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ब्रिटिश U. K सविधान संसदीय व्यवस्था संगठन शक्ति और कार्य

ब्रिटेन की संसदीय व्यवस्था संगठन शक्ति और कार्य

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ब्रिटिश संसद की संरचना कार्यप्रणाली और विशेषताएं


डायसी
वैधानिक दृष्टि से संसद की प्रभुसत्ता हमारी राजनीतिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषता है


जे ए आर मैरियट
किसी दृष्टि से भी देखा जाए ब्रिटिश विधानमंडल विश्व में सबसे अधिक मनोरंजक और महत्वपूर्ण है इससे प्राचीन कोई विधानमंडल नहीं है इसका अधिकार क्षेत्र सबसे अधिक विस्तृत है और इसकी शक्ति असीमित हैं यह धार्मिक तथा अलौकिक मामलों में कानून निर्माण की सर्वोच्च सता है


ब्रिटिश संसद की संरचना

ब्रिटिश संसद का अर्थ सम्राट सहित लोक सदन और लॉर्ड सभा है लोक सदन ब्रिटिश संसद का प्रथम और लॉर्ड सभा द्वित्तीय सदन है ऐतिहासिक दृष्टि से लॉर्ड सभा इन दोनों सदनों में पुरानी है।


लॉर्ड सभा

लॉर्ड सभा को इंग्लैंड की लोकतंत्रात्मक प्रणाली में एक कुलीन तंत्र यह संस्था कहा जाता है क्योंकि इसकी सदस्यता का प्रमुख आधार वंश गत है 19वीं सदी के अंत तक ब्रिटिश राजनीति में लॉर्ड सभा को लोक सदन से अधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था किंतु लॉर्ड सभा  महत्वपूर्ण सदन हो गया


लॉर्ड सभा की संरचना


लॉर्ड सभा को इंग्लैंड की लोकतंत्रात्मक प्रणाली में कुलीन तंत्र संस्था कहा जाता है लोकसभा की सदस्य संख्या निश्चित नहीं है क्योंकि इसमें सम्राट प्रधानमंत्री की सिफारिश पर जितने नवीन सदस्य आवश्यक समझे नियुक्त कर सकता है अवकाश प्राप्त प्रधानमंत्री एवं लोक सदन के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष अवकाश प्राप्त सेनापति और वायसराय साहित्य विज्ञान व कला में प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्तियों को सामान्यता प्रधानमंत्री की सिफारिश पर सम्राट द्वारा सदस्यता प्रदान की जाती है वर्तमान में लोकसभा की कुल सदस्य संख्या 743 है संविधान सुधार कानून 2005 के बाद लोकसभा में केवल तीन प्रकार के सदस्य होते हैं जो निम्न है

, आध्यात्मिक लॉर्ड
आध्यात्मिक लॉर्ड की संख्या 26 है और यह निश्चित है कि इनमें से एक कैंटरबरी का आर्क बिशप, एक यार्क का आर्क बिशप, पर एक लंदन का आर्क बिशप, एक डरहम का विशप और एक विंन्चेस्टर का विशप अवश्य रुप से शामिल होंगे

वंशगत या पैतृक पीयर
दिसंबर 1999 में पारित अधिनियम के अनुसार वंश गत पीयरो की तीन श्रेणियां हैं
आजीवन पीयर
1958 की आजीवन पीयरेज ऐक्ट में प्रधानमंत्री के परामर्श पर आजीवन पीयर नियुक्त करने की शक्ति प्रदान की एक्ट में आजीवन पीयरो की संख्या निर्धारित नहीं है वर्तमान में आजीवन पीयरो की संख्या 561 है जिसमें से 121 महिलाएं हैं।




लॉर्ड सभा का स्पीकर



2005 ईस्वी तक यह व्यवस्था थी कि प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त लॉर्ड चांसलर लॉर्ड सभा की अध्यक्षता करता था लेकिन कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट 2005 के द्वारा लॉर्ड चांसलर की स्थिति में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए उसमें एक परिवर्तन यह है कि अब लॉर्ड चांसलर लॉर्ड सभा की अध्यक्षता नहीं करता लॉर्ड सभा की अध्यक्षता के लिए लॉर्ड सभा के स्पीकर पद की व्यवस्था की गई है संवैधानिक सुधार कानून 2005 ईस्वी के अनुसार लॉर्डसभा के स्पीकर पद से संबंधित समस्त व्यवस्था लॉर्ड सभा द्वारा ही निर्धारित की जाएगी।
इस व्यवस्था के अनुसार लॉर्ड सभा के द्वारा 2006 इसी में लॉर्ड सभा की अध्यक्षता के लिए लॉर्ड सभा के स्पीकर का निर्वाचन किया गया इस प्रकार लॉर्डसभा में अब लोक सदन के समान ही निर्वाचित अध्यक्ष हैं।


