ad

अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का संगठन कार्यप्रणाली क्षेत्राधिकार न्यायिक पुनरावलोकन व शक्तियां

संयुक्त राज्य अमेरिका में संघीय न्यायपालिका और न्यायिक पुनर्विलोकन

न्यायपालिका का अस्तित्व वर्तमान समय में सभ्य राज्य की प्रथम आवश्यकता समझा जाता है और अमेरिकी से वैधानिक व्यवस्था की तो एक प्रमुख विशेषता संघीय न्यायपालिका को प्राप्त महत्वपूर्ण स्थिति है सन 1777 ईस्वी में जिस परिसंघ की स्थापना की गई उसमें संघीय न्यायपालिका के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी और राज्यों के न्यायालय ही समस्त न्यायिक विवाद का निर्णय करते थे लेकिन यह व्यवस्था अत्यंत ही दोषपूर्ण थी विभिन्न राज्यों के निर्णय में विभिन्नता थी अमेरिकी संविधान के निर्माता परिसंघ की दुर्बलता को दूर करते हुए एक ऐसी न्यायपालिका की स्थापना करना चाहते थे जो संविधान की रक्षा करने में समर्थ हो हेमिल्टन का सुझाव  एक ऐसे सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना का था जो संघ की सर्वोच्चता के सिद्धांत का प्रतिपादन करते हुए संघ व राज्य के अन्य न्यायालयों के निर्णय के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करें और संपूर्ण देश में कानून की व्याख्या की एकरूपता बनाए रखें


संघीय न्यायपालिका का संगठन

अमेरिका में संघीय न्यायपालिका के अंतर्गत दो प्रकार के न्यायालय हैं व्यवस्थापक न्यायालय और संवैधानिक न्यायालय

व्यवस्थापक न्यायालय-

व्यवस्थापक न्यायालय ने न्यायालय थे जिसकी स्थापना संविधान की तीसरी धारा के अधीन नहीं वरन कांग्रेस के द्वारा अपनी शक्ति के अंतर्गत किया  है यह न्यायालय न्यायिक शक्ति का उपयोग नहीं करते हुए इसका कार्य कांग्रेस द्वारा निर्मित कानूनों के क्रियान्वयन में प्रशासन की सहायता करना है व्यवस्थापक न्यायालय और संवैधानिक न्यायालय में न्यायाधीशों में भी अंतर है संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों को महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है लेकिन वह व्यवस्थापक न्यायालयों के न्यायाधीशों को प्रशासन द्वारा बिना महाभियोग के हटाया जा सकता है
      



सर्वोच्च न्यायालय



संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1789 के न्यायिक अधिनियम के अनुसार हुई सर्वप्रथम यह न्यूयॉर्क नगर की वॉल स्ट्रीट में स्थापित हुआ बाद में यह फिलाडेल्फिया में चला और वर्तमान समय में यह वाशिंगटन में स्थित है
       


संरचना 

सर्वप्रथम जब सर्वोच्च न्यायालय का गठन हुआ तो इसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा पांच अन्य न्यायाधीश थे कांग्रेस ने समय-समय पर इनकी संख्या में परिवर्तित किया जाता रहा 1801 में इसकी संख्या पांच कर दी गई इसके बाद 1807 में यह संख्या 7 ,1837 में 9 और 1863 में 10 कर दी गई 1866 इन  न्यायाधीशों की संख्या 7 कर दी गई 18 69 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या 9 निर्धारित की गई इस समय से लेकर अब तक इनकी संख्या 9 है


नियुक्ति


न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सीनेट की सहमति से की जाती है राष्ट्रपति किसी भी ऐसे व्यक्ति को इस महान पद पर नियुक्त कर सकता है जिसके नाम पर सीनेट की स्वीकृति प्राप्त हो


पदावधि


न्यायाधीशों की पदावधि आजीवन है वे सदाचार पर्यंत अपने पद पर बने रह सकते हैं न्यायाधीश द्वारा इनके पूर्ण स्वेच्छा से त्याग किया जा सकता है


महाभियोग


सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों को केवल महाभियोग के आधार पर ही हटाया जा सकता है महाभियोग का प्रस्ताव प्रतिनिधि सभा में प्रस्तावित किया जाता है और प्रतिनिधि सभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर दिए जाने पर सीनेट द्वारा इनकी जांच की जाती है यदि सीनेट भी अपने दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव की पुष्टि कर दी तो महाभियोग प्रस्ताव पारित समझा जाता है और संबंधित न्यायाधीश को पद से त्यागपत्र देना पड़ता है


