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राजनीति विज्ञान का विकास प्रकृति और क्षेत्रEvolution nature and scope of political science

 

राजनीति विज्ञान का विकास प्रकृति और क्षेत्र Evolution nature and scope of political science

राजनीति विज्ञान का विकास एक लंबी और जटिल प्रक्रिया रही है, जो मानव सभ्यता के साथ-साथ विकसित हुई है। यह विभिन्न चरणों, विचारधाराओं और ऐतिहासिक संदर्भों से गुजरा है। नीचे इसका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है:


### प्राचीन काल

राजनीति विज्ञान की जड़ें प्राचीन सभ्यताओं में मिलती हैं। 

- **भारत**: कौटिल्य (चाणक्य) का "अर्थशास्त्र" (लगभग 300 ईसा पूर्व) राजनीति, शासन, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का एक व्यापक ग्रंथ है। इसमें राज्य संचालन के व्यावहारिक और नैतिक पहलुओं पर जोर दिया गया।

- **यूनान**: प्लेटो (427-347 ईसा पूर्व) ने अपनी कृति "रिपब्लिक" में आदर्श राज्य की संकल्पना प्रस्तुत की, जबकि अरस्तू (384-322 ईसा पूर्व) ने "पॉलिटिक्स" में विभिन्न शासन प्रणालियों (राजतंत्र, कुलीनतंत्र, लोकतंत्र) का विश्लेषण किया और राजनीति को "मास्टर साइंस" कहा।

- **चीन**: कन्फ्यूशियस (551-479 ईसा पूर्व) ने शासन में नैतिकता और सामाजिक व्यवस्था पर बल दिया।


### मध्यकाल

मध्यकाल में राजनीति विज्ञान धार्मिक और सामंती प्रभावों से प्रभावित रहा।

- **यूरोप**: संत ऑगस्टाइन और थॉमस एक्विनास जैसे विचारकों ने ईसाई धर्मशास्त्र के आधार पर शासन और अधिकार की व्याख्या की।

- **भारत**: इस काल में राजतंत्र और सामंती व्यवस्था प्रमुख थी, और राजनीति पर धर्म का प्रभाव बढ़ा।

- **इस्लामी दुनिया**: इब्न खल्दून (14वीं शताब्दी) ने अपने "मुकद्दिमा" में सामाजिक संगठन और राज्य के विकास पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया।


### आधुनिक काल

आधुनिक राजनीति विज्ञान का विकास पुनर्जागरण, प्रबोधन (Enlightenment) और औद्योगिक क्रांति के साथ तेज हुआ।

- **मैकियावेली (1469-1527)**: "द प्रिंस" में व्यावहारिक राजनीति और सत्ता के उपयोग पर जोर दिया, जिसे आधुनिक राजनीति विज्ञान की नींव माना जाता है।

- **हॉब्स, लॉक और रूसो**: 17वीं-18वीं शताब्दी में सामाजिक संविदा सिद्धांत (Social Contract Theory) ने राज्य और नागरिकों के बीच संबंधों को परिभाषित किया।

- **19वीं शताब्दी**: कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर जैसे विचारकों ने वर्ग संघर्ष, नौकरशाही और आधुनिक राज्य के ढांचे का विश्लेषण किया।


### समकालीन काल

20वीं और 21वीं शताब्दी में राजनीति विज्ञान एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक अध्ययन के रूप में उभरा।

- **व्यवहारवाद**: 20वीं शताब्दी के मध्य में व्यवहारवादी क्रांति ने政治 व्यवहार, मतदान और निर्णय प्रक्रिया पर वैज्ञानिक अध्ययन को बढ़ावा दिया।

- **उत्तर-व्यवहारवाद**: नैतिकता, सामाजिक न्याय और वैश्विक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

- **आधुनिक क्षेत्र**: आज राजनीति विज्ञान में तुलनात्मक राजनीति, अंतरराष्ट्रीय संबंध, सार्वजनिक नीति, और राजनीतिक अर्थशास्त्र जैसे उप-क्षेत्र शामिल हैं।

