिन्न मंडलों में निवास करने वाली जनजातीय समूह के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 1978-79 में परिवर्तित क्षेत्र विकास कार्यक्रम योजना प्रारंभ की इस योजना के अंतर्गत 18 जिलों में 44 मांडा लघु खंडों का गठन किया गया जिसमें 3586 ग्रामपंचायतें सम्मिलित थी जिसके लिए सरकार ने संशोधित क्षेत्रीय विकास योजना बनाई 2011 की जनगणना के अनुसार इस क्षेत्र के कुल जनसंख्या 29. 67 लाख है जिसमें जनजाति जनसंख्या 15.89 लाख है जो इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 53.56% है इस क्षेत्र में मीणा जनजाति का बाहुल्य है।
माडा क्लस्टर योजना
ऐसे क्षेत्र जिसकी कुल जनसंख्या 5000 या उससे अधिक है तथा जिसमें 50% से अधिक जनसंख्या जनजाति की है वहा माडा क्लस्टर योजना लागू कर विकास कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे हैं राज्य के 8 जिलों बूंदी , बारां, झालावाड़, अजमेर, राजसमंद, भरतपुर ,सवाई माधोपुर में 11 मांडा हैं इसमें 159 गांव सम्मिलित हैं इन माडा क्लस्टर के सर्वागीण विकास का कार्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत किया जा रहा है
सहरिया विकास कार्यक्रम 1977 -78
यह कार्यक्रम राजस्थान के 12 जिले के किशनगढ़ एवं शाहाबाद बारां जिले की एकमात्र आदिम जनजाति सहरिया के विकास के लिए अपनाया गया है
बिखरी जनजाति विकास कार्यक्रम 1979
बिखरी जनजाति के विकास कार्यक्रम का प्रारंभ 1979 में किया गया इसका संचालन जनजाति क्षेत्र विकास (ट्राईबल एरिया डेवलपमेंट एजेंसी )द्वारा किया जाता है अनुसूचित क्षेत्र माडा लघु खंड, माडा कलस्टर एवं शहरी क्षेत्र के अतिरिक्त राजस्थान में 29. 28लाख जनजाति के व्यक्ति 30 जिलों में बिखरे हुए हैं राजस्थान के डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिले को छोड़कर शेष 31 जिलों में लगभग 22. 92 लाख जनजाति जनसंख्या बिखरी हुई मिलती है
एकलव्य योजना
इस योजना की क्रियान्वित भारत विकास परिषद द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के लगभग 40 लाख आदिवासी बालकों का विकास करने हेतु विद्यालय छात्रावास एवं स्वास्थ्य केंद्र संचालित किए जा रहे हैं
रूख भायला कार्यक्रम
रूख भायला कार्यक्रम अर्थात वृक्ष मित्र कार्यक्रम को चलाने का उद्देश्य जनजातीय बहुल क्षेत्रों में सामाजिक वानिकी का प्रोत्साहन देने तथा पेड़ों की अवैध कटाई रोकना है
अनुसूचित जनजाति स्वरोजगार योजना
अनुसूचित जनजाति स्वरोजगार योजना अंतर्गत 18 से 60 वर्ष तक अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को योजनाओं में अनुदान इकाई लागत का 50% अथवा ₹10000 जो कम हो उपलब्ध कराया जाता है अनुदान हेतु शत प्रतिशत राशि जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग राजस्थान उदयपुर द्वारा उपलब्ध कराई जाती है माडा बिखरी जनजाति क्षेत्र में स्थानीय आवश्यकतानुसार लघु एवं मध्यम ऋण नियमानुसार पात्र लाभार्थियों को बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते हैं
एकलव्य औद्योगिक प्रशिक्षण योजना 2008
राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के युवाओं को जो 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के हैं औद्योगिक व सेवा कार्य में प्रशिक्षण देने हेतु राज्य के समस्त जिला रोजगार कार्यालय द्वारा संचालित योजना का शुभारंभ 30 अगस्त 2008 को किया गया इसमें प्रशिक्षण भत्ता ₹50 प्रतिदिन देय है
सहरियां व कथौड़ी जनजाति के परिवारों के लिए वर्ष में 200 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराने हेतु विशेष योजना 2011-12 ,कथौड़ी समग्र विकास योजना 2004-5, सहरिया समग्र विकास योजना ,आदिवासियों को भूमि विकास एव जीविकापार्जन के स्थाई साधन हेतु केशवबाड़ी योजना क्षेत्र की जनजाति कथौड़ी सहरिया समुदाय के शिक्षा से वंचित बालकों के लिए मां बाड़ी योजना, रेशम कीट पालन कार्यक्रम स्वस्थ परियोजना समन्वित (नारू रोग उन्मूलन योजना) मुख्यमंत्री जनजाति सहरियां क्षेत्र जलधारा कार्यक्रम 2007 जैसे विकास कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं
जनजातियों के विकास के लिए कुछ अन्य योजनाएं
वित्तीय वर्ष 2018 -19 अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग के परिवारों को जिविकोपार्जन का साधन उपलब्ध कराने हेतु भैरों सिंह शेखावत अंत्योदय स्वरोजगार योजना लागू करने की घोषणा की इस योजना में आगामी वर्ष से 50000 परिवारों को ₹50000 तक का ऋण 4% ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना
बजट 2019-20 की घोषणा के अनुसार राजस्थान राज्य में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अल्पसंख्यकों के बीपीएल परिवारों में होने वाले विवाह के वक्त आर्थिक सम्बल के रूप में राज्य में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना चलाई जाएगी जिसके तहत पात्र कन्याओं को ₹21000 की सहायता राशि हथलेवा के रूप में प्रदान की जाएगी इस योजना में आठवीं पास व्यस्क बालिका ही सहायता की पात्र होगी