वर्तमान में लॉर्डसभा के कार्य व शक्तियां

लॉर्डसभा की शक्तियां सदैव की परिवर्तित होती रहती हैं 18 वीं सदी के अंत तक लॉर्ड सभा को लोक सदन की अपेक्षा अधिक शक्तियां प्राप्त थी फिर उनकी शक्तियां लोकसदन के बराबर हुई सन 1911 तथा 1949 के संसदीय अधिनियम पारित होने के बाद लॉर्ड सभा लोक सदन की तुलना में बहुत अधिक शक्तिहीन हो गई शक्ति की दृष्टि से वर्तमान लॉर्डसभा को 1911 के पूर्व की लॉर्डसभा की छाया मात्र ही कहा जाता है

अॉग व जिंक- आज लॉर्ड सभा दूसरा सदन नहीं वरन दूसरे दर्जे का सदन हो गया है।



विधायी शक्तियां
वित्त विधेयक के अतिरिक्त अन्य सभी विधेयक ब्रिटिश संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किए जा सकते हैं अनेक अवसरों पर अवित्तीय विधेयक लॉर्डसभा में पहले प्रस्तावित किए गए और इस सभा ने उन पर बड़ा उपयोगी कार्य किया किंतु विधयकों के संबंध में अंतिम निर्णय की शक्ति लोक सदन कोई प्राप्त है
लॉर्ड सभा अवित्तीय विधेयक को एक बार अस्वीकार कर उसे 1 वर्ष के लिए कानून बनाने से रोक सकती है यदि लॉर्डसभा द्वारा स्वीकृत विधेयक को लोकसदन द्वारा पारित कर दें और इस बीच 1 वर्ष का समय बीत गया हो तो विधेयक राजा की स्वीकृति के पश्चात कानून बन जाता है चाहे लॉर्डसभा ने उसे स्वीकार किया हो या ना किया हो 1 बरस का यह समय विधेयक को सदन में पहले पारित होने के दूसरे वाचन की तिथि से लेकर उसकी दूसरी बार पारित होने के तीसरे वाचन की तिथि पर लगाया जाता है।
इस प्रकार लॉर्डसभा विधेयकों को प्रस्तावित करने व एक वर्ष की अवधि के लिए उसे रोके रखने और अपने विचारों के आधार पर सरकार और जनता को प्रभावित करने का कार्य करती है।

वित्तीय शक्तियां
वित्तीय क्षेत्र में लॉर्डसभा की स्थिति लोक सदन की तुलना में बहुत ही निर्बल है वित्तीय विधायक न तो पहले लॉर्डसभा में प्रस्तावित किए जाते हैं और उन्हें न लॉर्डसभा विचार करने की प्रक्रिया में उन्हें अनिश्चितकाल तक रोके रख सकती है यह विधेयक को केवल 1 माह तक रोके रखने का कार्य कर सकती है वित्तीय विधेयकों के संबंध में लॉर्डसभा सुझाव दे सकती है लेकिन इन सुझावों को स्वीकार करना लोक सदन के विवेक पर निर्भर है।


कार्यपालिका से संबंधित शक्तियां

ब्रिटिश मंत्रिमंडल के लगभग 4 सदस्य लॉर्ड सभा में से लिए जाते हैं लॉर्डसभा का अध्यक्ष जिसे  लॉर्ड चांसलर भी कहते हैं आवश्यक रूप से  मंत्रिमंडल का सदस्य होता है लोक सदन की भाति लॉर्डसभा को भी अधिकार प्राप्त है कि मंत्रिमंडल के सदस्यों से प्रश्न पूछ कर प्रशासनिक विषयों से संबंध में सूचनाएं प्राप्त कर सकें वे शासन की नीतियों व कार्यों पर खुला वाद विवाद और आलोचना कर सकते हैं।