आधुनिक राजनीतिक विज्ञान का विकास 19वीं और 20वीं शताबदी में प्रमुख रूप से हुआ, जब इस क्षेत्र में नई सोच और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोणों का समावेश हुआ। इसका अध्ययन अधिक व्यवस्थित, वैज्ञानिक और व्यवस्थित रूप से किया गया। आइए, इसे कुछ प्रमुख चरणों में समझते हैं:


1. सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों का प्रभाव:


19वीं शताबदी में औद्योगिक क्रांति, लोकतांत्रिक आंदोलनों, और राष्ट्रीयता के बढ़ते प्रभाव ने राजनीतिक विज्ञान में नई दिशा दी। समाज में हुए इन परिवर्तनाओं ने राज्य और समाज के बीच रिश्तों को नया आकार दिया। लोकतंत्र के सिद्धांत, नागरिक अधिकार, और राजनीतिक विचारों का पुनर्निर्माण हुआ। इसके साथ ही, सामाजिक विज्ञान के अन्य क्षेत्रों से भी इस क्षेत्र में योगदान बढ़ा, जैसे कि समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान।


2. राजनीतिक संस्थाओं और संरचनाओं पर ध्यान:


आधुनिक राजनीतिक विज्ञान में राजनीतिक संस्थाओं जैसे कि विधानमंडल, सरकार, न्यायपालिका, और राजनीतिक पार्टियाँ पर गहरा अध्ययन किया गया। इसके तहत संस्थानों की भूमिका, संरचना और कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश की गई। इस समय के प्रमुख विचारक जैसे मैकियावेली, थॉमस होब्स, और जॉन लॉक ने राज्य की भूमिका और शक्ति के सिद्धांतों को परिभाषित किया।


3. व्यवहारवाद (Behavioralism):


20वीं शताबदी में राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन में एक नया दृष्टिकोण "व्यवहारवाद" के रूप में सामने आया। इस दृष्टिकोण ने राजनीति के अध्ययन में वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया। व्यवहारवाद ने राजनीतिक व्यवहार, मतदान पैटर्न, और राजनीतिक प्रक्रिया जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया। इसके प्रमुख विचारक जैसे गैब्रियल अलमंड, हेरी एवेंस, और पीटर इवांस ने अध्ययन के लिए अधिक मात्रात्मक और अनुभवात्मक पद्धतियों को अपनाया।


इस दृष्टिकोण का उद्देश्य था कि राजनीति केवल संस्थानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें लोगों का व्यवहार भी महत्वपूर्ण है। राजनीतिक निर्णयों, पार्टियों, और चुनावों का विश्लेषण कर इसे वैज्ञानिक रूप से समझने का प्रयास किया गया।


4. सिस्टम सिद्धांत (System Theory):


1950-60 के दशकों में सिस्टम सिद्धांत का विकास हुआ, जिसमें राजनीति को एक व्यापक प्रणाली के रूप में देखा गया। यह सिद्धांत राजनीति को एक जीवित, कार्यशील और जटिल प्रणाली के रूप में समझता है, जिसमें विभिन्न घटक (जैसे कि नागरिक, संस्थान, और सामाजिक समूह) एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। इसका उद्देश्य राजनीतिक प्रणाली के कामकाज को समझना और उसे मॉडल के रूप में प्रस्तुत करना था। डेविड ईस्टन जैसे विचारकों ने इसे विस्तृत रूप से विकसित किया।


5. संस्थागत दृष्टिकोण:


20वीं शताबदी के अंत में, संस्थागत दृष्टिकोण (Institutionalism) पुनः प्रभावी हुआ, लेकिन इस बार यह पहले से कहीं ज्यादा विस्तृत और आधुनिक रूप में था। यह दृष्टिकोण राजनीतिक संस्थाओं के इतिहास, संरचना और उनके विकास पर केंद्रित था। इसमें राजनीतिक संस्थाओं की भूमिका, उनका इतिहास और उनके निर्णय-निर्माण की प्रक्रियाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। इस दौरान अलेक्जेंडर हिर्शमैन और जोसेफ शुगार्ट जैसे विचारकों ने संस्थागत संरचनाओं पर व्यापक अध्ययन किया।