क्षेत्राधिकार


सर्वोच्च न्यायालय को सविधान से ही शक्तियां प्राप्त हैं इस रूप में अमेरिकी संघ की कार्यपालिका का व्यवस्थापिका दोनों ही स्वतंत्र हैं सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार निम्न प्रकार हैं

प्रारंभिक क्षेत्राधिकार


वे सभी विवाद जिसमें राजदूत ,अन्य सार्वजनिक मंत्री ,वाणिज्य दूत तथा विदेशी प्रतिनिधि का कोई पक्ष हो और वह विवाद जो संयुक्त राज्य अमेरिका का संघ या अमेरिकी संघ का कोई एक या अधिक राज्य एक पक्ष के हो वह प्रारंभिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आते हैं


अपीलीय क्षेत्राधिकार


प्रारंभिक क्षेत्राधिकार से शेष सभी विवाद सर्वोच्च न्यायालय को अपीलीय क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आते हैं अर्थात निचले न्यायालयों के निर्णय की अपील सर्वोच्च न्यायालय में सुनी जा सकती है राज्यों के न्यायालयों की अपील संघ के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है सविधान सर्वोच्च न्यायालय को कानून तथा तथ्यों के बारे में अपीलीय क्षेत्राधिकार देता है



न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार


सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या का एकमात्र अधिकार प्राप्त है इस अधिकार के अंतर्गत उसके द्वारा उन सभी कानूनों की संवैधानिकता की परीक्षा की जाती है जिन्हें संघीय कांग्रेस तथा राज्य सरकारों द्वारा पारित किया जाता है इनमें से किसी कानून को जब सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाए तब यदि सर्वोच्च न्यायालय ऐसा समझे कि यह कानून संविधान के प्रतिकूल है तो उन्हें अवैध घोषित कर सकता है सर्वोच्च न्यायालय की इस शक्ति को न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति कहते हैं

न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति का संवैधानिक आधार

संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसार कहा गया है कि यह संविधान तथा अमेरिका के सब कानून तथा उनके अनुसार बताई गई संधि अमेरिका का सर्वोच्च कानून होगा न्यायधीश इसमें बंधे हुए होंगे किसी राज्य के संविधान तथा कानून में यदि संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के विरुद्ध कोई बात होगी तो वह वैध नहीं मानी जाएगी इसी प्रकार अनुच्छेद 3 की उप धारा 2 में कहा गया है की कानून व्यवस्था के अनुसार न्यायपालिका की शक्ति के क्षेत्र में वह सब मामले आएंगे जो इस संविधान कानून और उनके अंतर्गत की गई अथवा की जाने वाली संधियो के अंतर्गत उत्पन्न हो।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायिक पुनर्विलोकन का प्रयोग

सन 1803 ईस्वी में मारबरी बनाम मेडिसन के विवाद में न्यायमूर्ति मार्शल ने न्यायिक पुनर्विलोकन के सिद्धांत को स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया तब से लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस द्वारा निर्मित 18 कानूनों को अवैध घोषित कर चुका है
    


न्यायिक पुनर्विलोकन की आलोचना

न्यायिक पुनर्विलोकन का कोई संवैधानिक आधार नहीं 
 
आलोचकों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के इस अधिकार का कोई संवैधानिक आधार नहीं है संविधान में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय कानून की संवैधानिकता  की परीक्षा कर  रद्द करें 

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय राजनीति से प्रेरित

आलोचकों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वैधानिक निर्णय देते हुए उन्हें अपनी राजनीतिक विचारधारा से रंग देते हैं इस संबंध में कहा जाता है कि केवल काला लबादा और लेने से कोई व्यक्ति राजनीति से मुक्त नहीं हो जाता न्यायाधीश लोग भी जीवित प्राणी है यह सामाजिक और राजनीतिक जीवन से प्रभावित होते हैं

सर्वोच्च न्यायालय कांग्रेस का तृतीय सदन

आलोचकों का प्रमुख आधार यह है है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी इस शक्ति के आधार पर कांग्रेस के तीसरे सदन की स्थिति प्राप्त कर ली है जो नितांत अनुचित है
   


न्यायिक पुनर्विलोकन का महत्व

सीमित शासन की कल्पना को साकार करना

अमेरिकी संविधान निर्माताओं द्वारा एक ऐसे सीमित शासन की कल्पना की गई थी जिसमें सरकार के प्रत्येक अंग की शक्तियां सीमित हो इस आदर्श को न्यायिक पुनर्विलोकन के आधार पर प्राप्त किया जा सकता है
 
