भारत में अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास: प्रक्रिया,कब, महत्व और क्या होता है
भारत में अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion) का इतिहास
विश्व में पहला अविश्वास प्रस्ताव( No confidence motion)
विश्व में पहला अविश्वास प्रस्ताव इंग्लैंड में लाया गया जब 1742 में रोबर्ट वाल्पोल की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हुआ। भारत में अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया ब्रिटेन की वेस्टमिन्स्टर प्रणाली की तरह है।
लोकसभा में 28 वाॅ अविश्वास प्रस्ताव पेश
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव: 26 जुलाई को 17 वीं लोकसभा का पहला अविश्वास प्रस्ताव सांसद तरुण गोगोई द्वारा पेश किया गया. अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी गठबंधन i n.d.i.a द्वारा पेश किया गया।
तरुण गोगोई कलियाबोर (असम) से कांग्रेस सांसद हैं.
9 सांसदों वाली बीआरएस में भी एक अलग से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
16 वीं लोकसभा में भी एक अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को पेश किया गया था.जिसमें प्रस्ताव के पक्ष में 126 व खिलाफ 325 वोट पड़े
1979 में मोरारजी देसाई सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस के वाई. बी. चव्हाण ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. जब 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार गिरी तब भी अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही मोरारजी देसाई ने इस्तीफा दे दिया था यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान से कभी सरकार नहीं गिरी।
भारत में पहला अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion)
पहला अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion) 1963 में तीसरी लोकसभा के समय जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ चीन से युद्ध में हार के बाद जे.बी. कृपलानी लाये थे. जिसके पक्ष में 62 और विपक्ष में 347 वोट पड़े थे.
1964 में लाल बहादुर शास्त्री की सरकार के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion) लाया गया.
1964 से 1975 के बीच लोकसभा में 15 अविश्वास प्रस्तावों पर बहस हुई. इनमें से 3 लालबहादुर शास्त्री व 12 इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ थे.
अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion) लाया जा चुका है.यह 28वा अविश्वास प्रस्ताव है।
वर्तमान स्थिति में एनडीए (NDA) के पक्ष में 330 सांसद और विपक्ष(INDIA) में 140 सांसद हैं 60 सांसद न तो इंडिया के पक्ष में है और ना ही एनडीए के पक्ष में है।
सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion) पेश
सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इन्दिरा गांधी सरकार के खिलाफ 15पेश किए गए
लोकसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली में नियम 198(1) से 198(5) में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने की प्रक्रिया दी गई है.
यह केवल एक लाइन का प्रस्ताव होता है जिसका सामान्य स्वरूप इस प्रकार है- यह सदन मंत्रिपरिषद में अविश्वास व्यक्त करता है.
नियम 198(1)(क) के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सदस्य को स्पीकर के बुलाने पर सदन से इसके लिये अनुमति मांगनी पड़ती है.
नियम 198(1)(ख) के तहत सुबह 10 बजे तक इस प्रस्ताव की लिखित सूचना लोकसभा महासचिव को देनी होती है. इस समय के बाद मिली सूचना को अगले दिन मिली सूचना माना जाता है.
नियम 198(2) के तहत प्रस्ताव के पक्ष में कम-से-कम 50 सदस्यों का होना आवश्यक है. (पहले यह संख्या 30 थी.
नियम 198(3) के तहत अध्यक्ष अनुमति मिलने के बाद इस पर चर्चा के लिये एक या अधिक दिन या किसी दिन का एक भाग तय करते हैं.
नियम 198(4) के तहत अध्यक्ष चर्चा के अंतिम दिन मतदान के ज़रिये निर्णय की घोषणा करते हैं.
नियम 198(4) के तहत भाषणों की समय-सीमा तय करने का अधिकार अध्यक्ष को मिला है।
अविश्वास प्रस्ताव कोई भी लोकसभा सांसद पेश कर सकता है लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के लिए 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक है यहां पर यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि पहले यह संख्या 30 थी
अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion)केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है. विश्वास प्रस्ताव की वोटिंग में केवल लोकसभा के सांसद भी शामिल होते हैं राज्यसभा के सांसद शामिल नहीं होते ।
अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर द्वारा स्वीकार करने के 10 दिन के भीतर सरकार को बहुमत साबित करना होता है।
अविश्वास प्रस्ताव सम्बन्धी प्रावधान संविधान में नहीं है लेकिन अनुच्छेद 118 में कहा गया है कि दोनों सदन कार्यवाही के अपने-अपने नियम बना सकते हैं.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-75 में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है, अर्थात् इस सदन में बहुमत हासिल होने पर ही मंत्रिपरिषद बनी रह सकती है. इसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है.
अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा स्वीकार करने के दिन से लेकर 10 दिन के अंदर लोकसभा में चर्चा करवाना आवश्यक है।
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए उनके पक्ष में कम से कम 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक है।।
विश्वास प्रस्ताव सरकार द्वारा व अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा लाया जाता है।
सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाला
लोकसभा में सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्तुत करने का रिकॉर्ड सांसद ज्योति बसु को है जो मार्क्सवादी पार्टी के सांसद थे उन्होंने 4 बार लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया
विश्वास प्रस्ताव
अब तक विश्वास प्रस्ताव पर तीन बार सरकार गिरी सन 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया लेकिन बीजेपी द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण उनकी सरकार गिर गई इसी प्रकार 1997 में एच डी देवगौड़ा ने अपनी सरकार के पक्ष में विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया लेकिन उनकी भी सरकार गिर गई सन 1999 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया लेकिन उनकी सरकार मात्र 1 वोट से गिर गई इस प्रकार अविश्वास प्रस्ताव के मतदान से अभी तक एक भी सरकार नहीं मिली लेकिन विश्वास प्रस्ताव पर तीन बार सरकारी गिर चुकी है। यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि जर्मनी में विश्वास मत हारने पर भी चांसलर को इस्तीफा नहीं देना पड़ता बशर्ते वह विपक्ष द्वारा नहीं लाया गया है ।
दुबारा अविश्वास प्रस्ताव(No confidence motion) कब
विश्वास प्रस्ताव जीती हुई सरकार पर भी विपक्ष 15 दिन बाद अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है यहां यह तथ्य उल्लेखित करना प्रासंगिक होगा कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद 6माह तक दुबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।
इटली में अविश्वास प्रस्ताव के समय दोनों सदनों की मंजूरी आवश्यक है।
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