मीराबाई का जन्मस्थान ब्यावर जिले का परिचय
ब्यावर
अजमेर ,भीलवाड़ा तथा पाली जिलों को अलग करके 7 अगस्त 2023 को ब्यावर नया जिला बनाया गया
ब्यावर नगर को कर्नल डिक्सन के द्वारा बसाया गया था पहले इसका नाम ' नया नगर' रखा गया लेकिन बाद में बदलकर Be aware यानी सतर्क रहो कर दिया
एरिक डिक्शन 144 मेरवाड़ा बटालियन के सरबराह थे जिन्होंने 1836 में इस शहर की नींव रखी थी प्रारंभ में इन्होंने इस फौजी छावनी के रूप में स्थापित किया था ताकि यहां से पूरे राजस्थान पर नजर रखी जा सके एक तरह से यह अंग्रेजों का सैनिक नगर था
टॉडगढ़ दुर्ग - इस दुर्ग का निर्माण कर्नल जेम्स टॉड के द्वारा करवाया गया था प्रारंभिक समय में यह दुर्ग बोरसवाडा के नाम से जाना जाता था मेवाड़ के शासक भीम सिंह ने कर्नल जेम्स टॉड की सेवाओं से प्रभावित होकर इस दुर्ग का नाम उनके नाम पर टॉडगढ़ दिया
कुशाल माता का मंदिर - बैराठगढ़(बदनौर)के युद्ध में 1457ई. में महाराणा कुंभा ने महमूद खिलजी को पराजित किया।
इस विजय के उपलक्ष में कुंभा ने बदनोर में कुशाल माता का भव्य मंदिर बनवाया।
ओझियाना सभ्यता - ओझियाना ताम्रयुगीन सभ्यता है जो वर्तमान में ब्यावर जिले में है इस पुरास्थल का उत्खनन सन् 1999-2000 में बी.आर. मीणा तथा आलोक त्रिपाठी के द्वारा किया गया । यहां से कार्नेलियन, फियांस तथा पत्थर के मनके, शंख एवं ताम्र की चुडि़या तथा अन्य आभूषण भी मिले हैं।
गिरी सुमेल युद्ध - यह युद्ध 5 जनवरी 1544 को शेरशाह सूरी तथा राव मालदेव की सेनापति जैता और कुंपा के नेतृत्व वाली सेना के मध्य लड़ा गया था इस युद्ध में शेरशाह सूरी ने मालदीव की सेना को पराजित किया था
शेरशाह सूरी ने इस युद्ध के जीतने के बाद कहा था "मैं मुट्ठी भर बाजरे की खातिर हिन्दुस्तान की बादशाह खो देता"
देवमाली - यहां पर गुर्जर समाज के लोक देवता श्री देवनारायण जी ने देह त्यागी थी
देवनारायण जी को औषधियों वाले लोक देवता के रूप में भी जाना जाता है
देवनारायण जी की फड़ जंतर वाद्य यंत्र के साथ बांची जाती है
देवनारायण जी की फड़ सबसे प्राचीन और सबसे लंबी फड़ है
मीराबाई - मीराबाई का जन्म ब्यावर जिले के कुड़की में 1498 ईस्वी में हुआ था इनके पिता का नाम रतन सिंह राठौड़ तथा दादा का नाम राव दुदा था मीराबाई के बचपन का नाम पेमल था 1516 में मीराबाई का विवाह चित्तौड़ के शासक राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र भोजराज के साथ हुआ था किंतु 7 वर्ष पश्चात भोजराज की मृत्यु हो गई तब से मीरा कृष्ण जी के भक्ति में लीन रहने लगी मीराबाई के गुरु संत रैदास थे
लोक मान्यता है कि जब मीराबाई द्वारका में स्थित मंदिर में अपने आराध्य श्री कृष्ण की मूर्ति के समक्ष नृत्य कर रही थी तब सर्वव्यापी गिरधर गोपाल ने उन्हें अपने में लीन कर लिया था
मीराबाई को राजस्थान की राधा भी कहा जाता है
बादशाह का मेला- यह ब्यावर का प्रसिद्ध मेला है जो चैत्र कृष्णा प्रतिपदा को भरता है
बादशाह की सवारी का संबंध भी ब्यावर से है
सूती वस्त्र उद्योग- राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग की पहली मिल ' दी कृष्णा मिल्स लिमिटेड ' की स्थापना सेठ दामोदरदास राठी के द्वारा 1889 ईस्वी में की गई
एडवर्ड सूती वस्त्र मिल (1906) तथा श्री महालक्ष्मी सूती वस्त्र मिल (1925) भी ब्यावर में ही संचालित है
आगी बाण - यह समाचार पत्र जय नारायण व्यास के द्वारा 1932 में ब्यावर से प्रकाशित किया गया था यह राजस्थानी भाषा का पहला राजनीतिक समाचार पत्र था
राजस्थान - यह समाचार पत्र 1923 ईस्वी में ऋषिदत्त मेहता के द्वारा ब्यावर से प्रकाशित किया गया था
ब्यावर छावनी - 1857 की क्रांति के समय ब्यावर सैनिक छावनी थी हालांकि यहां पर विद्रोह नहीं हुआ था
राज्य की पहली नगर परिषद ब्यावर में स्थापित हुई थी
राजस्थान का पहला ईसाई मिशनरी स्कूल ब्यावर में स्थित है
राजस्थान का पहला आयकर विभाग ब्यावर में स्थापित हुआ था
गोरमघाट मध्य अरावली की 934 मीटर ऊंची चोटी है ब्यावर जिले में है
सुरसुरा, सैंदरिया, भावता लोक देवता तेजाजी से संबंधित स्थल है जो ब्यावर जिले में है
नारायण सागर बांध ब्यावर जिले में खारी नदी पर है
देवमाली गांव -विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर दिल्ली में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा राजस्थान के ब्यावर जिले के देवमाली गांव को "सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव पुरस्कार" से सम्मानित किया गया था
भगवान श्री देवनारायण जी की यह पावन भूमि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए विख्यात है
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