सूचना प्रौद्योगिकी का इतिहास शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग और सामाजिक प्रभाव
शैक्षणिक तकनीकी का इतिहास
शैक्षणिक तकनीकी का सर्वप्रथम प्रयोग सन 1926 में अमेरिका के सिडनी प्रेसी ने ओहियो राज्य विश्वविद्यालय में शिक्षण मशीन के निर्माण द्वारा किया यह मशीन एक शिक्षण युक्ति के रूप में जांच हेतु तैयार की गई थी इसके पश्चात सन 1930- 40 के आसपास लूम्सडेन तथा ग्लेसर आदि तकनीकी वक्ताओं ने शिक्षण को यंत्र बनाने का प्रयास किया 1950 में शैक्षणिक तकनीकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य बीएफ स्किन्नर ने जानवरों पर किए गए परीक्षणों का उपयोग शिक्षा में सीखने के लिए किया इंग्लैंड में ब्राइनमर ने शैक्षणिक तकनीकी का प्रयोग किया इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी के अन्तर्गत अनेक तकनीकी उत्पन्न हुई
शैक्षिक तकनीकी का अर्थ
शैक्षणिक प्रौद्योगिकी शब्द आंग्ल भाषा की एजुकेशनल टेक्नोलॉजी का हिंदी रूपांतरण है शैक्षणिक प्रौद्योगिकी शब्द सर्वप्रथम वर्ष 1950 में इंग्लैंड में बाइनभर प्रतिवेदन में प्रयुक्त किया गया था इसके पश्चात 1969 में नेशनल काउंसिल ऑफ टेक्नोलॉजी(NCTE) शब्द के विस्तार के अनुसार मानव अधिगम की क्रिया विनियोग प्रणाली के मूल्यांकन प्रविधियां एवं सहायक सामग्रियों के माध्यम से विकसित कर ही शैक्षणिक तकनीकी है।
सूचना तकनीकी की अवधारणा
वह तकनीकी जिसमें कोई भी विषय जानकारी जो संसार में कहीं भी उपलब्ध है तथा वह किसी भी समय किसी भी व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराई जाती है उसे सूचना प्रौद्योगिकी कहते हैं समाज के चहूमुखी विकास के लिए सूचना एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण साधन है सूचना प्रौद्योगिकी एक विस्तृत अवधारणा है जिसमें सूचना प्रक्रिया और उनके प्रबंध संबंधी सभी क्षेत्र सम्मिलित होते हैं कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और इंटरनेट सूचना प्रणाली के आधारभूत साधन है।
कंप्यूटर सहायता अधिगम (CAL)
कंप्यूटर सहायता अधिगम एक ऐसी प्रणाली है जिसमें एक छात्र आवश्यक अधिगम सामग्री से युक्त कंप्यूटर के माध्यम से अंतः क्रिया करता है इस अधिगम अंतः क्रिया का उद्देश्य होता है कि छात्र अपनी योग्यता और गति के अनुसार व्यक्तिगत रूप से सृल अधिगम करता हुआ अधिगम उद्देश्यों को प्राप्त करता है कंप्यूटर का प्रयोग शिक्षक की शिक्षण प्रक्रिया को प्रशासित करने के लिए भी कर सकते हैं जिससे वह छात्र की योग्यताओं का मापन करता है शिक्षण संबंधी कोर्स को प्रस्तावित करता है इसे ही कंप्यूटर प्रशासित शिक्षण कहते हैं।
कंप्यूटर सहायक अनुदेशन का अभिप्राय
शैक्षणिक तकनीकी में विभिन्न यांत्रिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है अतः शिक्षण एवं अनुदेशन तकनीकी से बहुत अधिक प्रभावित हुए अनुदेशन की विभिन्न विधियां एवं प्रविधियां प्रचलित हुई अनुदेशन तकनीकी को व्यवहार रूप में देने के लिए शिक्षण मशीनों एवं भाषा प्रयोगशालाओं का सहारा लिया जाता है इससे अधिगम तो प्रभावित होता ही है साथ ही छात्र ज्ञान विज्ञान एवं उससे संबंधित उपकरणों के विषय में भी पर्याप्त सूचनाएं प्राप्त करते हैं