न्यायिक शक्तियां

लॉर्ड सभा को न केवल व्यवस्थापन वरन न्याय के क्षेत्र में भी कुछ शक्तियां प्राप्त हैं न्याय के क्षेत्र में उनकी शक्तियां निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है इनके द्वारा ग्रेट ब्रिटेन व उत्तरी आयरलैंड के लिए अपील के उच्चतम न्यायालय के रूप में कार्य किया जाता है लॉर्डसभा जब अपील के न्यायालय के रूप में कार्य करती है तब उनके सब संसद सदस्य कार्रवाई में भाग नहीं लेते हुए उस समय 9 कानूनी लॉर्ड व अन्य न्यायिक विशेषज्ञ लॉर्ड चांसलर की अध्यक्षता में न्याय समिति के रूप में कार्य करते हैं लॉर्ड सभा का निर्णय अंतिम होता है जिसे संसद कानून द्वारा ही बदल सकती है इसमें कोई  परिवर्तन न्यायालय नहीं कर सकता।

लॉर्ड सभा की आलोचना

वंशानुगत आधार पर संगठित होने के कारण बीसवीं सदी के प्रारंभ में ही लॉर्डसभा निरंतर आलोचना की पात्र रही है हालांकि आज लॉर्ड सभा में वंशगत सदस्यों की संख्या 90% से घटकर लगभग 20% ही रह गई है

जे आर क्लाइंन्स-लॉर्ड सभा एक ऐसी संस्था है जिसको ठीक से सुधारा नहीं जा सकता है यदि उसे सुधारा नहीं जा सकता तो उसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए

कार्टर-लॉर्ड सभा केवल संपत्ति और विशेषाधिकार का प्रतिनिधि ही नहीं करती वरन यह तो वास्तव में संपत्ति व अधिकारों का गढ़ है।

चर्चिल-लॉर्ड सभा  अप्रतिनिधिक, अनुतरदाई एवं अनुपस्थित संस्था है।

लॉर्डसभा की उपयोगिता

लोक सदन की स्वेच्छाचारिता पर अंकुश

लोक सदन द्वारा पारित विधेयकों पर पुनः विचार

सभी वर्गों की प्रतिनिधि संस्था और योग्यता का भंडार

व्यस्थापन कार्य में सहायक

जनमत को प्रभावित करने का साधन

फाइनर-यह सार्वजनिक वाद विवाद के लिए विश्व के विशिष्ट क्षेत्रों में से एक है क्योंकि इससे विदेश नीति या प्रशासन पर किसी भी स्थिति में वाद-विवाद करने का अधिकार है इसकी सदस्यता का एक बड़ा भाग ज्ञान और राजनीति सामाजिक व्यवसायिक अनुभवों की दृष्टि से अपेक्षाकृत श्रेष्ठ है।



लोकसदन (HOUSE OF COMMONS)


New man-संसद की प्रभुसत्ता लोक सदन में निवास करती है
ब्रिटिश शासन व्यवस्था के अंतर्गत संसद की प्रभुसत्ता का जो उल्लेख किया गया है आज उसका तात्पर्य लोक सदन व लॉर्ड सभा की प्रभुसता से नहीं वरन लोक सदन की प्रभुसत्ता से है



लोक सदन की रचना


लोक सदन में सदस्य संख्या वर्तमान समय में 646 है इसका विभाजन विभिन्न क्षेत्रों के आधार पर किया गया है ब्रिटिश 529 स्कॉटलैंड 59 वेल्स 40 उत्तरी आयरलैंड 18।
दो दशक से स्कॉटलैंड के प्रतिनिधियों की संख्या 72 थी अब यह घटाकर 59 कर दी गई है शेष क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व यथावत है
लोक सदन के समस्त सदस्य व्यस्क मताधिकार व प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर चुने जाते हैं पहले ब्रिटेन में 21 वर्ष की आयु प्राप्त व्यक्ति को व्यस्क  समझा जाता था किंतु 1969 के अधिनियम के अनुसार 18 वर्ष की आयु प्राप्त प्रत्येक नर नारी को मताधिकार प्रदान कर दिया गया है।
1832 इसे ब्रिटेन में गुप्त मतदान की प्रणाली को अपना लिया गया वर्तमान समय में लोक सदन के सदस्यों का चुनाव साधारण बहुमत की प्रणाली के आधार पर होता है जिसके अंतर्गत प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में वही उम्मीदवार चुना जाता है जिसे सर्वाधिक मत प्राप्त किए हो चाहे उसे समस्त मतदाताओं का बहुमत प्राप्त हो या न हो