6. वैश्वीकरण और विकासशील देशों में राजनीति:


20वीं शताबदी के अंत और 21वीं शताबदी की शुरुआत में वैश्वीकरण और विकासशील देशों की राजनीति पर ध्यान दिया गया। वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक घटनाओं ने राजनीति के अध्ययन को अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में भी समझने की आवश्यकता उत्पन्न की। इसके साथ ही, विकासशील देशों में लोकतंत्र, विकास, और राजनीतिक अस्थिरता जैसे मुद्दों पर व्यापक अध्ययन किया गया।


7. नव-मार्क्सवादी और फेमिनिस्ट दृष्टिकोण:


आधुनिक राजनीतिक विज्ञान में नव-मार्क्सवादी दृष्टिकोण का भी प्रभाव पड़ा, जिसमें वर्ग संघर्ष, पूंजीवाद, और राजनीतिक अर्थव्यवस्था पर जोर दिया गया। फेमिनिस्ट राजनीति और नारीवादी सिद्धांत भी राजनीति के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये दृष्टिकोण सत्ता, लिंग, और सामाजिक न्याय के संदर्भ में राजनीति को नए तरीके से समझते हैं।


8. राजनीतिक अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति:


राजनीति और अर्थशास्त्र के बीच की सीमा को और भी धुंधला किया गया, जिसमें राजनीतिक अर्थशास्त्र (Political Economy) ने अर्थव्यवस्था, शासन और सामाजिक संरचनाओं के बीच संबंधों को अध्ययन किया। सार्वजनिक नीति (Public Policy) का अध्ययन भी प्रमुख हो गया, जिसमें सरकारों द्वारा बनाई जाने वाली नीतियों के प्रभाव का विश्लेषण किया गया।


9. वर्तमान स्थिति:


आज, आधुनिक राजनीतिक विज्ञान अत्यधिक विश्लेषणात्मक और इंटरडिसिप्लिनरी बन चुका है। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण, और गणितीय मॉडलिंग जैसे नए तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, सार्वजनिक नीति, मानवाधिकार, जलवायु परिवर्तन, और राजनीतिक संघर्ष जैसे मुद्दे मुख्य विषय बन चुके हैं।


निष्कर्ष:


आधुनिक राजनीतिक विज्ञान का विकास इस दिशा में हुआ है कि यह अब न केवल पारंपरिक सिद्धांतों और संस्थानों का अध्ययन करता है, बल्कि समाज के व्यवहार, वैश्विक संबंधों, और तकनीकी बदलावों के प्रभाव को भी समझता है। यह एक वैज्ञानिक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाता है, जो राजनीति को समाज के विभिन्न पहलुओं से जोड़ता है।



### निष्कर्ष

राजनीति विज्ञान का विकास मानव समाज की बदलती जरूरतों और विचारों का प्रतिबिंब है। यह प्राचीन काल के दार्शनिक चिंतन से शुरू होकर आज के वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन तक पहुंचा है। भारत जैसे देश में, जहां प्राचीन और आधुनिक परंपराएं एक साथ मौजूद हैं, यह विषय और भी प्रासंगिक हो जाता है।

राजनीति विज्ञान की प्रकृति को समझने के लिए हमें इसके मूल स्वरूप, उद्देश्य और अध्ययन के दायरे पर विचार करना होगा। राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो शक्ति, शासन, राज्य, सरकार, नीति-निर्माण और मानव समाज में राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन करता है। इसकी प्रकृति को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:


1. **वैज्ञानिक और विश्लेषणात्मक प्रकृति**:  

   राजनीति विज्ञान तथ्यों, आंकड़ों और अवलोकन के आधार पर राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण करता है। यह कारण-परिणाम संबंधों को समझने की कोशिश करता है, जैसे कि शक्ति का प्रयोग कैसे और क्यों किया जाता है। हालांकि, यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक विज्ञानों की तरह प्रयोगशाला-आधारित नहीं हो सकता, क्योंकि यह मानव व्यवहार से जुड़ा है, जो जटिल और परिवर्तनशील होता है।


2. **नैतिक और दार्शनिक आयाम**:  