भट्ट एवं शर्मा -कंप्यूटर सहायक अनुदेशन को शैक्षणिक उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में विद्यार्थी कंप्यूटर नियंत्रित प्रस्तुतीकरण एवं अनुक्रिया रिकॉर्डिंग उपकरणों के मध्य चलने वाली अंतः क्रिया के रूप में समझा जा सकता है
कंप्यूटर क्या है
कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के कंप्यूटर शब्द से हुई है जिसका अर्थ गणना/ गिनती करना
वास्तव में कंप्यूटर के आविष्कार का मूल उद्देश्य शीघ्र गणना करने वाली मशीन का निर्माण करना था किंतु आज कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाला 90 प्रतिशत से अधिक कार्य गणितीय सांख्यिकी प्रकृति का नहीं होता अतः कंप्यूटर को मात्र एक गणना करने वाली युक्ति के रूप में परिभाषित करना इसके 90% कार्यों की उपेक्षित करना है कंप्यूटर में गणना करने की क्षमता के अतिरिक्त तार्किक शक्ती व मेमोरी का भंडार होता है यह पलक झपकते ही निर्देशों की पालना कर सकता है
कंप्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जिसमें हम अपरिष्कृत आंकड़े देकर प्रोग्राम के नियंत्रण द्वारा उन्हें अर्थ पूर्ण सूचनाओं में परिवर्तित करते हैं।
कंप्यूटर के प्रकार
अनुप्रयोग के आधार पर वर्गीकरण
अनुप्रयोग के आधार पर कंप्यूटर को निम्न प्रकारों से वर्गीकृत किया गया है
एनालॉग कंप्यूटर
यह कंप्यूटर अंकों पर कार्य न करते हुए भौतिक रूप से उपलब्ध डाटा पर ही सीधे कार्य करते हैं भौतिक डाटा ताप दाब लंबाई, विद्युत तथा अन्य द्रव के प्रवाह भौतिक राशियों के रूप में होते हैं इन कंप्यूटरों का उपयोग बहां निरन्तर किया जाता है जहां इन भौतिक राशियों के निरंतर मापन की आवश्यकता होती है जैसे इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज एवं विज्ञान के क्षेत्रों में एनालॉग संकेत सतत होते हैं पेट्रोल पंप पर लगा एनालॉग कंप्यूटर पेट्रोल की मात्रा को लीटर में नापने के साथ-साथ मूल्य की गणना स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है स्पीडोमीटर, घड़ियां, विद्युत मीटर ,थर्मामीटर, वोल्टेज मीटर आदि एनालॉग कंप्यूटर के कुछ उदाहरण है।
डिजिटल कंप्यूटर
यह कंप्यूटर अंकों पर कार्य करते हैं यह उन्हीं डाटा पर कार्य करते हैं जो बाइनरी डिजिट के रूप में होते हैं डिजिटल कंप्यूटर में सभी डाटा व निर्देश डिजिट एक साथ इनपुट किए जाते हैं व कंप्यूटर निर्देशानुसार गणना करके परिणाम आउटपुट के रूप में प्रदान करता है डिजिटल कंप्यूटर में संकेत असतत होते हैं
हाइब्रिड कंप्यूटर
इन कंप्यूटरों में एनालॉग और डिजिटल दोनों कंप्यूटरों के गुणों का समावेश होता है इसलिए यह कंप्यूटर गति प्रवाह आदि संकेतों पर कार्य करते हुए गणना करते हुए तार्किक क्रिया करने का भी कार्य करते हैं इनका उपयोग आउटपुट अंको तथा मापने की किस इकाई के रूप में किया जाता है हाइब्रिड कंप्यूटर का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में खूब हो रहा है जहां यह रोगी के तापमान धड़कन रक्तचाप आदि को एनालॉग सिग्नल के रूप में ग्रहण करता है फिर उसे डिजिटल सिग्नल में बदलकर परिणाम को अंको में प्रदर्शित करता है।
सुपर कंप्यूटर