लोक सदन का कार्यकाल


लोक सदन का कार्यकाल 5 वर्ष है किंतु आवश्यकतानुसार इस कार्यकाल में वर्द्वि की जा सकती है जैसा की प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध के काल में किया गया। प्रधानमंत्री की सिफारिश पर सम्राट के द्वारा लोक सदन को 5 वर्ष की अवधि व्यतीत होने से पूर्व भी विघटित किया जा सकता है।

लोक सदन का अध्यक्ष

इंग्लैंड में लोक सदन के अध्यक्ष को स्पीकर कहा जाता है प्रारंभ में अध्यक्ष द्वारा लोक सदन के विचार सम्राट के सम्मुख प्रस्तुत करने का कार्य किया जाता था लेकिन राजतंत्र के स्थान पर लोकतंत्र की स्थापना के बाद अध्यक्ष पद पर आसीन यह पदाधिकारी बहुत ही कम बोलता है ब्रिटेन में स्पीकर के पद का ऐतिहासिक महत्व है थॉमस हंगरफोर्ड ब्रिटेन के प्रथम स्पीकर बने अध्यक्ष को संसद द्वारा निर्धारित वार्षिक वेतन व निवास के लिए वेस्टमिंस्टर में घर मिलता है पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उसे वार्षिक पेंशन दी जाती है लोक सदन के अध्यक्ष का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण उनकी निर्दलीयता और निष्पक्षता है और इसी कारण उनका चुनाव सर्वसम्मति से होता है एक बार अध्यक्ष पद पर कार्य कर चुकने के बाद यह व्यक्ति जब तक चाहे तब तक पुनः निर्वाचित हो सकता है इस संबंध में यह परंपरा है कि महानिर्वाचन के अवसर पर अध्यक्ष के उनके निर्वाचन क्षेत्र से निर्विरोध ही लोक सदन का सदस्य निर्वाचित किया जाता है।



लोक सदन के अध्यक्ष की शक्तियां और कार्य

एस गॉर्डन-अध्यक्ष का पद विश्व में सर्वाधिक सम्मान पद गौरवपूर्ण और कठिन कर्तव्य वाले पदों में से एक है

लोक सदन का सभापतित्व

वाद विवाद का संचालन

वाद विवाद को सीमित करना

सदन में व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखना

नियमों की व्याख्या करना

वित्त विधेयक को प्रमाणीकरण करने का अधिकार

निर्णायक मत देने का अधिकार

सदन की विशेषाधिकारों की रक्षा करना

सदन का मुख्य प्रवक्ता

डॉक्टर जेनिंग्स-अध्यक्ष के सम्मान और आदर को उनकी शक्ति व कार्यों को गिना कर प्रकट करना संभव नहीं है।



लोक सदन की शक्तियां व कार्य

विधायी शक्तियां

संसद की संप्रभुता की धारणा के अनुसार ब्रिटिश संसद किसी भी कानून का निर्माण कर सकती है उसे रद्द कर सकती है या संशोधित कर सकती है 1911 और 1950 के संसदीय अधिनियम के अनुसार विधेयक के संबंध में अंतिम शक्ति लोक सदन को ही प्राप्त है लोक सदन द्वारा जब किसी विधेयक को पारित कर लॉर्ड सभा में भेजा जाता है तो लॉर्ड सभा उसे अस्वीकार कर देती है तो लोक सदन द्वारा यह विधेयक दोबारा पारित किया जाता है दूसरे वाचन की तिथि व दूसरी बार विधायक के तीसरे वाचन की तिथि में 1 वर्ष का समय हो चुका है तो लॉर्डसभा द्वारा पारित किए बिना ही  दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाता है इस प्रकार विधेयक के संबंध में अंतिम शक्ति लोक सदन के पास ही है।


