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राजस्थान की थार नगरी बाड़मेर

बाड़मेर -
बाड़मेर को बाढाणा तथा राजस्थान की थार नगरी के नाम से भी जाना जाता है

चौहटन - यहां पर भोपो की कुलदेवी विरात्रा माता ( वाकंल माता)का मंदिर है 
चौहटन में ही सुईया का मंदिर है जहां सोमवती अमावस्या को मेला लगता है यहां पर प्रत्येक 4 वर्ष में अर्धकुंभ लगता है जिसे मारवाड़ का अर्धकुंभ कहा जाता है
चौहटन गोंद उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है

किराडू (हाथमा गांव, बाड़मेर )-
इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है
यंहा 5 मन्दिरों का समूह हैं जिसमे प्रमुख सोमश्वर मन्दिर हैं जो नागर शैली में निर्मित हैं जिसका निर्माण परमार शासको ने 11वीं शताब्दी में करवाया था

गुड़ामालानी - आलमजी का धोरा ' धोरीमन्ना ' में इनका मेला लगता है आलम जी के धौरे को घोड़ा का तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है
गुड़ामालानी क्षेत्र तेल क्षेत्र के लिए भी प्रसिद्ध है
वर्तमान में नर्मदा नहर परियोजना से सांचौर के साथ-साथ बाड़मेर का गुड़ामालानी क्षेत्र भी संचित हो रहा है


शिव-
यहां पर कोटड़ा गांव में  भाखरी नामक पहाड़ी पर कोटड़ा का दुर्ग है जिसका निर्माण परमार शासको ने करवाया था 

शिव तहसील के उडू काश्मीर गांव में सांप्रदायिक सद्भावना के देवता के रूप में पूजे जाने वाले रामदेव जी का जन्म हुआ था

शिव तहसील के अगोरिया गांव में सौर ऊर्जा आधारित इकाई संयंत्र स्थापित है

कवास -  यहां जिप्सम के भंडार हैं 2006 में इस क्षेत्र में जिप्सम के जमाव के कारण बाढ़ आई थी


मुनाबाब - यहां पर भारत का प्रथम रेलवे शहीद स्मारक स्थित है
भारत-पाकिस्तान के मध्य चलने वाली थार एक्सप्रेस का राजस्थान में पहला स्टेशन मुनाबाब ही है


बाड़मेर सांचौर पेट्रोलियम बेसिन-  इस बेसिन  सबसे पहले 29 अगस्त 2009 को मंगला नमक तेल की कुएं से क्रूड ऑयल निकाला गया था 
इसके पश्चात भाग्या, ऐश्वर्या, नागेश्वरी , विजया, सरस्वती, वंदना, शक्ति ,कामेश्वरी नमक तेल के कुएं भी खोदे गए

राज्य के 4 पेट्रोलियम संभाव्य बेसिन -
1. जैसलमेर बेसिन
2. बाड़मेर - सांचोर बेसिन
3.बीकानेर - नागौर बेसिन एवं
4. विन्धयन बेसिन
(लगभग 1,50,000 वर्ग किमी.)

ये चारों बेसिन राजस्थान के 14 ज़िलों में फैले हुए हैं- बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, कोटा, झालावाड़, बारां, बूंदी, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व जालौर

इन बेसिनों में हाइड्रोकार्बन की काफ़ी संभावनाएं हैं. इसलिए, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने तीन पेट्रोलियम बेसिन को श्रेणी-I में अपग्रेड किया है अब ये बेसिन बॉम्बे हाई, कैम्बे (खम्भात) बेसिन और असम के बराबर हैं!


भादरेश पावर प्लांट- बाड़मेर
राज वेस्ट कंपनी द्वारा संचालित है
गिरल - यहां लिग्नाइट कोयले पर आधारित विद्युत संयंत्र स्थापित है


बैलून महोत्सव और थार महोत्सव का आयोजन बाड़मेर में किया जाता है

मल्लीनाथ पशुमेला,तिलवाड़ा(बाड़मेर )-

राजस्थान का सबसे पुराना पशु मेला है यह पशुमेला चैत्र बदी एकादशी से चैत्र सुदी एकादशी तक लूनी नदी के किनारे भरता है वीर योद्धा रावल मल्लीनाथ की स्मृति में आयोजित इस पशु मेले में थारपारकर, कांकरेज आदि नस्ल के बैलों की अधिक बिक्री होती है।

बाटाडू का कुआं - इस रेगिस्तान का जल महल भी कहा जाता है


राष्ट्रीय मरु उधान -
यह जैसलमेर बाड़मेर क्षेत्र में फैला हुआ है। जैसलमेर में इसका क्षेत्रफल 19 वर्ग किलोमीटर है वहीं बाड़मेर में इसका क्षेत्रफल 1262 वर्ग किलोमीटर है ज्ञ
क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यारण है

गडरा रोड़ - इंदिरा गांधी नहर परियोजना का यह अंतिम बिंदु है गडरा रोड नहर का नाम बदलकर वर्तमान में रामदेव शाखा रख दिया गया है

बोदरा - यहां से लघु पाषाण शस्त्र तथा मृदभांड प्राप्त हुए हैं


बाड़मेर राजस्थान में सर्वाधिक पशुधन वाला जिला है सर्वाधिक बकरी, भेड़ तथा गधे  बाड़मेर जिले में सबसे ज्यादा है

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