यह आकार में सबसे बड़े कंप्यूटर होते हैं इनकी संग्रहण क्षमता एवं कार्य करने की गति सर्वाधिक होती है अधिक जटिल एवं उच्च कोटि की शुद्धता वाली गणना सुपर कंप्यूटर से ही संभव है यह कंप्यूटर सबसे महंगे होती हैं इनकी कीमत अरबों रुपए में होती है इन पर एक साथ अनेक व्यक्ति कार्य कर सकते हैं इनका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान संगठनों, मौसम की जानकारी ,अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशालाओं, नाभिकीय संयंत्रों के नियंत्रण, रक्षा संगठनों आदि में किया जाता है परम (PARAM) सी आर ए वाई(CRAY) एनईसी(NEC) सीडीसी(CDC) आदि सुपर कंप्यूटरों के उदाहरण है।
परम(PARAM )सुपर कंप्यूटर का विकास भारत में पुणे स्थित सीडैक(C- DAC) द्वारा किया गया है यह एक भारतीय कंप्यूटर है इसका निर्माण भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है परम के एक से बढ़कर एक अनेक उत्कृष्ट स्वरूप परमPARAM1000, परम अनंत, परम पदम भी विकसित किए गए हैं इन सुपर कंप्यूटरों का उपयोग भारत में नहीं विदेशों में भी हो रहा है और वहां यह दिनोंदिन अधिक लोकप्रिय होते जा रहे हैं इन कंप्यूटरों की कार्य क्षमता अद्वितीय है।
कंप्यूटर की विशेषताएं
गति
शुद्धता
सक्षमता
स्मरण शक्ति
व्यापक उपयोगिता
स्वचालन
संग्रह क्षमता
कंप्यूटर की सीमाएं
सोचने समझने का अभाव
बुद्धि का अभाव
कंप्यूटर वायरस का खतरा
कंप्यूटर में स्वयं त्रुटि सुधार क्षमता का अभाव
कंप्यूटर तंत्र की इकाइयां
कंप्यूटर तंत्र मुख्य इकाइयों से मिलकर बना है
सिस्टम यूनिट
यह कंप्यूटर का मुख्य भाग है जिसमें केंद्रीय संसाधन इकाई अथवा सीपीयू होता है सिस्टम यूनिट बांक्स होता है जिसमें सीपीयू के अलावा कंप्यूटर की कई अन्य युक्तियां तथा परिपथ लगे होते हैं जो एक मुख्य परिपथ बोर्ड या मदर बोर्ड पर संयोजित रहते हैं इस प्रकार कंप्यूटर का अधिकतर परिपथ सिस्टम यूनिट में होता है सीपीयू कंप्यूटर का दिमाग कहलाता है
सीपीयू को तीन भागों में बांटा जा सकता है
नियंत्रक इकाई
सीपीयू में कंट्रोल यूनिट की बहुत अहम भूमिका होती है यह कंप्यूटर की समस्त आंतरिक क्रियाओं का संचालन करती है यह इनपुट आउटपुट क्रियाओं को नियंत्रित करती है यह मेमोरी से प्रोग्राम पढ़ती है और उनकी व्याख्या करती है तथा A.L.U ल मैमोरी में वांछित क्रिया संपन्न करने के लिए निर्देश देती है।
अंकगणितीय व तार्किक इकाई A.L.U
यह यूनिट अंकगणितीय क्रियाएं तथा तार्किक क्रियाएं करती है गणितीय क्रियाओं में जोड़ बाकी गुणा भाग सम्मिलित है
मैमोरी या संग्रहण इकाई
इन्हे मुख्यतः दो भागों में बांटा गया है मुख्य मैमोरी व ब्राह्म मेमोरी
मुख्य मैमोरी को दो भागों में बांटा गया
अस्थाई मेमोरीअथवा रेंडम एक्सेस मेमोरी (RAM)
यह सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाली मेमोरी है कीबोर्ड अथवा अन्य किसी इनपुट डिवाइस इनपुट किया डाटा पहले RAM में ही सम्मिलित होता है CPU द्वारा वहां से संगठित डाटा को फिर से प्राप्त कर लिया जाता है यह डाटा कभी भी पढ़ा व पुनः लिखा जा सकता है
स्थाई मेमोरी अथवा रीड ओनली मेमोरी ROM
इसमें केवल पढ़ा जा सकता है यह मेमोरी स्थायी होती है कंप्यूटर बंद होने अथवा विद्युत आपूर्ति बंद होने पर यह नष्ट नहीं होती है।
इनपुट यूनिट
कंप्यूटर में डाटा का प्रोग्राम विवरणों की प्रविष्टि के लिए प्रयुक्त की जाने वाली युक्तियां इनपुट यूनिट कहलाती हैं इसके कुछ उदाहरण जैसे कीबोर्ड, माउस, जॉय स्टिक, लाइट पेन, ऑप्टिकल कैरक्टर रीडर ,मैग्नेटिक इंक करेक्टर रीडर, ऑप्टिकल मार्क रीडर(OMR) स्मार्ट कार्ड रीडर ,बारकोड रीडर(BCR) वेब कैमरा ,माइक्रोफोन, टच स्क्रीन ,बायोमैट्रिक सेंसर आदि इनपुट उपकरण है!