वित्तीय शक्तियां

वित्तीय क्षेत्र में लोक सदन की स्थिति सुदृढ़ है 1911 के संसदीय अधिनियम में वित्त विधेयक की परिभाषा की गई है और लोक सदन का अध्यक्ष जिसे वित्त विधेयक प्रमाणित करें वित्त विधेयक समझा जाएगा वित्त विधेयक लोकसदन में ही प्रस्तावित किया जा सकता है लॉर्ड सभा में नहीं। लोक सदन द्वारा पारित किए जाने के बाद लॉर्ड सभा द्वारा एक माह की अवधि तक वित्त विधेयक पर विचार करने का कार्य किया जाता है यह समय बीतने के बाद वित्त विधेयक या बजट दोनों सदनों द्वारा उसी रूप में पारित समझे जाते हैं जिस रूप में लोक सदन ने पारित किया है


कार्यपालिका शक्तियां

इंग्लैंड में संसदात्मक प्रजातंत्र है और ब्रिटिश कार्य कालिका पर पूर्ण नियंत्रण लोक सदन का ही है कार्यपालिका लोक सदन के प्रति उत्तरदाई होती है लोक सदन के सदस्यों मंत्रियों से प्रशन व पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं वे उनके विरुद्ध काम रोको प्रस्ताव या निंदा प्रस्ताव पारित कर सकते हैं इन सबके अतिरिक्त अविश्वास प्रस्ताव पारित कर मंत्रिमंडल को हटा भी सकते हैं लोकसभा के सदस्य मंत्रिमंडल से प्रश्न व पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं किंतु अविश्वास प्रस्ताव पारित कर मंत्रिमंडल को हटा नहीं सकते यह कार्य केवल लोक सदन के द्वारा ही किया जाता है।


लोक सदन का मूल्यांकन


विश्व के लगभग सभी प्रजातंत्र में कार्यपालिका अधिकाधिक शक्तिशाली होती है और व्यवस्थापिका निर्बलता को प्राप्त हो रही है ब्रिटिश में भी वास्तविक स्थिति ऐसी है जहां पर वह स्थापन और वित्त का संबंध है ब्रिटिश लोक सदन का इन क्षेत्रों में नियंत्रण बहुत अधिक है कैबिनेट अपने बहुमत के बल पर लोक सदन के समर्थन व सहयोग से कानून का निर्माण करती है वित्त का प्रबंध करती है लोक सदन का समर्थन व सहयोग बहुत सदस्यों के विश्वास के आधार पर नहीं वरन कैबिनेट के द्वारा अपने दल के सदस्यों पर दबाव का प्रयोग करके किया जाता है



न्यूमैन-नीति का निर्धारण तो पूर्णतः मंत्रिमंडल ही करता है यह  हो सकता है और प्राय होता भी है कि उनकी घोषणा सदन द्वारा नहीं लेकिन सदन में कर दी जाए।


विंस्टन चर्चिल-लोक सदन स्वतंत्रता की रक्षा का दुर्ग है


जैनिग्ज-लोक सदन आलोचना का मंच व लोकमत का केंद्र है



न्यूमैन-संयुक्त राज्य अमेरिका में राजनीतिक नेतृत्व प्राप्त करने के अपने अनेक मार्ग हैं परंतु ब्रिटेन में एक ही मार्ग लोक सदन है

चर्चिल- मैं लोक सदन का शिशु हूं


इस प्रकार लोक सदन का इस दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है कि यह भावी राजनीतिज्ञों के चयन और प्रशिक्षण का स्थान है यदि कोई व्यक्ति ब्रिटेन में सार्वजनिक क्षेत्र में ख्याति प्राप्त करना चाहता है तो उसे लोक सदन में अपनी योग्यता प्रदर्शित करनी होगी यहा न केवल किसी के विचार नवीन दृष्टिकोण व नेतृत्व के गुणों को देखा जाता है और उन्हें मान्यता प्रदान की जाती है वरन उनके धैर्य और सहनशीलता की भी परीक्षा होती है लोक सदन में ही भावी नेता और मंत्री तैयार होते हैं वर्तमान समय में लोक सदन के कार्य बहुत अधिक बढ़ गए हैं सभी कार्यों को सदन के द्वारा उचित रूप से तभी संपादित किया जा सकता है जबकि सदन के समक्ष समय का अधिकाधिक श्रेष्ठ रूप से उपयोग किया जाए वेजहॉट के अनुसार लोक सदन का एक महत्वपूर्ण कार्य शैक्षणिक है संसद जनसाधारण की राजनीतिक शिक्षा और लोक सदन में हुए वाद-विवाद जनता की राजनीतिक शिक्षा के महत्वपूर्ण साधन है देश के महानतम राजनीतिज्ञ व योग्यता व्यक्ति लोक सदन नेतृत्व कर आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर विचार विनिमय करते हैं यह वाद विवाद समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं जनमत को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं समाज का कोई भी वर्ग इनके प्रभाव से अछूता नहीं रहता।


