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राजस्थान के महाधिवक्ता नियुक्ति योग्यता कार्यकाल

▪️राजस्थान के महाधिवक्ता/Advocate General Of Rajasthan/Article-165


राजस्थान के महाधिवक्ता#AdvocateGeneralOfRajasthan/Article-165




राजस्थान के महाधिवक्ता का पद-

महाधिवक्ता का पद संवैधानिक है,इसका उल्लेख संविधान के भाग -6 अनुच्छेद-165 में मिलता है।

राजस्थान में राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत महाधिवक्ता के पद का सृजन किया गया।

यह राज्य सरकार का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है जो राज्य सरकार को कानूनी मामलों में सलाह देता है। राज्यों में यह भारत सरकार के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) के समकक्ष पद होता है।

नियुक्ति–

महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल करता है,राज्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर।

योग्यता–

महाधिवक्ता नियुक्त होने  के लिए उन्हीं योग्यताओं का होना आवश्यक है जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए आवश्यक होती हैं।

संविधान के अनुच्छेद 217 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए निम्न योग्यताओं का उल्लेख है-

भारत का नागरिक हो।

कम से कम 10 वर्ष तक किसी भी न्यायालय में न्यायिक पद धारण कर चुका हो।

या 

किसी भी उच्च न्यायालय में अथवा एक या एक से अधिक उच्च न्यायालय में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो।

कार्यकाल–

संविधान में महाधिवक्ता के कार्यकाल एवं उसे हटाने की व्यवस्था या प्रक्रिया के बारे में कोई भी वर्णन नहीं किया गया है।

राज्यपाल के प्रसाद पर्यन्त पद धारण करता है।

हटाया जाना-

महाधिवक्ता को राज्यपाल द्वारा राज्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर हटाया जा सकता है।
महाधिवक्ता स्वेच्छा से पद त्यागने पर त्याग पत्र राज्यपाल को देता है।

वेतन भत्ते –

संविधान में महाधिवक्ता का पारिश्रमिक निर्धारित नहीं किया गया है।

महाधिवक्ता वही वेतन-भत्ते प्राप्त करता है जो राज्यपाल निर्धारित करता है।

यह वेतन-भत्ते राज्य की संचित निधि में से दिए जाते हैं।

राजस्थान के महाधिवक्ता का क्षेत्राधिकार-

महाधिवक्ता का कार्यक्षेत्र संपूर्ण राज्य होता है उसे राज्य में स्थित सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है। (अनुच्छेद-165)

महाधिवक्ता विधानमंडल का सदस्य नहीं होता है,फिर भी विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी भी सदन की बैठक में भाग ले सकता है,बोल सकता है,चर्चा कर सकता है लेकिन मतदान नहीं कर सकता। (अनुच्छेद-177)

महाधिवक्ता को अपने कार्यकाल के दौरान विधान मंडल के सदस्यों को प्राप्त होने वाली सभी उन्मुक्तियाँ व  विशेष अधिकार भी प्राप्त होते हैं। (अनुच्छेद-194)

महाधिवक्ता विधानमंडल की किसी भी समिति का सदस्य हो सकता है एवं समिति की बैठक में भाग ले सकता है।

महाधिवक्ता(Solicitor General of Rajasthan) के कार्य-

राज्य के सर्वोच्च विधि अधिकारी के रूप में महाधिवक्ता के निम्नलिखित कार्य होते है –

राज्य सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह देना जो राज्यपाल द्वारा सौपें गए हो।
संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कर्तव्यों का निर्वहन करना
विधिक रूप में ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना जो राज्यपाल द्वारा सौपें गए हो।


▪️राजस्थान के महाधिवक्ता-List

क्र.स. महाधिवक्ता का नाम  कार्यकाल

1 जी.सी. कासलीवाल 1957

2 एल.एम. सिंघवी 1972

3 एस.के. तिवारी 1977


4 आर.के. रस्तोगी 1978


5 एस.के. तिवारी 1980


6 ए.के. माथुर (कार्यवाहक) मार्च 1982


7 एन.एल. जैन जून 1982


8 डी.सी. स्वामी जुलाई 1988



9 एम.आर. काला दिसम्बर 1989


10 बी.पी. अग्रवाल मार्च 1980


11 एस.एम. मेहता दिसम्बर 1992


12 बी.पी. अग्रवाल दिसम्बर 1993

13 एस.एम. मेहता दिसम्बर 1998


14 बी.पी. अग्रवाल दिसम्बर 2003


15 एन.एम. लोढ़ा सितम्बर 2008


16 जी.एस. बाफना दिसम्बर 2008

17 एन.एम. लोढ़ा दिसम्बर 2018

18 एम.एस. सिंघवी जनवरी 2019- नवम्बर 2023


19 राजेश महर्षि (कार्यवाहक) नवम्बर 2023



20 राजेंद्र प्रसाद 03 फरवरी 2024 से


FAQ –

Que.1 – वर्तमान में राजस्थान के महाधिवक्ता कौन है ?

Ans-     राजेंद्र प्रसाद, 03 फरवरी 2024 से

Que.2 – राजस्थान के पहले महाधिवक्ता कोन  थे ?

Ans-   जी.सी.कासलीवाल

Que.3  राजस्थान में सर्वाधिक कार्यकाल किस महाधिवक्ता का रहा है ?

Ans-    जी.सी.कासलीवाल का

Que.4 – राजस्थान के महाधिवक्ता की नियुक्ति कोन करता है ?

Ans.-    राज्यपाल

Que.5  – महाधिवक्ता के पद का प्रावधान संविधान के कोनसे अनुच्छेद में है ?

Ans.-    अनुच्छेद-165 में



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