आउटपुट इकाइयां
कंप्यूटर से प्राप्त निर्देशों को लिखने वह मानवीय भाषा में प्रस्तुत करने की युक्ति आउटपुट यूनिट कहलाते हैं कुछ आउटपुट यूनिट निम्नलिखित है
मॉनीटर
सी आर टी मॉनीटर
एफ पी डी मॉनीटर
प्रिंटर
प्रिंटर मुख्य दो प्रकार के होते हैं
(A)इंपैक्ट प्रिंटर
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर
डेजी व्हील प्रिंटर
चैन प्रिंटर
बैंड प्रिंटर
ड्रम प्रिंटर
(B)नॉन इंपैक्ट प्रिंटर
तापीय प्रिंटर
इंक जेट प्रिंटर
लेसर प्रिंटर
सॉफ्टवेयर
सॉफ्टवेयर का उपयोग कंप्यूटर तथा उपयोगकर्ता के मध्य की क्रियाओं को संचालित करने के लिए किया जाता है तथा इसका उपयोग किसी कार्य को कंप्यूटराइज्ड करने के लिए भी किया जाता है यह तीन प्रकार के होते हैं
सिस्टम सॉफ्टवेयर
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर
वायरस
वायरस एक विशेष प्रकार के प्रोग्राम है जो वैसे तो अन्य सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों की तरह ही होते हैं परंतु यह प्रोग्राम कंप्यूटर व उसने भंडारित आंकड़ों को नुकसान पहुंचाने के लिए होते हैं यह वायरस कंप्यूटर की अन्य फाइलों के साथ मिलकर कंप्यूटर की सामान्य कार्य को बाधित करते हैं इन वायरस प्रोग्रामों की विशेषता यह होती है कि यह स्वयं ही अपनी प्रतिलिपि तैयार कर सकते हैं तथा साधारणतया यह किसी अन्य फाइल के साथ जुड़कर संग्रहित होते हैं अर्थात यदि हम इन वायरस प्रोग्रामों को फाइलों में ढूंढे तो यह नहीं मिलेंगे।
एंटीवायरस प्रोग्राम
जिस प्रकार वायरस एक प्रोग्राम है और इनकी एक विशेष प्रकार के कार्य करने की क्षमता है उसी प्रकार बाजार में से प्रोग्राम भी उपलब्ध है जो इन वायरस प्रोग्रामों की उपस्थिति हो जा सकते हैं और इन्हें कंप्यूटर में से हटा सकते हैं परंतु यह आवश्यक नहीं कि कोई भी एंटीवायरस प्रोग्राम सभी प्रकार के वायरसों को जांच कर उसे हटा सकें।
कंप्यूटर नेटवर्क
कंप्यूटर नेटवर्क को मुख्य रूप से तीन प्रकार से विभाजित किया जाता है
लोकल एरिया नेटवर्क (Lan)
यह नेटवर्क एक भवन के अंदर या कुछ किलोमीटर क्षेत्र में फैला होता है यह किसी कार्यालय या कारखाने के विभिन्न कंप्यूटरों द्वारा सूचना का आदान प्रदान के काम में लिया जाता है लेन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी गति है लेन काफी लचिला नेटवर्क है इसमें बगैर सारे नेटवर्क को विघ्न पहुंचाए कंप्यूटर से जुड़ा हुआ हटाया जा सकता है
मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (Man)
मेट्रोपॉलिटन का मतलब है शहर यह नेटवर्क बहुत बड़े क्षेत्र में फैला होता है जैसे शहर अथवा कस्बा मैंन लैन ही बड़ा स्वरूप है यह 50 किलोमीटर तक के क्षेत्र में भी फैला हो सकता है यह एक ही शहर की विभिन्न शाखाओं और घरों को आपस में जोड़ता है
वाइड एरिया नेटवर्क (WAN)
दूसरे नेटवर्को की तुलना में वेन बहुत बड़े क्षेत्र में काम करता है यह संपूर्ण देश अथवा प्रायद्वीप में भी फैला हो सकता है इनकी डाटा ट्रांसमिशन गति दूसरे नेटवर्को की तुलना में धीमी होती है
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के सामाजिक प्रभाव
सूचना क्रांति से समाज में नए क्षेत्र प्रभावित हुए हैं धर्म शिक्षा स्वास्थ्य व्यापार प्रशासन सरकार उद्योग व अनुसंधान विकास संगठन आदि क्षेत्रों में
आईसीटी के सामाजिक प्रभाव
1=निजता