समापन (क्लोजर)

वर्तमान समय में लोक सदन के कार्य बहुत अधिक बढ़ गए हैं सभी कार्यों को सदन के द्वारा उचित रूप में तभी संपादित किया जा सकता है जबकि सदन के समस्त समय का पूरा उपयोग हो। भूतकाल में अनेक बार सदन के अंतर्गत अनावश्यक वाद विवाद के समय नष्ट किया गया उदाहरण के लिए 1881 में आयरलैंड के प्रशन पर सदन में लगातार 41 घंटे वाद विवाद हुआ वर्तमान समय में सदन का समय नष्ट करने के लिए किए जाने वाले इस अनावश्यक वाद-विवाद को रोक लगाना अधिक आवश्यक हो गया है वाद विवाद को समाप्त करने की जिस प्रक्रिया को अपनाया जाता है उसी को समापन कहते हैं


 समापन के प्रमुख के तीन रूप होते हैं साधारण समापन, गिलोटिन और कंगारू समापन।


विधि का शासन ब्रिटिश शासन और जीवन का मूल आधार है इसका अर्थ है कि कानून के समक्ष सभी व्यक्ति समान है विधि का शासन और संसद की प्रभुसत्ता परस्पर आश्रित तथा संबंधित है और विधि का शासन संसद की प्रभुसत्ता पर एक प्रतिबंध भी है यदि ब्रिटिश संसद विधि के शासन का उल्लंघन करती है तो लगभग वैसी ही गंभीर जन प्रतिक्रिया होगी जैसी गंभीर प्रतिक्रिया किसी देश के शासन द्वारा मौलिक अधिकारों के उल्लंघन करने पर की जाती है।


ब्रिटिश संसद किसी भी कानून में परिवर्तन कर सकती है ब्रिटेन का संविधान  एक लचिला संविधान है अतः यहां साधारण विधि विशिष्ट विधि में कोई अंतर नहीं है ब्रिटिश संसद किसी भी कानून में अपनी इच्छा अनुसार कोई भी परिवर्तन कर सकती है अथवा उसे रद्द कर सकती है विशेष बात यह है कि चाहे साधारण विधि हो या संवैधानिक विधि ब्रिटिश संसदीय कार्य अपने साधारण बहुमत से ही कर सकती है ब्रिटिश संसद जिस प्रक्रिया के आधार पर जंगली चिड़िया  की रक्षा के लिए कानून बना सकती है कानूनी दृष्टि से बिल्कुल उसी प्रक्रिया के आधार पर सम्राट ,प्रधानमंत्री पद तथा संसद के किसी संवैधानिक संस्था में भी परिवर्तन कर सकती है।


न्यायिक पुनर्विलोकन की व्यवस्था का अभाव_


अमेरिका भारत आदि जिन देशों में न्यायिक पुनर्विलोकन की व्यवस्था है वहां संसद की प्रभुसत्ता का प्रश्न ही नहीं होता लेकिन ब्रिटेन में न्यायिक पुनर्विलोकन की व्यवस्था नहीं है अतः ब्रिटिश न्यायालय संसद द्वारा निर्मित किसी भी कानून उनके किसी भाग को न तो अवैध घोषित कर सकते हैं उन्हें  न लागू करने से इंकार कर सकते हैं संसद द्वारा निर्मित प्रत्येक कानून ब्रिटिश न्यायालय सहित ब्रिटेन की प्रत्येक सता के लिए अनिवार्य रूप से मान्य है इस प्रकार ब्रिटेन में संसद की प्रभुसत्ता की स्थिति संविधान व शासन के कुछ विशेष लक्षणों के कारण है यह लक्षण है लचीला संविधान ,एकात्मक शासन तथा इन सबके अतिरिक्त न्यायिक पुनर्विलोकन की व्यवस्था का अभाव ब्रिटिश संसद द्वारा अब तक निर्मित कानूनों के आधार पर संसद की संप्रभुता स्पष्ट होती है।

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