  政治 विज्ञान केवल तथ्यों का अध्ययन नहीं करता, बल्कि यह मूल्यों, न्याय, स्वतंत्रता, समानता जैसे नैतिक प्रश्नों से भी जुड़ा है। प्लेटो, अरस्तू, मैकियावेली और रूसो जैसे विचारकों ने इसे दार्शनिक आधार प्रदान किया है, जिससे यह "क्या है" (वास्तविकता) के साथ-साथ "क्या होना चाहिए" (आदर्श) पर भी विचार करता है।


3. **ऐतिहासिक और समकालीन दृष्टिकोण**:  

   यह विज्ञान अतीत की राजनीतिक व्यवस्थाओं (जैसे राजतंत्र, सामंतवाद) और वर्तमान प्रणालियों (लोकतंत्र, तानाशाही) दोनों का अध्ययन करता है। इससे यह समय के साथ राजनीति के विकास को समझने में मदद मिलती है।


4. **अंतर्विषयक स्वरूप**:  

   राजनीति विज्ञान इतिहास, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान और कानून जैसे क्षेत्रों से जुड़ा है। उदाहरण के लिए, यह अर्थव्यवस्था के प्रभाव को नीति-निर्माण पर या सामाजिक संरचना को राजनीतिक आंदोलनों पर देखता है।


5. **सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रकृति**:  

   यह सिद्धांतों (जैसे उदारवाद, मार्क्सवाद) का निर्माण करता है और साथ ही व्यावहारिक मुद्दों जैसे चुनाव, शासन प्रणाली, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी ध्यान देता है।


संक्षेप में, राजनीति विज्ञान की प्रकृति बहुआयामी है। यह एक ओर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तथ्यों का विश्लेषण करता है, तो दूसरी ओर दार्शनिक आधार पर आदर्श समाज की खोज करता है। यह मानव समाज में शक्ति के संचालन को समझने का एक व्यवस्थित प्रयास है, जो सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों रूपों में प्रकट होता है। 

राजनीतिक विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है, जो राजनीति, सरकारों, राज्य, नीति, और उनके विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है। यह समाज में शक्ति के वितरण, राजनीतिक संस्थाओं, चुनाव, कानून, सार्वजनिक नीति, और नागरिक अधिकारों के बारे में अध्ययन करता है। इसके अध्ययन में यह देखा जाता है कि लोग और समाज कैसे राजनीतिक निर्णय लेते हैं, शासन प्रणाली कैसे कार्य करती है, और विभिन्न राजनीतिक विचारधाराएँ और विचार कैसे विकसित होते हैं।


राजनीतिक विज्ञान के मुख्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं:


1. सिद्धांत और विचारधारा: यह राजनीतिक विचारों, सिद्धांतों और विचारधाराओं का अध्ययन करता है, जैसे कि लोकतंत्र, साम्यवाद, समाजवाद, और अन्य राजनीतिक विचारधाराएँ।



2. सरकारी संरचना और संस्थाएँ: इसमें राज्य, सरकार, संसद, न्यायपालिका, प्रशासन, और अन्य सरकारी संस्थाओं की संरचना और कार्यप्रणाली का अध्ययन किया जाता है।



3. राजनीतिक प्रक्रिया: इसमें चुनाव, मतदान, राजनीतिक दल, और जनसंचार के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।



4. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति: यह देश-देश के संबंध, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, वैश्विक नीति और युद्ध, शांति, और वैश्विक मुद्दों का अध्ययन करता है।



5. लोकनीति और सार्वजनिक नीति: इसमें सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों का अध्ययन होता है, जैसे कि आर्थिक नीति, शिक्षा नीति, स्वास्थ्य नीति, और अन्य सार्वजनिक नीतियाँ।




राजनीतिक विज्ञान का उद्देश्य न केवल राजनीतिक संरचनाओं को समझना है, बल्कि यह भी देखना है कि किस प्रकार राजनीतिक फैसले समाज और मानव जीवन पर प्रभाव डालते हैं।


राजनीति विज्ञान का विकास प्रकृति और क्षेत्र#Evolution nature and scope of political science


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