भामाशाह रोजगार सृजन योजना
8 अप्रैल 2018 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 127 वी जयंती पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए भामाशाह रोजगार सृजन योजना की घोषणा की अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को स्वयं का उद्योग लगाने के लिए अनुदान की दर 4 से बढ़ाकर 8% और ऋण राशि 500000 से बढ़ाकर ₹1000000 कर दी गई
वित्तीय वर्ष 2018-19 में जनजाति उपयोजना क्षेत्र में जो विशेष सुविधाएं सहरिया व कथोड़ी जाति के परिवारों को उपलब्ध हैं वही सुविधाएं अब खैरवा जाति के परिवारों को भी उपलब्ध किए जाने की घोषणा की
राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2010-11 में से निर्णय लिया गया कि बारां जिले की किशनगढ़ व शाहबाद तहसील में निवास करने वाले सहरिया परिवार के व्यक्तियों को महानरेगा के एक वित्तीय वर्ष में 100 की बजाय 200 दिन का काम पाने का कानूनी हक होगा
राजस्थान में जनजातीय विकास हेतु प्रमुख संस्थाएं
वनवासी कल्याण परिषद उदयपुर
आदिवासी लोगों में चेतना का संचार और हर संभव तरीके से सहायता में संलग्न रहती है इनका प्रसिद्ध नारा आदिवासियों को गले लगाओ
जनजाति विकास विभाग 1975
अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के सर्वागीण विकास विकास की विभिन्न योजनाओं का निर्माण समन्वय नियंत्रण एवं निर्देशन जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों के प्रशासन एवं जीवन स्तर को उन्नयन करने के उद्देश्य से उनकी स्थापना की गई
अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम 1989
यह देश में अनुसूचित जनजाति के आर्थिक विकास के लिए प्रयत्नशील सभी एजेंसियों के लिए एक शीर्ष संस्था के रूप में कार्य करती है
राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति आयोग 2001
राजस्थान की अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की समस्याओं के समाधान एवं इन वर्गों के सर्वागीण विकास की योजनाओं को मॉनिटरिंग एवं आवश्यक सुझाव देने हेतु इसका गठन किया गया था
बहुउद्देशीय वृहत समितियां (Lamps) 1974
जनजातियों की अनेक आवश्यकता की आपूर्ति एक ही स्थान पर हो उनकी ऋण व विपणन की आवश्यकताओं की पूर्ति विशेष रूप से इन्हीं समितियों द्वारा की जाती है बहु उद्देश्य समितियों की नीति भी जनजाति उन्मुख होनी चाहिए इसके लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में जनजातियों के प्रतिनिधियों को रखा जाना चाहिए
ट्राईबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया
माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान
उदयपुर में स्थित यह संस्था अपनी स्थापना 2 जनवरी 1964 से जनजाति लोगों के लिए निरंतर प्रयासरत है
राजस्थान जनजाति क्षेत्रीय विकास सहकारी संघ(राजस) प्रताप नगर उदयपुर मार्च 1976
इस संघ की स्थापना 27 मार्च 1976 को आदिवासी क्षेत्रों में उचित मूल्य पर कृषि पड़तो व उपभोक्ता वस्तुओं के वितरण हेतु की गई थी आदिवासियों को बिचौलियों व्यापारियों व साहूकारों के शोषण से मुक्त करना तथा सहकारी संगठनों के माध्यम से जनजाति लोगों की निर्धनता को दूर करना संघ का मुख्य उद्देश्य था
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग
जनजाति विकास के लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान है इसी संदर्भ में पांचवी पंचवर्षीय योजना में राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1975 में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की स्थापना की गई
राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड जयपुर 1980
अनुसूचित जाति जनजाति के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे व्यक्तियों के आर्थिक उत्थान हेतु 28 मार्च 1980 को राजस्थान अनुसूचित जाति जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम लिमिटेड की स्थापना जयपुर में की गई
राजस्थान में अनुसूचित क्षेत्र
अनुसूचित क्षेत्र की अधिसूचना दिनांक 19 मई 2018 के बाद राजस्थान के दक्षिण में 8 जिलों यथा बांसवाड़ा प्रतापगढ़ डूंगरपुर संपूर्ण जिले तथा उदयपुर, सिरोही, राजसमंद, चित्तौड़, पाली की 45 तहसीलों के 5696 गांव को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र बनाया गया है
इस प्रकार राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा हैं उन्हें समय-समय पर रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है और उन्हें फसलों को बेचने की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है उन्हें समय-समय पर अनुदान व ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है
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