इसे गोपनीयता भी कहते हैं निजता से तात्पर्य है अधिकृत व्यक्ति द्वारा ही डेटा का उपयोग करने के अधिकार है
2=अधिप्रमाणन
अधिप्रमाणन से अभिप्राय है कि जिस व्यक्ति से आप संपर्क कर रहे हैं उससे अपने बारे में कोई भी सूचना देने या उसके साथ व्यापारिक सौदा तय करने से पहले उसके संबंध में सभी आवश्यक जानकारी प्राप्त कर ले।
3=सत्यनिष्ठा
सत्य निष्ठा से अभिप्राय है कि जो डाटा रिसीवर तक पहुंचता है वह उसी रूप में होना चाहिए जिस रूप में उसे भेजा गया है
4=साहित्यिक चोरी
किसी लेखक द्वारा किसी दूसरे की भाषा विचार शैली आदि की नकल करते हुए अपने मुल कृति के रूप में प्रकाशन करना साहित्यिक चोरी कहलाती है साहित्य चोरी वह मानी जाती है जब हम किसी के द्वारा लिखे गए साहित्य को बिना उसका संदर्भ दिए अपने नाम से प्रकाशित करवाते हैं इस प्रकार के किया गया साहित्य का नैतिक माना जाता है और इसे साहित्यिक चोरी कहा जाता है।
5=बौद्धिक संपदा अधिकार
बौद्धिक संपदा का अधिकार किसी व्यक्ति द्वारा विज्ञान प्रौद्योगिकी साहित्य अथवा कला के क्षेत्र में किए गए मौलिक कार्य करने के फलस्वरूप प्राप्त कानूनी अधिकारों से है
बौद्धिक संपदा अधिकार मौलिक तथा उत्पादक कार्य करने के लिए प्रेरित करता है तथा नकल व चोरी करने की प्रवृत्ति को रोकता है
बौद्धिक संपदा अधिकार के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण हेतु संयुक्त राष्ट्र द्वारा जिनेवा में 1967 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना की इसका मूल कार्य विश्वव्यापी बौद्धिक संपदा का संरक्षण करना
विश्व के 184 देश बौद्धिक संपदा संगठन के सदस्य हैं यह संगठन 25 अंतर्राष्ट्रीय संधियों द्वारा संचालित होता है
सन 1995 में विश्व विश्व व्यापार संगठन बना जिसमें टिप्स TRIPS एक संगठन का एक समझौता है इसमें 7 तरह के बौद्धिक संपदा अधिकार के बारे में चर्चा की गई है भारत ने 8 अधिनियम के अंदर बौद्धिक क्षमता के अधिकार सुरक्षित किए है
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000
सूचना प्रौद्योगिकी विधेयक 9 जनवरी 2000 को संसद में पेश किया गया मई 2000 में संसद द्वारा पारित हुआ तथा 9 जून 2000 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के पश्चात इस विधेयक ने अधिनियम का रूप धारण किया गया इसे 17 अक्टूबर सन 2000 को जम्मू कश्मीर राज्य सहित संपूर्ण भारत में लागू कर दिया गया सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 में कुल 13 अध्याय तथा 94 धाराएं हैं
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 अभी हाल में चर्चित थी यह आईटी के माध्यम से अश्लीलता का पोषण करने से संबंधित है धारा 66 किसी सूचनाएं साइट को हैक करने से संबंधित है धारा 49 में साइबर अपीलीय अधिकरण की सूचनाएं दी गई है।
सूचना प्रौद्योगिकी में रोजगार
सूचना प्रौद्योगिकी में कउपलब्ध विकल्पों में से रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं जैसे ग्राफिक डिजाइनर, वेब पेज डिजाइनर, एनिमेटर, डेस्कटॉप पब्लिशिंग ,नेटवर्कमैनेजर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, वेब डेवलपर, वेब प्रोग्रामर, वेबमास्टर, कंप्यूटर इंजीनियर ,कंप्यूटर ऑपरेटर, सिस्टम एनालिसिस, प्रोग्रामर नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन अनेक प्रकार की रोजगार सूचना प्रौद्योगिकी में है
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