संघात्मक व्यवस्था की रक्षा

सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी शक्ति के आधार पर संघात्मक व्यवस्था की रक्षा की है संविधान निर्माताओं ने केंद्र और इकाइयों की सरकारों के बीच की शक्ति विभाजन की व्यवस्था की थी उन्हें बनाए रखते हुए संघात्मक व्यवस्था की रक्षा का भार सर्वोच्च न्यायालय पर ही था जिसे सर्वोच्च न्यायालय में भली भांति निभाया है

संविधान को गतिशीलता प्रदान करना

ह्रीयर शब्दों में सविधान को नवीन समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप डालना सर्वोच्च न्यायालय का ही कार्य है सर्वोच्च न्यायालय अपनी व्याख्यान के आधार पर संविधान को निरंतर गतिशीलता प्रदान कर रहा है

सर्वोच्च न्यायालय के पुनर्गठन के सुझाव

सर्वोच्च न्यायालय और उनकी न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति में विविध दोष बताए जाते हैं और सर्वोच्च न्यायालय के संगठन कार्यप्रणाली एवं शक्तियों को संशोधित करने के लिए अनेक सुझाव दिए जाते हैं

राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने सुझाव दिया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवैध घोषित किए गए कानूनों पर लोक निर्णय की व्यवस्था होनी चाहिए और जनता को अधिकार होना चाहिए कि वह अपने बहुमत से सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को रद्द कर सके

दूसरा सुझाव यह है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कानूनों को अवैध घोषित किए जाने की प्रक्रिया में परिवर्तन होना चाहिए वर्तमान समय में सर्वोच्च न्यायालय अपने सामान्य बहुमत से कानूनों को अवैध घोषित कर सकता है लेकिन इनके स्थान पर दो तिहाई बहुमत की अनिवार्यता की व्यवस्था की जानी चाहिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में से कम से कम 7 न्यायधीश के निर्णय से ही कानून को अवैध घोषित कर सके

तीसरा सुझाव भी सर्वोच्च न्यायालय के कानूनों को अवैध घोषित करने की शक्ति पर नियंत्रण के रूप में है इसमें कहा गया है कि जिस प्रकार राष्ट्रपति द्वारा किए गए निषेधाधिकार के प्रयोग को कांग्रेस दो तिहाई बहुमत से पुनः विधेयक पारित कर रद्द कर सकती है उसी प्रकार कांग्रेस को यह अधिकार होना चाहिए कि यदि सर्वोच्च न्यायालय किसी कानून को अवैध घोषित कर दिया है और उसे कांग्रेस राष्ट्रहित में आवश्यक समझती है तो कांग्रेस दो तिहाई बहुमत से विधेयक को पारित कर सकती है


अमेरिकी न्यायपालिका की स्वतंत्रता


सन 1974 की घटनाओं से अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय और समस्त न्यायपालिका की स्वतंत्रता अत्यधिक श्रेष्ठ रूप से साबित हो गई वॉटरगेट कांड को प्रकाश में लाने और अपराधियों को दंडित करने के संबंध में न्यायाधीश जॉन सिरिका की भूमिका महत्वपूर्ण रही जब व्हाइट हाउस के टेप से संबंधित विवाद सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित हुआ तो 24 जुलाई 1974 को सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति से राष्ट्रपति को आदेश दिया कि वह वाइट हाउस के 64 टेप और उनसे संबंधित दस्तावेज विशेष अधिवक्ता को सौंप दें राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना न कर सके  जनवरी 1998 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन न्यायालय में समय उपस्थित हुए ।इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि न केवल सिद्धांत वरन व्यवहार में भी अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में न्यायपालिका सर्वोपरि है


लास्की- अमेरिका के संघीय न्यायालय तथा उससे भी अधिक वहां के सर्वोच्च न्यायालय को जितना सम्मान प्राप्त है उतना ही संयुक्त राज्य के जीवन पर उसका प्रभाव भी है

मुनरो -सर्वोच्च न्यायालय के अभाव में अमेरिकी संघ की इकाइयां अनेक मुंह वाले दैत्यों  के रूप ग्रहण कर संवैधानिक व्यवस्था को समाप्त कर देंगे

डॉ फाइनर- सर्वोच्च न्यायालय एक ऐसा सीमेंट है जिसने सारे संघीय ढांचे को स्थिरता दी है


कोई टिप्पणी नहीं

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();
Blogger द्वारा संचालित.